कामयाब बनने के उच्च शिक्षा या फिर कसी डिग्री की आवश्यकता नहीं होती है. इस बात को सिद्ध किया है आंध्र प्रदेश के छोटे से गांव में जन्म लेने वाले और सरकारी स्कूल में महज 10वीं तक पढ़ाई करने वाले कोटि रेड्डी ने.
डिग्री महज नौकरी पाने का एक जरिया बन सकती है, लेकिन वह आपको कामयाबी की कोई गारंटी नहीं दे सकती. कुछ ऐसा ही वाक्या हुआ आंध्र प्रदेश के कोटि रेड्डी के साथ.
कोटि रेड्डी को जब उनके पिता ने कपड़े खरीदने के लिए 1000 रुपये दिए, तो उन्होंने उन पैसों से कपडे न खरीदते हुए सी लैंग्वेज सीखने का निर्णय किया, उनके इस फेसले से पिता इतने नाराज हो गए की उन्होंने कोटि रेड्डी की जमकर पिटाई कर दी.
मार खाने के बाद भी उन्होंने अपना फेसला नहीं बदला. उन्होंने इसके लिए कई तरह की परेशानियों का सामना किया. कई बार भूखे पेट भी सोना पडा. मज़बूरी में एक किराने की दुकान में महज 700 रुपए प्रतिमाह पर काम भी किया. तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए वह उस कोचिंग सेंटर के मालिक बन गए जहा पर उन्होंने कंप्यूटर चलाना सीखा था.
शुरुआत में तो कोटि रेड्डी अपने गांव की लाइब्रेरी जाते थे, लेकिन वहा से उनकी उम्मीदों को पंख लगे और कस्बे की लाइब्रेरी में जाने लगे. वह लाइब्रेरी उनके गाव से बहुत दूर थी. लेकिन वह पैदल ही आते-जाते थे. अपने जीवन में उन्हें सबसे ज्यादा बिल गेट्स की कहानी ने प्रेरित किया. कोटि रेड्डी आज भी बिल गेट्स को अपना आदर्श मानते है.
कोटि रेड्डी अपने जीवन में काफी जद्दोजहद कर रहे थे. जीवन में कामयाबी हासिल करने के लिए काफी संघर्ष कर रहे थे. जीवन की मुश्किल घडी में ही उनके पिता भी उनका साथ छोड़कर चले गए.
इस घटना ने उन्हें बहुत चोट पहुचाई वह भीतर टूट गए, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया की जीवन में आगे और भी आने वाली कई तरह की परिस्थितियों के लिए वह तैयार रहेंगे.
परेशानियों के बीच ही कोटि रेड्डी जावा व सी लैंग्वेज पर पकड़ बनाते रहे. धीरे-धीरे वह स्टूडेंट से शिक्षक और इंस्टीट्यूट के मालिक बन गए. अपने जीवन की परेशनियो को भूलते हुए वह मल्टीनेशनल कंपनी ने चीफ टेक्निकल ऑफिसर बनाने की भी पेशकश की.
जब वह सीटीओ का भार लेने के लिए बेंगलुरू जाने की तैयारी कर रहे थे तो उन्हें बिल गेट्स की कंपनी माइक्रोसॉफ्ट से बुलावा आ गया. जिसके लिए वह इंटरव्यू की तैयारीयो में जुट गए.
कोटि के अनुसार माइक्रोसॉफ्ट उनके लिए मंदिर जैसा है और बिल गेट्स उनके भगवान हैं. सरकारी स्कूल में महज दसवीं तक पढ़ाई करने वाले कोटि रेड्डी ने सिद्ध कर दिया की कामयाब होने के लिए किसी डिग्री की आवश्यकता नहीं है. जीवन में कामयाब बनने के लिए मेहनत और काबिलियत का होना जरुरी होता है.