Paytm कैसे बनी 10 रुपये से 35 हजार करोड़ की कम्पनी

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दोस्तों कई बार लोग लगातार मिल रही असफलताओं से घबरा जाते हैं जिसकी वजह से फ्यूचर में मिलने वाली सफलता उन्हें नहीं मिल पाती है और फिर अपनी किस्मत और हालात को दोष देते हैं लेकिन मेहनत कैसे किस्मत बदलती है कोई इनसे सीखे हम बात कर रहे हैं।

कौन है विजय शेखर शर्मा :-

विजय शेखर शर्मा जो मशहूर पेमेंट कंपनी पेटीएम के सीईओ और फाउंडर है जिनका करोड़ों का नहीं अरबो का बिजनेस है विजय शेखर शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक मिडिल क्लास फैमिली में हुआ था। इनकी मां एक हाउसवाइफ और पिता एक स्कूल टीचर थे जो कोचिंग क्लास पढ़ा कर पैसे कमाने को भी अनेतिक मानते थे।

कैसा रहा इनका बचपन :-

विजय को आमिर बच्चों की तरह ऐसो आराम तो नहीं मिले लेकिन अपने माता-पिता से संस्कार भरपूर मिले। विजय की शुरूआती पढ़ाई एक हिंदी मीडियम स्कूल से हुई विजय पढ़ाई में बचपन से ही बहुत तेज थे और हमेशा क्लास में फर्स्ट आते थे अपनी काबिलियत के दम पर 14 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने 12वीं क्लास पास कर ली थी।

कॉलेज की पढाई :-

कॉलेज की पढ़ाई के लिए विजय ने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिया एडमिशन तो मिल गया लेकिन आगे की राह आसान नहीं थी। शुरू से ही हिंदी मीडियम में पढ़ाई करने के कारण विजय की इंग्लिश काफी कमजोर थी जिसकी वजह से कॉलेज के दिनों में इन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा।

हिंदी मीडियम में बचपन से होशियार विजय को कॉलेज की पढ़ाई में कई परेशानियां आने लगी जिसकी वजह से विजय कॉलेज से बंक मारने लगे। विजय के मन में कई बार पढ़ाई छोड़ कर घर आने का विचार आया लेकिन किसी भी तरह से वो पढ़ाई में डटे रहें उन्होंने ठान लिया था की अब इंग्लिश सीख कर ही रहेंगे।

हिंदी mediam के विजय का इंग्लिश सिखने का अनोखा तरीका :-

विजय ने अपने दोस्तों की मदद से अंग्रेजी सीखने की ठान ली और उन्होंने एक अनोखा तरीका अपनाया वह एक ही किताब का हिंदी और इंग्लिश वर्जन खरीद लाते हैं और दोनों को एक साथ-साथ पढ़ते हैं।

विजय की इच्छा शक्ति :-

इंसान की सबसे बड़ी ताकत उसकी इच्छा होती है जिसके दम पर वह कुछ भी कर सकता है अपनी इसी इच्छाशक्ति के दम पर उन्होंने जल्द ही इंग्लिश पर अपनी पकड़ बना ली क्लासेस बंक करने के कारण उनके पास बहुत समय होता था।

अपने खाली समय का कैसे उपयोग किया :-

इस समय में विजय जैक माँ से इंस्पायर होकर इंटरनेट के क्षेत्र में कुछ बड़ा करना चाहते थे याहू की वेबसाइट स्टैनफोर्ड कॉलेज में बनी थी इसीलिए वहा जाकर पढ़ना चाहते थे लेकिन अपनी फाइनेंसियल कंडीशन और इंग्लिश की कमजोर नॉलेज के कारण उनका सपना अधूरा रह गया |

विजय किनको अपना आदर्श मानते थे :

विजय इसी कॉलेज के कुछ जीनियस स्टूडेंट और टीचर को फॉलो करते थे और अपना आदर्श मानते थे उनसे कोडिंग भी सीख रहे थे उन्होंने किताबों से पढ़कर भी कोडिंग सीखी और खुद का कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम तैयार कर लिया।

पहली कंपनी :-

द इंडियन एक्सप्रेस के अलावा कई अखबार इसका उपयोग करने लगे उन्होंने कॉलेज के थर्ड ईयर में अपने एक दोस्त के साथ मिलकर XS नाम की कंपनी की शुरुआत की उनका यह बिजनेस मॉडल बहुत से लोगों को पसंद आया 1999 में विजय ने XS कंपनी को USA की लोटस इंटर वर्क कंपनी को पांच लाख डॉलर में बेच दिया और इसी कंपनी में वह एक एंप्लॉय के रूप में काम करने लगे पर दूसरों की नौकरी करना विजय को पसंद नहीं आया।

नौकरी छोड़ के बिजनेस शुरू किया :-

उन्होंने जल्द ही नौकरी छोड़ दी क्योकि बिजनेस के सबसे तेज दिमाग वाले विजय खाली कैसे बैठ सकते थे |उनका दिमाग नया बिजनेस सोचने में लग गया उसके बाद उन्होंने 2001 में वन 97 नाम की कंपनी शुरु की और इस कंपनी में विजय ने अपनी सारी जमा-पूंजी लगा दी |लेकिन डॉट कॉम बस्ट के कारण उनकी कंपनी नहीं चली बिजनेस फेलियर कंपनी को तोड़ देते है |

