कपिल देव भारत के वो बलेबाज थे जिन्होंने अपने बलबूते पर भारत को वर्ल्डकप जितवाया था यह जितने अच्छे बल्लेबाज थे उसे कही ज्यादा अच्छे यह गेंदबाज रहे कपिल देव एक आलराउंडर के रूप में माने जाते है उन्होंने कई बार टीम को जीत दिलाई है उन्होंने 1983 में वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रच डाला था इन्होने ने 20 वर्ष की उम्र में ही एक हज़ार बनाने तथा 100 विकेट लेने का खिताब अपने नाम किया जो किसी रिकॉर्ड से कम नही है.
कपिल देव :
कपिल देव का जन्म 6 जनवरी, 1959 में चंडीगढ़ (पंजाब) में हुआ था। कपिलदेव का पूरा नाम कपिलदेव रामलाल निखंज है। इनके पिता का नाम रामलाल निखंज एवं माता का नाम राजकुमारी लाजवंती है.इन्होने अपनी पढाई डीएवी पब्लिक स्कूल से पूरी की थी.
किक्रेट खेलना :
कपिल देव ने 14 साल की उम्र मे ही किक्रेट खेलना शुरू कर दिया था। उनकी लाईफ में टर्निंग पॉइंट तब आया जब उन्होंने चंडीगढ़ में इंटर सैक्टर मैच खेला. 17 साल की उम्र में सैक्टर 16 की टीम में 3 खिलाड़ी ऐसे थे जो हरियाणा के लिए रणजी ट्रॉफी खेलते थे. कपिल देव जी ने हरियाणा के तरफ से पंजाब के खिलाफ खिलते हुए 6 विकेट लिए और पंजाब को 63 रन पर ही आउट कर दिया था. इससे प्रभावित होकर उन्होंने उनको हरियाण की रणजी टीम का हिस्सा बना लिया. उनकी शादी रोम भाटिया से हुई और उनकी एक बेटी भी है अमिया देव.
हरियाणा हुयरिकेन के नाम से :
इंडिया का कप्तान :
1983 में कपिल देव का क्रिकेट करियर अच्छा चल रहा था. उनको 1983 में ही सुनील गावस्कर को कप्तानी से हटाकर कपिल देव को इंडिया का कप्तान बनाया गया. जिसके तुरंत बाद कपिल देव की कप्तानी में इंडिया ने अपना पहला वर्ल्ड कप जीता था. साल 1983 में शानदार बॉलिंग करके कपिल जी ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अहमदाबाद टेस्ट में 83 रन देकर नौ विकेट लिए थे और उन्हें वेस्टन क्रिकेट ऑफ द इयर भी दिया गया था. कपिल की बड़ी खासियत यही थी कि वे बोलते कम थे, उनका काम बोलता था. चाहे वो बैटिंग हो या फिर बॉलिंग.
434 विकेट लेने का रिकार्ड :
कपिल देव जी ने इंग्लैंड के विरुद्ध 1990 में टैस्ट मैच खेलते हुए फालोआन बचाने के लिए एडी हेमिंग्ज की बॉल पर उन्होंने 4 बार 6 छक्के लगाकर सबको चौंका दिया. वह ऐसे क्रिकेटर में से है जिन्होंने 5248 रन के साथ ही टैस्ट मैचों में 400 से ज्यादा विकेट लिए हैं. उनका 434 विकेट लेने का रिकार्ड है.
क्रिकेट को अल्विदा :
कपिल देव ने 1994 में अन्तर-राष्ट्रीय क्रिकेट को अल्विदा कह दिया. फिर 1999 में कपिल देव को इंडियन क्रिकेट टीम को कोच बनाया गया. कोच के रूप में कपिल देव सफल नहीं रहे उन्होंने टीम को केवल एक टैस्ट मैच में ही जीत दिलाई. इसी दौरान वह कुछ विवादों से जुड़ गए उन पर मैच फिक्सिंग करने का आरोप लगाया था. जिसके चलते अगस्त 2000 में कपिल देव को इंडिया के कोच के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इनकी जगह पर राईट को कोच बनाया.
कभी रन आउट नहीं हुए :
संगठन की स्थाप्ना :
उन्होंने 2005 में खुशी नामक एक राष्ट्रीय सरकारी संगठन की स्थाप्ना करी और उस संगठन के अध्यक्ष बने. यह संगठन दिल्ली में कम विशेषाधिकृत बच्चो के लिये तीन विद्यालय चला रही है. 24 सितम्बर 2008 को उन्होंने भार्तीय प्रादेशिक सेना में भाग लिया और उन्हे लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में चुना गया. और 1982 मे पदमश्री, 1991 मे पदम् भूषण, 2002 मे विस्डन इंडियन क्रिकेट ऑफ द सेंचुरी और 2010 मे ICC cricket Hall of fame भी दिया गया था.