सदाबहार गायक किशोर कुमार के जीवन के कुछ अनसुने किस्से…चार शादिया, हजारों गीत, पुरुस्कार और विवाद

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शादी हो या फिर पार्टी हर किसी को अधिक तड़क-भड़क गांव पर थिरकना पसंद होता है. लेकीन बीते ज़माने के कुछ नग्मे ऐसे है जो आज भी युवाओं को प्रेरित करते है. बीते जमाने के सुपस्टार और सदाबहार गानों की धुन पर दुनिया को नचाने वाले मशहूर गायक किशोर कुमार के द्वारा गाये गए गीत आज भी लोगो की जुबा पर है.

आज के युवाओ को रिमिक्स गानो के साथ अधिक शोर शराबे वाले गाने पसंद है. लेकिन इसके बावजूद भी हमारे युवा किशोर कुमार के नग्मों को सुनना भूलते नहीं है. उनकी प्यारी आवाज और और उनके सदाबहार नग्मे हर किसी को काफी पसंद आते है.

संगीत की दुनिया में किशोर कुमार एक ऐसा नाम है जिसे भुलाये नहीं भुलाया जा सकता यह नाम सदियों सदियों तक अमर रहेगा. भले ही वह हमारे बिच नहीं है लेकीन उनके द्वारा गाये गए गाने आज भी उनकी याद दिला देते है. उनके गांव को सुनकर हर कोई प्यार की वादियों में खो जाता है क्यों की उनकी आवाज में एक अजीब सी कशिश के साथ जादू भी था.

जन्म 

किशोर कुमार का जन्म मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में 4 अगस्त, 1929 को हुआ था. किशोर कुमार का असली नाम आभास कुमार गांगुली है, और उनके पिता का नाम कुंजीलाल गांगुली माता का नाम गौरी देवी है.

बहुमुखी प्रतिभा

किशोर कुमार सिर्फ एक गायक ही नहीं थे, वह गायक होने के साथ-साथ एक मशहूर अभिनेता भी थे. इतनी प्रतिभा होने के बाद हम उन्हें भारतीय सिनेमा का बहुमुखी प्रतिभा वाला व्यक्ति भी कह सकते है.

रूप एक कार्य अनेक

किशोर कुमार के द्वारा किये गए सभी कार्य वाकई काबिले तारीफ है. वह भारत के मशहूर गायक तो थे ही साथ ही वह हास्य कलाकार, प्रसिद्ध संगीतकार, निर्देशक होने के साथ-साथ संवेदनशील गीतकार भी थे.

आवाज का जादू

उनकी आवाज में एक जादू था जिसके चलते इतने वर्षो के बादभी के गीतों को पसंद किया आ जाता है. जब भी हम उनके नग्मों को सुनते है तो हम उनकी प्रतिभा की तारीफ किये बिना रह नहीं पाते है.

बचपन का नाम

किशोर कुमार के बचपन का नाम आभास कुमार गांगुली था. लेकिन आगे चलकर हर कोई उन्हें किशोर कुमार के नाम से जानने लगे.

पिता थे वकील

मशहूर गायक किशोर जी के पिता एक वकील थे. उनकी माता जी एक गृहणी थी. उन्होंने अपने पिता से कुछ हटकर सोचते हुए गायकी में अपना करियर बनाया.

परिवार

पिता कुंजीलाल गांगुली और माँ गौरी देवी की कुल तीन संतान थी. तीन भाई-बहनों में किशोर सबसे छोटे लड़के थे.

की थी चार शादिया

किशोर कुमार ने अपने जीवन में एक दो नहीं चार शादिया की थी. उनकी पत्नियों के नाम रुमा गुहा ठाकुर उर्फ रुमा घोष, मधुबाला, योगिता बाली, लीना चंदावरकर है.

पहली शादी

उन्होंने अपनी पहली शादी रुमा गुहा ठाकुर उर्फ रुमा घोष से की थी, रुमा एक मशहूर गायिका थीं. हालांकि किस्मत में सिर्फ रुमा के साथ आठ सालो का ही साथ था. किशोर और उनकी शादी उनकी 1950 से 1958 तक ही टिक पाई. और रुमा उन्हें छोड़ कर चली गई.

दूसरी शादी

किशोर कुमार ने दूसरी शादी 1960 में बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा मधुबाला से की थी. उनसे शादी करने के लिए किशोर कुमार ने अपना धर्म बदलकर इस्लाम धर्म को कबूल किया था. धर्म बदलने के बाद उन्होंने अपना नाम करीम अब्दुल रख लिया.

मधुबाला का निधन

किस्मत अब भी किशोर कुमार की परीक्षा ही ले रही थी. वर्ष 1969 में मधुबाला का स्वर्गवास हो गया और वह उन्हें छोड़ कर हमेशा हमेशा के लिए चली गई.

