कचरा बीनने वाला लड़का बना गया अंतर्राष्ट्रीय फोटोग्राफर, एक फैसले ने बदल दी जिंदगी

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कहते है की एक दिन में सफलता नही मिलती लेकिन जब मन में ठान लो तो एक दिन जरुर मिलती है ऐसा ही कुछ विक्की रॉय के साथ हुआ जब यह 11 वर्ष के थे तब यह अपना घर छोड़ कर चले गए थे और दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर जाकर कचरा बीनने लगे लेकिन कौन जानते घर से भागा हुआ बच्चा मशहूर अंतर्राष्ट्रीय फोटोग्राफर बन जाएगा आइये जानते विक्की रॉय का दिलचस्प सफ़र.

विक्की का जन्म-:

विक्की रॉय पश्चिम बंगाल के पुरुलिया गांव में एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ जब यह छोटे थे तब इनके घर की हालत बहुत ख़राब थी इनके पिता ने इनको नाना-नानी के यहाँ छोड़ दिया था लेकिन वहा उनके साथ अत्याचार होने लगे यह दिन भर काम करते थे लेकिन फिर भी इन्हें छोटी गलतियों के लिए मारा जाता था कहा जाता है वहा इनका जीवन कैदी के समान हो गया था.

Biography of photographer Vicky Roy in Hindi

घर से भागने का लिया फैसला-:

सन 1999 की बात है जब विक्की ने मामा के जेब से 900 रूपये चोरी किए और अपना सब कुछ छोड़ कर  दिल्ली चले गए और वहा पर उनकी मुलाकात कुछ लडको के साथ हुई जो स्टेशन के पास कचरा बीनने का काम करते थे और फिर पेट पालने के लिए खाली बोतल में पानी मिलाकर और उसमें पानी भरकर लोकल डब्बे में  बेचते थे.

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रेस्टोरेंट में बर्तन धोने लगे-:

पैसो की कमी के कारण सड़क किनारे बने रेस्टोरेंट में बर्तन धोने का काम करने लगे और यह टाइम उनके लिए बहुत परेशानी भरा था क्योकि बहुत ठंड थी और रात में 12 बजे तक बतर्न धोते थे और सुबह 5 बजे उठ जाया करते थे.

कुछ ख़ुशी के पल-:

जब वह रेस्टोरेंट में काम रहे थे तब दयावान व्यक्ति आए और विक्की को छोटी उम्र में काम करते हुए देखा तो उनसे रहा नही गया और विक्की को समझते हुए बोले तुम्हारी उम्र पढने लिखने की है ना की काम करने की फिर वह विक्की को सलाम बालक ट्रस्ट नाम की एक संस्था में लेकर आए 6 क्लास में दाखिला करवा दिया लेकिन जब वह दसवी की परीक्षा  दे रहे थे तब उन्हें 48 मार्क्स आए तो वह दुखी हो गए.

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लाइफ का टर्निंग पॉइंट-:

जब सन 2004 ट्रस्ट के अंदर फोटोग्राफी वर्कशॉप का आयोजन हुआ जिसमे शामिल होने के लिए ब्रिटिश फोटोग्राफर पिक्सी बेंजामिन आए हुए थे और विक्की ने उस दौरान फोटोग्राफी में दिलचस्पी दिखाते हुए फोटोग्राफी सीखने का आग्रह किया लेकिन विक्की को इंग्लिश नही आती थी जिसे उनका सपना अधुरा रह गया लेकिन वो कहते है न मेहनत करने वालो की हार नही होती और ऐसा ही हुआ विक्की को एक फोटोग्राफर एनी मान से मिलने का मौका मिला विक्की काम सिख्नेही नही बल्कि खर्चे केलिए भी 3000 रूपये मिलने लगे.

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ट्रस्ट ने दिलवाया कैमरा-:

सलाम बालक त्रस्त को छोड़कर विक्की किराए के घर में रहने लगे और उन्हें कैमरा खरीदने के लिए ट्रस्ट से लोन भी हो गया और इसके लिए हर महीने उनको 500 किश्त चुकानी रहती है जिसकी वजह रात में उन्हें होटल में वेटर का काम करना पड़ा 2007 में विक्की ने INDIA HABITAT CENTER में अपनी फोटोग्राफी की पहली exhibition लगाई जिसमे इनकी किस्मत चमक गयी और बहुत फेमस हो गए.

यह अवार्ड रहे इनके नाम-:

विक्की को विदेश का दौरा करते समय रामनाथ फाउंडेशन के लिए फोटोग्राफी करने की ऑफर मिला और वहा य्न्होने ट्रेड सेंटर में के पुनर्निर्माण की फोटोग्राफी की स्टडी की जब वह इंडिया लौटे तो तो उन्हें सलाम ट्रस्ट के द्वारा इंटरनेशनल आवर्ड फॉर यंग पीपल और के पुनर्निर्माण की फोटोग्राफी की स्टडी की से नवाजा गया.Biography of photographer Vicky Roy in Hindi

पहली किताब-:

अपने दोस्त के साथ मिलकर विक्की सन 2011 में विक्की ने स्टॉक फोटोग्राफी लाइब्रेरी बनाई ताकि वह लोग किताब खरीद सके जो पैसो की कमी कारण किताब खरीद नही पाते है फिर 2013 में विक्की का सिलेक्शन 8 अन्य फोटोग्राफरों के साथ MISSION COVER SHOT के लिए हुआ जिसके लिए वह श्रीलंका गए और अपनी पहली किताब HOME STREET HOME लिखी जिसे NAZAR FOUNDATION द्वारा पब्लिश किया गया.

विक्की आज उनके INSPIRATION जो हालत के कदमो पर झुककर हार मान लेते है विक्की का यह भी कहना है की सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता नही उसके लिए जिन जान से मेहनत करनी पड़ती है.

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