ठेले पर बेचते थे कैसेट्स, खड़ी कर दी सबसे बड़ी म्यूजिक कंपनी,जानिए गुलशन कुमार के जीवन के कुछ अनसुने किस्से
संगीत की दुनिया में अपनी ख़ास पहचान बनाने वाले इसे बहुत बहुत कम व्यक्ति है जो कम समय में संगीत की दुनिया के बादशाह बन जाते है. हलाकि इस सफलता के पीछे उनकी कड़ी मेहनत, लगन और खुद पर आत्मविश्वाश होता है. जिसके चलते वह अपना नाम दुनिया भर में मशहूर करते है.
आज हम आपको जिस शख्श के बारे में बताने वाले है उन्होंने बॉलीवुड संगीत को हर व्यक्ति तक पहुंचाया है. हम बात कर रहे है संगीत की दुनिया के फेमस सितारे गुलशन कुमार की. जिन्होंने अपनी मेहनत क्ले दम पर दुनिया में अपनी छाप छोड़ी थी.
जन्म
दिल्ली के पंजाबी परिवार 5 मई 1951 को जन्मे गुलशन कुमार का जीवन काफी संघर्ष वाला बिता. उन्होंने अपने जीवन में काफी परेशानियों का सामना किया लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और जीवन में सदा आगे बढ़ते रहे और सफलता को प्राप्त किया.
पिता का था जूस का ठेला
दिल्ली के दरियागंज इलाके में गुलशन के पिताजी ठेले पर जूस बेचने का काम करते थे. लेकिन पिता के व्यपारा को गुलशन ने नहीं अपनाया वह कुछ अलग ही करना चाहते थे.
पिता ने किया स्पोर्ट
अपने बेटे की इच्छा न देखते हुए उनके पिता ने कभी भी गुलशन को अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने की जिद नहीं की. उन्होंने गुलशन को स्पोर्ट किया. और उन्हें अपने इच्छा अनुसार काम करने की अनुमति भी दी.
ठेले ने बदल दी जिंदंगी
वैसे तो गुलशन ने अपने पिता की तरह ठेले पर जूस नहीं बेचा लेकिन बचपन में वह ठेले पर ऑडियो रिकॉर्ड्स बेचा करते थे. जो उनका संगीत उद्योग की ओर पहला और अहम कदम था.
जीवन में नया मोड़
ठेले पर केसेट्स बेचते हुए उनकी किस्मत बदल गई. हालांकि उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था की वह ठेले पर केसेट्स बेचते हुए म्यूजिक की दुनिया के बादशाह बन जायेंगे.
शुरू की कम्पनी
काफी समय बाद उन्होंने अपने व्यवसाय को नई पहचान देते हुए सुपर कैसेट इंडस्ट्री के नाम से अपनी एक मशहूर कंपनी का शुभारम्भ किया.
फैला कारोबार
गुलशन कुमार सफलता की सिडिया चढ़ते गए और आगे चलकर नोएडा में एक म्यूजिक कंपनी की शुरुआत करते हुए 1970 के दशक में अच्छी क्वॉलिटी के कैसेट बेचने के अपने कारोबार को सभी जगह फैला दिया.
कैसेट का करने लगे निर्यात
यह व्यवसाय काफी व्याप्त हुआ जिसके चलते वह ऑडियो कैसेट को निर्यात करने लग गए और धीरे धीरे अपने नाम के आगे करोड़पति का तमगा लगा लिया.
बॉलीवुड की तरफ रुख
सफलता गुलशन के कदम चुम रही थी. जिसके चलते उन्होंने बॉलीवुड की तरफ रुख कर लिया जिसके लिए वह मुंबई आ गए.
टी-सीरीज की स्थापना
सुपर कैसेट इंडस्ट्रील के अंतर्गत उन्होंने टी-सीरीज की स्थापना कर संगीत की दुनिया में एक नया कदम था.
टी-सीरीज का काम
देश में संगीत और वीडियोज का सबसे बड़ा प्रॉड्यूसर टी-सीरीज ही है, इसके अलावा फिल्मों में अपना संगीत देने के साथ भक्ति संगीत एवं एलबम और पुराने गानों के रिमिक्स बनाना महत्वपूर्ण है.
म्युजिक इंडस्ट्री में गुलशन का कब्जा
आज के समय मे म्युजिक की दुनिया में तक़रीबन 60 प्रतिशत गुलशन कुमार की कंपनी का ही दबदबा है.