तीसरी शादी

मधुबाला के बाद किशोर कुमार अकेले पड़ गए थे. उस समय उनकी जिंदंगी में योगिता बाली आई और उन्होंने योगिता को अपनी पत्नी स्वीकार किया. हालांकि उनकी शादी महज दो साल ही चल सकी.

चौथी पत्नी

तीन शादिया करने के बाद भी किशोर कुमार अपने जीवन में अकेले ही थे उस समय उनके जीवन में लीना चंदावरकर आई जिन्होंने उनकी चौथी पत्नी बनना स्वीकार किया. लीना किशोर कुमार के अंतिम सास तक उनके साथ रही थी.

करियर

किशोर कुमार जब अपनी कॉलेज की शिक्षा ले रहे थे तो उनके बड़े भाई अशोक कुमार प्रसिद्ध अभिनेता के तोर पर फिल्म इंड्रस्ट्री में अपनी जगह बना चुके थे. अपने भाई को देखते हुए उन्होंने भी फ़िल्मी दुनिया में अपना करियर बनाने का निर्णय लिया.

निखरी प्रतिभा

छोटी- छोटी भूमिकाएं करते हुए उन्होंने अपनी प्रतिभा को और भी निखारा इस दरमियान उनकी प्रतिभा को देखा संगीत निर्देशक खेम चंद प्रकाश ने. उन्हने किशोर कुमार के अंदर छिपी प्रतिभा को पहचाना और उसे दुनिया के सामने लाने का प्रयास किया.

पहली फिल्म

1946 में महज 17 साल की उम्र में किशोर कुमार ने पहली बार फिल्म शिकारी में अभिनय किया.

गायक के रूप में

अभिनय के बाद उन्होंने गायक के रूप में 1948 में पहली बार फिल्म जिद्दी के लिए मरने की दुआए क्यु मांगू गीत गाया.

बनाये गीत

किशोर कुमार एसडी बर्मन के साथ गीत बना कर काफी प्रसिद्ध हुए साथ ही उन्होंने हास्य अभिनेता के तोर पर अपनी अच्छी पहचान बना ली थी.

कॉमेडी फिल्मे

किशोर कुमार ने हास्य अभिनेता के रूप में भी अपनी पहचान बनाई थी. उनकी प्रसिद्ध कॉमेडी फिल्मे नई दिल्ली (1957), नौकरी, आंदोलन, मुसाफिर फिल्मे प्रमुख है.

फिल्म का निर्दशन

1958 में पहली बार किशोर कुमार ने फिल्म का निर्माण कर उसका निर्देशन भी किया . उस फिल्म का नाम था चलती का नाम गाड़ी. जो उस समय की ब्लॉकबस्टर फिल्म साबित हुई थी.

असफल फिल्मो का सफर

एक समय ऐसा आया जब किशोर कुमार एक के बाद एक कई असफल फिल्मो के कारण काफी उदास हो गए थे और उन्होंने पूर्ण रूप से अभिनय को छोड़ने का निर्णय ले लिया.

पार्श्व गायन

फिल्मो में अभिनय की रह को छोड़कर उन्होंने पार्श्व गायन पर ही अपना पूरा ध्यान केन्दित किया. हालांकि उन्हें सफलता तो फिल्म आराधना के गांव से मिली. इस फिल्म के गाने ने उन्हें देश में फेमस कर दिया.

पहला स्थान

उनके गाने इतने प्रसिद्ध होने लगे की हर कोई दीवाना बन गया था. कई फिल्मे तो उनके गीत से ही सुपर हिट होती थी. एक समय ऐसा आ गया जब किशोर कुमार की प्रसिद्धि आस्मां चुने लगी और उन्होंने मशहूर गायक मो. रफी को भी दूसरे स्थान पर ला कर खड़ा कर दिया. उन्होंने पहला स्थान अपनी मोत तक बरकरार रखा था.

राजनीति

किशोर कुमात्र 1970 के दशक में राजनीती की तरफ अधिक आकर्षित हुए थे. इंदिरा गाँधी की एमरजेंसी के वक्त वह सबसे बड़े और मुख्य आलोचक थे.

मशहूर फिल्मे

किशोर कुमार ने अपने जीवन में 81 फिल्मों में अभिनय कर हर किसी को अपना दीवाना बना दिया. उनकी सर्वश्रेष्ट फिल्मे भाई भाई, आशा, मुसाफिर, मिस मेरी, चलती का नाम, शरारत, पड़ोसन मानी जाती है.

बंगाली फिल्म

किशोर कमार की प्रमुख बंगाली फिल्म 1958 की लुको चोरी मानी जाती है.

मशहूर गाने

किशोर कुमार ने अपने जीवन में एक से बढ़कर एक गाने बॉलीवुड को दिए है जिन्हे आज भी हम गुनगुनाते है. आज भी उनकी गानो की धुन सुनते ही मन आनंदित हो जाता है. उनके द्वारा गए गए गानो में कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन, इक लड़की भीगी भागी सी, में शायर बदनाम, जिंदगी का सफर, कोई हमदम न रहा, ओ मेरे दिल के चैन, तुम आ गये हो सर्वश्रेष्ट माने जाते है.

