राजस्थान की पहली ट्रांसजेंडर इंजीनियर बनीं मालिनी दास, युवाओ के लिए हैं प्रेरणा

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ट्रांसजेंडर को हमारे समाज में अलग-अलग नजरिए से देखा जाता हैं, उन्हे समाज का एक हिस्सा न समझते हुए अलग समझते हैं, लेकिन जिन ट्रांसजेंडर्स को समाज अपनाने से इंकार करते हैं, वही अब हर किसी के एक मिसाल बनते जा रहे हैं.

आज हम आपको 22 वर्षीय ट्रांसजेंडर मालिनी दास के बारे में बताएँगे जो राजस्थान की पहली ट्रांसजेंडर इंजीनियर बन कर समाज में अपनी अलग ही पहचान बना कर दुनिया को दिखा दिया की वह इस समाज से अलग नहीं हैं.

बताया जा रहा है की मालिनी अपने समुदाय की पहली ट्रांसजेंडर इंजीनियर हैं. मालिनी नें अपनी शिक्षा जयपुर में प्राइवेट यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग कर पूरी की हैं. अब उन्होने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूर्ण कर ली है.

बंगाल के बेरहमपुर में जन्म लेने वाली मालिनी शिक्षा ग्रहण करने के लिए जयपुर आई थीं. एक समय था जब उन्हे दुतकारते थे, लेकिन आज के समय में दूसरे व्यक्तियों के साथ मालिनी ट्रांसजेंडर की बुलंद आवाज बन गई है,

मालिनी इतनी उपलब्धियों को हासिल कर काफी खुश हैं. वह अभी जयपुर में ही बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) में कार्य कर रही हैं.

शिक्षा के लिए गंभीर और

मालिनी के अनुसार उनके लिए इस उपलब्धि को हासिल करना काफी मुश्किलों वाला काम था. वह इस बात को भली भाति जानती थी, की शिक्षा के माध्यम से ही समाज में काफी बदलाव आ सकता हैं. जिसके बाद वह पढ़ाई के प्रति अत्यधिक गंभीर हो गई , और मेहनत करती गई. उन्होने अपनी स्कूल की शिक्षा बेरहमपुर के केंद्रीय विद्यालय से प्राप्त की.

12वीं उत्तीर्ण करने के बाद 2014 में उनका JEE में सिलेक्शन हुआ और इंजीनियरिंग कॉलेज में अपना सपना पूरा करने का अवसर मिला, जिसमें परिवार के साथ दोस्तों नें भी काफी सपोर्ट की. जिस वजह से उन्हे कभी इस बात का एहसास भी नहीं हुआ की ट्रांसजेंडर दूसरे लोगो से बहुत अलग होते हैं.

मालिनी नें इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने के बाद भी अपनी शिक्षा को जारी रखते हुए कॉरेस्पॉन्डेंस से मीडिया साइंस एवं कम्युनिकेशन में मास्टर की शिक्षा हासिल कर रही हैं. मालिनी कहती है, की जीवन में आप तभी सफल हो सकते हैं जब आपके द्वारा लिया गया निर्णय सही हो.

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