संगीत का एक्सापोर्ट
गुलशन कुमार की यह कम्पनी 6 महाद्वीपों के 24 से भी अधिक देशों में अपने संगीत का एक्सापोर्ट करती है.
बड़ा डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क
टी-सीरीज 2500 से ज्यादा डीलरों के साथ देश का सबसे बड़ा डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क का भी हक़दार है.
मायानगरी में बदली किस्मत
मुंबई आने के बाद मानो गुलशन सफलता के भगवान बन गए थे. मुंबई में उनकी किस्मत और भी निखरी जब उन्होंने अपना रुख भक्तिमय म्यूजिक की तरफ किया.
धारावाहिकों का निर्माण
गुलशन ने भक्तिमय की तिरफ अपना ध्यान करते हुए कई भक्तिमय फिल्मों और धारावाहिकों का निर्माण कर इतिहास रचा.
पहली फिल्म
बॉलीवुड में गुलशन कुमार की सबसे पहली फिल्म 1989 में आई जिसका नाम लाल दुपट्टा मलमल का है. इस फिल्म का संगीत रातो रात पुरे देश में बहुत ही लोकप्रिय हुआ.
आशिकी ने तोड़े रिकॉर्ड
1990 की फिल्म आशिकी ने तो सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए कई कीर्तिमान रच डाले.
हिट फिल्म का निर्माण
1991 में बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता आमिर खान एवं पूजा भट्ट की मशहूर फिल्म दिल है कि मानता नहीं का निर्माण कर सभी को चुका दिया. हालांकि यह फिल्म जितनी उम्मीद जा रही थी उतना तो चल नहीं पाई लेकिन फिल्म के संगीत ने सभी को चुका दिया था.
बन गए संगीत के बादशाह
गुलशन कुमार ने बहुत ही कम समय में सफलता के कई कृतिमान रच कर फिल्म उद्योग में अपने नाम का सिक्का चलते हुए संगीत की दुनिया के बादशाह बन गए.
गुलशन कुमार की देन
संगीतं की दुनिया को नई पहचान देने के साथ ही गुलशन कुमार ने नए-नए प्रतिभाओं को सुनहरा मौका भी दिया जो वाकई लाजवाब है. अनुराधा पौडवाल, सोनू निगम, कुमार शानू के आलावा वंदना वाजपेयी जैसे प्रमुख और बेहतरीन गायक कलाकार गुलशन कुमार की ही देन हैं.
अंडरवर्ल्ड की नजर
कहते है की जब कोई सफलता के सातवे आसमान पर होता है तो किसी न किसी की नजर उन्हें लग ही जाती है. कुछ ऐसा ही गुलशन कुमार के साथ भी हुआ. उनकी सफलता को देखते हुए अंडरवर्ल्ड की नजर में आगये.
सामाजिक कार्य थी बड़ी वजह
कहा जाता है की अंडरवर्ल्ड की नजर में आने का मुख्य कारन गुलशन कुमार का सामाजिक रूप से सभी कामो में सक्रिय होना बताया जा रहा है. उनकी लोगो के बिच बढ़ती यही लोकप्रियता उनकी जिंदंगी के आड़े आ गई.
मिलने लगी धमकिया
गुलशन कुमार को मुंबई के अंडरवर्ल्ड से लगातार पैसे को लेकर कई तरह की धमकियां मिलने के साथ जान से मारने की चेतावनियां दी जाने लगी. लेकिन उन्होंने अंडरवर्ल्ड के सामने हार नहीं मानी जो उनकी जिंदंगी को ख़त्म कर गई.
की गई हत्या
12 अगस्त, 1997 का वह दिन संगीत की दुनिया के लिए सबसे बुरा दिन था जब मुंबई के अंधेरी पश्चिम स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर गुलशन कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
बरकरार है टी-सीरीज की चमक
भले ही आज के समय में गुलशन कुमार हमारे बिच नहीं है, लेकिन आज भी टी-सीरीज कम्पनी की चमक पहले जितनी ही बरकरार है. आज भी कोई भी म्यूजिक कम्पनी टी-सीरीज का मुकाबला नहीं कर पाई, और इसकी बढ़ती सफलता को देखते हुए कहा जा सकता है की शायद भविष्य में भी कोई इसे टक्कर नहीं दे सकता है.