बिजनेस में नुकसान के बाद क्या हुआ :-

कंपनी के फेलियर के कारण विजय के पार्टनर ने भी उनका साथ छोड़ दिया विजय कंपनी के नुकसान में जाने की वजह से बहुत दुखी हुए लेकिन उन्होंने हार नहीं और अपना संघर्ष जरी रखा जिस वजह से विजय को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा। इस मुश्किल समय में विजय को दिल्ली के कश्मीरी गेट के पास एक छोटे से होटल में रहना पड़ा। एक समय ऐसा भी आया जब पैसा बचाने के लिए इंहें अपना सफ़र पैदल ही तय करना पड़ता था कभी कभी तो ऐसा वक्त आया जब विजय को अपनी भूख मिटाने के लिए दिन में सिर्फ दो कप चाय पर ही रहना पड़ता था।

वो कहते हैं ना कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती विजय की कोशिश भी रंग लाने लगी जीएसएम और सीडीएमए मोबाइल ऑपरेटरों को इनोवेटिव फीचर प्रोवाइड करने वाली उनकी कंपनी वन 97 धीरे-धीरे पटरी पर आने लगी और प्रॉफिट कमाने लगी।

Paytm का आईडिया कैसे आया  :-

विजय समय की नब्ज पकड़ने में माहिर थे बाजार में स्मार्टफोन बहुत तेजी से पॉपुलर हो रहे थे और यही से उनके दिमाग में कैशलेस ट्रांजेक्शन का आईडिया आया उन्होंने one 97 के बोर्ड के सामने पेमेंट इको सिस्टम में एंट्री करने का सिस्टम भी रखा लेकिन यह एक नॉन एग्जिटिंग मार्केट था और कंपनी एक अच्छा प्रॉफिट कमा रही थी इसलिए कोई भी यह रिस्क उठाने के लिए तैयार नहीं था।

विजय चाहते तो अपने इस आईडिया अपनी अलग कंपनी खोल सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया उनका कहना था कि कोई और पार्टनर होता तो वह अपनी इक्विटी बेचकर अपनी खुद की कंपनी खड़ी कर सकता था लेकिन मेरी इच्छा 100 साल पुरानी कंपनी बनाने की है मेरा मानना है कि मैन एंड वॉइस इसलिए अलग है क्योंकि वॉइस एक झटके में कंपनी बेच देते हैं और  मैन कंपनी चलाते हैं और एक विरासत का निर्माण करते हैं।

paytm की शुरुवात :-

विजय ने अपनी पर्सनल इक्विटी का एक परसेंट अपने पर्सनल बिजनेस में लगाने के लिए रखा और 2001 में Paytm नाम की एक नई कंपनी की शुरुआत की प्रारंभिक दौर में Paytm प्रीपेड रिचार्ज और डीटीएच रिचार्ज की सुविधा देने लगे फिर विजय ने अपनी कंपनी को बढ़ाने का सोचा और बाकी  चीजों पर ध्यान देना शुरू किया और फिर इलेक्ट्रिसिटी बिल और गैस का बिल देने की सुविधा की शुरुआत की paytm ने धीरे-धीरे अन्य कंपनियों की तरह ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की सुविधाएं शुरू कर दी।

paytm की सफलता के कारण :-

इसके बाद paytm ने ऑनलाइन सामान भी बेचना शुरू कर दिया और फिर हाल ही में हुई नोटबंदी ने पेटीएम को जमीन से आसमान पर पहुंचा दिया और paytm के लिए एक लॉटरी का काम किया देखते ही देखते पेटीएम करोड़ों लोगों की जरूरत बन गया वर्तमान समय में पेटीएम भारत की  सभी राज्य में अपनी सेवा प्रदान कर रहा है ।

आज Paytm भारत की सबसे पोपुलर ऑनलाइन पेमेंट साइट है और इसका कुल कारोबार 15000 करोड़ के पार पहुंच चुका है इकनॉमिक टाइम्स ने विजय शेखर शर्मा को इंडिया होटेस्ट बिजनेस टाइम्स ने 40 साल से कम उम्र के युवाओ में चुना है।

विजय उन लोगों के लिए एक आदर्श है जो अपनी मेहनत के दम पर कुछ बनना चाहते हैं यह उस इंसान की कहानी है जिसने मिलियन डॉलर्स कंपनी का सपना तब देखा था जब उनकी जेब में ₹10 भी नहीं थे | उस चीज को करने में कोई मजा नहीं है जो दूसरे आपसे करने के लिए कहे , असली मजा तो उस बात में है जब लोग कहें कि यह तुम नहीं कर सकते हो |

सफलता के सूत्र :-

जिंदगी बदलने के लिए लड़ना पड़ता है और आसान करने के लिए समझना पड़ता है वक्त आपका है चाहो तो सोना बना लो और चाहो तो सोने में गुजार दो। कुछ अलग करना है तो भीड़ से हटकर चलो भीड़ साहस तो देती है पर पहचान छीन लेती है।

मंजिल ना मिलने पर भी तब तक हिम्मत मत हारो जब उसे पा न लो। क्योंकि पहाड़ से निकलने वाली नदियों ने आज तक रास्ते में किसी से नहीं पूछा कि समंदर कितना दूर है दोस्तों अगर यह स्टोरी आपको अच्छी लगी हो तो इसे आप शेयर  कर सकते हैं और आप हमसे कोई स्टोरी शेयर करना चाहते हैं तो हमारे Facebook पेज पर हमसे संपर्क कर सकते हैं। धन्यवाद् 

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