रिकॉर्ड

किशोर कुमार सभी के प्रिय गायको में से एक रहे है. 1969 से लेकर अपने अंतिम क्षणों तक गायक का पद नहीं छोड़ा. किशोर एकमात्र ऐसे गायक कलाकार थे जिन्हे आठ बार फिल्म फेयर एवार्ड प्राप्तं हुआ था.

किशोर कुमार पर आधारित फिल्म

फिल्म इंड्रस्ट्री के मशहूर फिल्म निर्देशक अनुराग बासु ने किशोर किमार के जीवन पर फिल्म बनाने का विचार किया है. इस फिल्म में रणवीर कपूर किशोर कुमार की भूमिका करते नजर आ सकते है.

अंतिम गीत

किशोर कुमार का अंतिम गीत 1988 में फिल्म वक्त की आवाज के लिए रिकॉर्ड किये गए गाने है.

लता मंगेशकर पुरस्कार

किशोर कुमार को लता मंगेशकर पुरस्कार (म.प्र.शासन) और ई.एम.ई. (लॉस एंजिलिस) से भी सम्मानित किया जा चूका है.

पुरुस्कार

फिल्म आराधना (1970) रूप तेरा मस्ताना
फिल्म अमानुष (1976) दिल ऐसा किसी ने मेरा
फिल्म डॉन (1979) खइके पान बनारस वाला
फिल्म थोड़ी सी बेवफाई (1981) हजार राहें मुड़के देखें
फिल्म नमक हलाल (1983) पग घुंघरू बाँध
फिल्म अगर तुम ना होते (1984) अगर तुम ना होते
फिल्म शराबी (1985) मंजिलें अपनी जगह है
फिल्म सागर (1986) सागर किनारे

1971 में फिल्म आराधना, अंदाज (1972), हरे राम हरे कृष्णा (1973) और फिल्म कोरा कागज (1975) के लिए किशोर कुमार को सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्वगायक के खिताब से सम्मानित किया गया.

विवाद :

किशोर कुमार नाम विवादों में उस समय छाया जब उन पर 1960 में आयकर चोरी का इल्जाम लगा था. इस घटना के बाद उनकी प्रतिष्ठा में कमी आई थी.

अमिताभ से विवाद

किशोर कुमार और अमिताभ बच्चन का विवाद काफी समय तक सुर्खियों में रहा था. कहा जाता है की अमिताभ बच्चन ने फिल्म ममता की छाव के लिए अपने गेस्ट अप्पेरेस का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था. जिसके चलते किशोर कुमार ने अमिताभ के लिए पार्श्व गायिकी के लिए मन कर दिया था लेकिन, कुछ समय बाद समझौते के बाद वह मान गए और फिल्म तूफ़ान के लिए उन्हें गीत गया था जो उनकी मृत्यु के बाद रिलीज हुई थी.

मिथुन चक्रवती से विवाद

अमिताभ के अलावा किशोर कुमार का विवाद डिस्को डांसर याने मिथुन के साथ भी हुआ था. यह विवाद मिथुन की पूर्व पत्नी योगिता बलि को लेकर हुआ था. लेकिन समय के साथ उनकी यह परेशानी भी हल हो गई. जब किशोर कुमार ने मिथुन के लिए फिल्म प्यार का मंदिर और डिस्को डांसर के लिए उन्होंने गीत गाये.

कांग्रेस ने लगाया प्रतिबंध

किशोर कुमार पर कांग्रेस ने दूरदर्शन और ऑल इण्डिया रेडियो पर 4 मई 1976 तक प्रतिबंध लगा दिया गया था. कहा जाता है की संजय गाँधी के कहने के बाद भी किशोर कुमार ने कांग्रेस पार्टी के लिए गाना गाने से मना कर दिया था. जिसके परिणाम स्वरूप उनकी साथ ऐसा किया गया था.उन पर लगाया गया यह प्रतिबंध आपातकाल तक चलता रहा था.

किशोर कुमार की मृत्यु

1986 में पहली बार किशोर कुमार को दिल का दौरा पड़ा. जिसके बाद वह खंडवा जाना चाहते थे. रिकॉडिंग करना भी बहुत कम कर दिया था. लेकिन अचानक 13 अक्टुम्बर 1986 को उन्हें दूसरा दिल का दौरा पड़ गाया और उनका देहांत हो गया.

जन्म स्थली पर हुआ अंतिम संस्कार

किशोर कुमार की जन्म स्थली खंडवा है जिसके चलते उनकी पार्थिव शरीर को खंडवा लाया गे और यही पर उनका अंतिम संस्कार किया गया.

आज वह हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके द्वारा गए गए गीत में वह आज भीं जीवित है. जब भी किशोर दा के नगमे सुनते है तो दिल में प्यार की धुन बजने लग जाती है. 

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