जब मौका मिले, हमेशा हंसते रहना क्योकि इससे सस्ती दुनियां में कोई दवा नहीं है, मशहूर कवि जॉर्ज गॉर्डन बायरन का यह मत बिलकुल सही है. तनाव भरी जिंदगी में मनुष्य को सबसे ज्यादा जरूरत हंसी की है, क्योकि जब हम हसते है तो अपनी सभी समस्याओ को भूल जाते है, उस समय हम उस वर्तमान को खुलकर जीते है, जो हमारे सामने होता है. जीवन मे जितना आसान हँसना होता है, उससे ज्यादा मुश्किल किसी को हँसाना होता है.
किसी को हँसाना भी एक कला है जिसे अब मनोरंजन का अहम हिस्सा बना लिया गया है. पहले के दोर मे सर्कस में जोकर दर्शको का मनोरंजन कर उन्हे हँसाता था. फिर समय के साथ यह काम टीवी के माध्यम से होने लगा, टीवी ने लोगो का काफी मनोरंजन किया. जिससे दुनियां में कई बड़े बड़े कॉमेडियन आए जिन्होंने लोगो को हँसना सिखा दिया. आज हम आपको एक ऐसे ही बॉलीवुड के मशहूर कॉमेडियन जोनी लीवर के बारे मे बताने वाले है, जिन्होंने दर्शको को हँसाने के लिए काफी मेहनत की.
बॉलीवुड में वैसे तो एक से बढकर एक कॉमेडियन है, लेकिन पहला स्टैंडअप कॉमेडियन जॉनी लीवर को ही माना गया है. इसाई परिवार में 14 अगस्त 1956 को जन्म लेने वाले जॉनी लीवर का असली नाम जॉन प्रकाश राव है. बॉलीवुड मे अपने करियर के शुरुआती दोर मे जॉनी लीवर मिमिक्री किया करते थे, जिसके फलस्वरूप आज वह बॉलीवुड के एक हास्य कलाकार के रूप में मशहूर है. जॉनी लीवर को अब तक 13 फिल्मफेयर अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है.
350 से भी अधिक फिल्मो में अभिनय करने वाले जॉनी को लोगो ने उनकी कड़ी मेहनत को देखते हुये एक कॉमेडियन के रूप में स्वीकार कर उन्हे कॉमेडी का किंग बना दिया.
परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत न हो तो मुंबई में सपने पुरे करना और भी मुश्किल हो जाता है. ऐसा ही कुछ जॉनी लीवर के साथ भी था. वह घर में अपने दो भाई और तीन बहनो में सबसे बड़े थे, जिसके कारण जिम्मेदारियो के नीचे दबे हुये थे. उन्होंने आन्ध्रा एजुकेशन सोसाइटी हाई स्कूल में अपनी पढाई की शुरुआत कर महज सातवी क्लास के बाद ही स्कूल छोड़ कर काम के लिए मुंबई आ गए.
शुरुआत मे उन्होने मुंबई में पैन बेचने का कम किया, वह बॉलीवुड गानों पर मनोरंजन करते हुये पैन बेचा करते थे. पिता प्रकाश राव जानुमाला ने जॉनी को हिंदुस्तान यूनिलीवर की फैक्ट्री में काम करने के लिए बुला लिया, वह पर भी वह अपने साथियों का काफी मनोरंजन कर दिल जीत लेते थे. जहा पर उनके सहकर्मियों ने ही जॉनी लीवर नाम दिया.
जॉनी लीवर के अंदर के मिमिक्री कलाकार को राम कुमार और प्रताप जैन ने पहचान कर उन्हें स्टेज शो करने का अवसर दिया, जहाँ उनकी कॉमेडी का जादू लोगो पर चल गया. 1982 में जॉनी को पहली बार संगीतकार कल्यानजी-आनंदजी एवं अमिताभ बच्चन के साथ स्टेज शेयर करने का सुनहरा अवसर मिला.
एक स्टेज शो के दौरना सुनील दत्त ने जॉनी लीवर के टैलेंट को पहचानते हुये अपनी फिल्म दर्द का रिश्ता में एक रोल भी दे दिया, जिसके बाद उन्हे कई छोटे-मोटे रोल मिलना शुरू हो गए. उन्होने एक ऑडियो कैसेट कम्पनी मे भी काम किया, जो हंसी के हंगामे नामक कार्यक्रम बनाते थे,
अब तक जॉनी कई स्टेज और फिल्मो में रोल कर चुके थे,हालाकी अभी तक उन्हे कोई बड़े बजट की फिल्म नही मिली थी, जहा से उन्हे अधिक सफलता मिल सके. एक बार उन्होंने एक कार्यक्रम में भाग लिया, जहां पर बॉलीवुड के कई बड़े-बड़े सितारो के साथ निर्देशक भी आये हुए थे. जहा अपनी काला का प्रदर्शन कर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, जिसका उन्हे फल भी मिला. निर्देशक गुल आनंद ने उन्हें फिल्म जलवा के लिए रोल ऑफर कर दिया. इस फिल्म की सफलता ने उन्हे औपचारिक रूप से एक हास्य कलाकार के रूप में काफी ख्याति प्रदान की.
जॉनी लीवर के लिए पैन बेचने से लेकर कॉमेडियन बनने तक का सफर आसान नही था, लेकिन उन्होने मेहनत और अपने टेलेंट के डैम पर व्फ़ह आज इस मुकाम पर पहुंच गए है. वह आर्टिस्ट असोसिएशन के प्रेसिडेंट भी हैं. साथ ही मिमिक्री आर्टिस्ट असोसिएशन मुंबई के अध्यक्ष के प पर भी है.