भारत में गूगल ब्वॉय ही नहीं गूगल बेबे भी हैं, जिनका दिमाग कंप्यूटर से भी तेज है

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हमारे देश में प्रतिभावान लोगों की कमी नहीं है, बस कमी है तो उनको खोज निकालने की. जहां एक तरफ 8साल के कौटिल्य को भारत का ‘गूगल ब्वॉय’ कहा जाता है. वहीं अपने देश में एक ‘गूगल बेबे’ भी हैं. जिनकी उम्र 55साल है वे केवल कक्षा 4 तक ही पढ़ी हैं, लेकिन उन्हें देश-दुनिया की छोटी-बड़ी जानकारियां मुंह जबानी याद है. उनका आइक्यू सामान्य से कई प्वाइंट अधिक है. उनकी याददाश्त हम सबको चौंकाती हैं.

भारत की गूगल बेबे

पंजाब के जिला फतेहगढ़ साहिब के गावं मनैला निवासी 55साल की कुलवंत कौर अपने जिले में सेलिब्रिटी बन चुकी हैं. लोग उनके साथ फोटो खिंचवाने उनके घर आते हैं. उनका ऑटोग्राफ लेते हैं. कुलवंत को हर सवाल का जवाब रटा रहता है इसलिये इलाके के लोग ‘गूगल बेबे’ के नाम से पुकारते हैं.

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पलक झपकते देती हैं जवाब

इलाके के लोगों की माने तो आर्थिक तौर पर कमजोर परिवार से संबंधित कुलवंत कौर (गूगल बेबे) की जिंदगी में अभी तक तो ऐसा कभी नहीं हुआ कि जब किसी के द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देने में वह असमर्थ रही हो. आजकल स्कूलों में गूगल बेबे को विशेष तौर पर बुलाया जा रहा है. जिस दौरान बच्चों द्वारा गूगल बेबे को विभिन्न प्रकार के सवाल पूछे जाते हैं, जिनका बिना पलक झपके गूगल बेबे इस प्रकार जवाब देती है जैसे पूरी दुनिया का ज्ञान उनके अंदर समाया हो.

सिर्फ कक्षा 4 तक ही पढ़ी हैं कुलवंत कौर

गौरतलब है कि कुलवंत कौर को सिर्फ 4 कक्षाओं तक ही पढ़ाई करने का मौका मिला, फिर भी उन्हें हर ग्रंथ का ज्ञान है. गूगल बेबे का कहना है कि जब भी कोई किताब वह एक बार पढ़ लेती है, तो उसे दोबारा पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ती. गूगल बेबे को भगवान की यह नहमत ही है कि अच्छे-अच्छे विदवानों द्वारा पूछे जाने वाले मुश्किल से मुश्किल प्रश्नों के गूगल बेबे झट जवाब दे देती है. पूछने पर कुलवंत कौर का कहना है कि बच्चों को ज्ञान हासिल करने के लिए ज्यादा से ज्यादा किताबें पढ़नी चाहिए.

पिता से मिली प्रेरणा

दरअसल गूगल बेबे के पिता प्रीतमसिंह का जन्म लाहौर में हुआ था. वह इंजीनियर थे और काम के सिलसिले में आगरा आए हुए थे. वहीं पर कुलवंत कौर का जन्म हुआ. गूगल बेबे ने बताया कि बचपन में जब वह आगरा में रहती थी तो उनके घर एक कपड़ा व्यापारी रामलाल (डग्गी वाला) आता था और उनके पिता जी से घंटो बैठकर हर धर्म के बारे बातें करता था. वहीं कुलवंत बैठकर अपने पिता और डग्गी वाले की बातें सुनती थी और यही बातें उनकी जहन में आजतक बसी हुई हैं.

पढ़ चुकी हैं इतनी किताबें

गूगल बेबे ने अब तक हिस्टरी ऑफ इंडिया, हिस्टरी ऑफ पंजाब, डिस्कवरी ऑफ इंडिया, डिस्कवरी ऑफ पंजाब समेत भारतीय इतिहास में आर्य लोगों का आगमन, भारत पर हमला और राज किया, यहूदी, ईसाई, इस्लाम, बोधी, हिंदू, सिख आदि धर्म गुरुओं उनके माता-पिता, उनकी शिक्षाओं, लिखित वाणियों, उपदेशों आदि की जानकारी भी उन्हे मुंहजबानी याद है.

गूगल बेबे को किया जा रहा सम्मानित

कुछ दिन पहले गूगल बेबे बाबा बंदा सिंह बहादुर इंटरनेशनल फाउंडेशन लुधियाना में केके बावा द्वारा करवाए समारोह में अंतरराष्ट्रीय समाज सेवक एसपी सिंह ओबरॉय की नजरों में आई तो उन्होंने बेबे के घर आकर आर्थिक तौर पर पहले उनकी 3 हजार रुपये महीना पेंशन लगाई. वहीं दूसरी तरफ जल्द ही शिरोमणि कमेटी द्वारा गूगल बेबे को विशेषतौर पर सम्मानित किया जाएगा.वहीं बेबे आगे की पढ़ाई पढ़ने के लिये पंजाब यूनिवर्सिटी में दाखिला लेना चाहती हैं ताकि वे धर्म अध्ययन विषय पर पीएचडी कर सकें.

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