वकालत से लेकर भारत को नई दिशा की ओर ले जाने वाले अरुण जेटली

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कहते है कि राजनीति एक दलदल होता है जो भी नेता आता है उसमें धंसता चला जाता है लेकिन अरुण जेटली इसके विपरीत थे. उन्होंने देश के लिए अपना अभूत योगदान दिया, काले धन से हो रहे भ्रष्टाचार पर भी रोक लगाई और देश को नई राह पर लेकर गए. इतना ही नही बल्कि भारत में भ्रष्टाचार और अपराध से संबंधित कानून पर एक पत्र प्रस्तुत किया. आइये जानते इनके जीवन के महत्वपूर्ण कार्य.

अरुण जेटली :

Arun Jaitley, who took India towards new direction from advocacy

अरुण जेटली का जन्म 28 दिसम्बर 1952 को नई दिल्ली में हुआ था. उनके पिता महाराज किशन जेटली और माता रतन प्रभा थे. उनके पिता पेशे से वकील और माता समाजसेवी थी. जेटली जी की पढाई सेंट जेवियर्स स्कूल में की और आगे की पढाई श्री राम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स से कॉमर्स की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय से विधि संकाय से एल.एल.बी की डिग्री भी प्राप्त की. वह कॉलेज में छात्र संगठन के अध्यक्ष भी बने.

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राजनीति को समझने लगे :

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अपने पारिवारिक माहोल होने के कारण उन्हें वकालत में अच्छी रूचि होने लगी. कानून और राजनीति को समझने लगे और कॉलेज में चुनाव जीतने लगे. इसी दौरान उन्होंने अपने कदम उसी दिशा में आगे बढ़ना उचित समझा और वे जनता पार्टी के भष्टाचार उन्मूलन आन्दोंलन से खासे प्रभावित हुए. उन्हें युवा संगठन में काम करने का लिए पद दिया गया. इसी बीच जेटली जी ने संगीता डोगरा से विवाह कर लिया. उनके दो बच्चे, पुत्र रोहन और पुत्री सोनाली हैं. वह दोनों ही अपने पिता के नक़्शे कदम पर चल रहे है.

कानूनी मामलों :

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1989 में वी.पी. सिंह सरकार ने उन्हें अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया था और बोफोर्स घोटाले में जांच के लिए कागजी कार्रवाई की थी. उन्होंने कानूनी और मौजूदा मामलों पर कई प्रकाशनों की रचना भी करी. उन्होंने भारत-ब्रिटिश कानूनी फोरम से पहले भारत में भ्रष्टाचार और अपराध से संबंधित कानून पर एक पत्र प्रस्तुत किया है.

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केन्द्रीय मंत्री :

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जून, 1998 में नशीले द्रव्यों और अनियमित धनराशि की आवाजाही पर रोक लगाने संबंधी अंतर राष्ट्रीय कानून को अधिनियमित करने के उद्देश्य से आयोजित संयुक्त राष्ट संघ सम्मेलन में अरुण जेटली को भारत सरकार के अधिकृत प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हुए. फिर 1999 में आम चुनाव के पूर्व भाजपा के प्रवक्ता हो गए.

वाजपेयी की एनडीए गठबंधन सरकार ने अरुण जी को 13 अक्तूबर, 1999 को ‘सूचना और प्रसारण’ तथा नवगठित ‘विनिवेश ’ मंत्रालयों के राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाए गए. 23 जुलाई 2000 को जेठमलानी के पदत्याग के कारण उन्हें विधि न्याय और समवाय कंपनी मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री का का पद सौपा गया. नवंबर, 2000 में ही उन्हें नौवहन  मंत्रालय का केन्द्रीय मंत्री बनाए गए.

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महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता :

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उन्होंने 1 सितंबर, 2001 में मंत्री के पद का त्याग कर दिया और कानून मंत्री, न्याय और कंपनी मामलों के केंद्रीय मंत्री के रूप में 1 जुलाई 2002 को बीजेपी के एक महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में शामिल होकर 2003 तक इस क्षमता में काम किया. 29 जनवरी 2003 को जेटली जी ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल वाणिज्य और उद्योग मंत्री और कानून एवं न्याय मंत्री के रूप में भी शामिल हुए.

योजना की घोषणा :

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2014 में हुए लोक सभा चुनाव में जेटली जी अमृतसर से हार गए लेकिन जब मंत्रिमंडल का गठन होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अरुण जेटली को वित्त मंत्रालय दिया. उन्होंने 2016 में आय की योजना की घोषणा की और काले धन, नकली मुद्रा और आतंकवाद को रोकने के लिए घोषित इरादे का अनुमान लगाया था.

अरुण जेटली का निधन (Arun Jaitley passes away)

24 अगस्त 2019 को एक लम्बी बीमारी के बाद अरुण जेटली का निधन हो गया था.

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