जज्बे को सलाम मौत को दी मात, कैंसर के बावजूद जिंदा रहे 102 साल

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“कल न हम होंगे न कोई गिला होगा, सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिललिसा होगा, जो लम्हे हैं चलो हँसकर बिता लें, जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा.” ये शायरी तो आपने कई बार सुनी होगी, लेकिन इसको सार्थक किया है अमेरिका के 102 साल के वृद्ध स्टैमेटिस मोराइटिस ने. आप सोच रहे होंगे कैसे? तो चलिये आपको सुनाते है उनकी लाइफस्टाइल से जुड़ी हैरान कर देने वाली कहानी…

सबसे घातक बीमारी पर विजय

अगर आप से पूछा जाए दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी क्या है, तो आप झट से जवाब देंगे कैंसर, जो लाइलाज बीमारी है. जिसका अभी तक इजाल नहीं किया जा सका है. इसे रोका जा सकता है लेकिन खत्म नहीं किया जा सकता. और अगर जिस व्यक्ति को ये घातक बीमारी हो जाती है उसकी जल्द ही मौत भी हो जाती है. ऐसा अक्सर आपने देखा होगा. लेकिन आज जो हम बताने जा रहे हैं ये वाकया थोड़ा अलग है.

कैंसर से लड़ें और जीए 102 साल

दरअसल, अमेरीका के स्टैमेटिस मोराइटिस को 60साल की उम्र में लंग्स कैंसर हो गया था. डॉक्टर्स ने भी जवाब दे दिया था कि अगर इनका सही से इलाज नहीं किया गया तो ये 6 महीने के अंदर मर सकते हैं. स्टैमेटिस ने अपनी इस बीमारी से बचने के लिये कुछ अलग तरीक अपनाया और अपने दैनिक जीवन में कुछ ऐसे बदलाव किये जिसके कारण वो 102साल तक जीन में कामयाब रहे. यहां हम आपको बताएंगे कि कैसे स्टैमेटिस मोराइटिस ने कैंसर से जंग जीती…

अपनी लाइफस्टाइल में ये किये बदलाव

जब मोराइटिस को पता चला कि उन्हे कैंसर है तो उन्होने कीमोथैरेपी नहीं करवायी. वे बीमारी से लड़ने के लिये पहाड़ी इलाके पर चले गए और खेती करने लगे. यहां उन्होने पूरा समय खुली हवा और धूप में बिताया. ऐसे में उनकी बॉडी में कई तरह के परिवर्तन हुए. मोराइटिस सुबह से शाम तक सिर्फ फ्रैश सब्जियां और फ्रूट्स ही खाते थे. वे बिना बीमारी की टेंशन लिए काम करते थे और हमेशा खुश रहते थे.

उनके रोज एक्सरसाइज और मॉर्निंग वॉक करने से बॉडी में एंडोर्फिन्स केमिकल रिलीज होता गया जो बॉडी को बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता रहा. इससे उनकी बॉडी में इम्युनिटी बढ़ती गई और उन्हे कैंसर से लड़ने की पॉवर मिलती रही. साथ ही मोराइटिस ने शुद्ध शाकाहारी बन गये वे केवल अपने द्वारा उगाए गए फल और सब्जी का ही सेवन करते थे. इस तरह उन्होने बिना किसी डॉक्टरी इलाज के 102 साल तक खुद को जीवित रखा.

सर्जन ने भी बताया

इस बारे में जब कैंसर सर्जन से बातचीत की गयी तो उन्होने बताया कि अगर किसी व्यक्ति को कैंसर की बीमारी है और अगर किसी भी व्यक्ति को कैंसर की बीमारी है और अगर उसे शुद्ध वातावरण मिले तो वह इस बीमारी से लड़ सकता है. साथ ही फिजिकल एक्टिविटी भी काफी जरूरी है. यानि व्यक्ति को रोज एक्सरसाइज और मॉर्निंग वॉक या कोई फिजिकल एक्टिव रहने वाला काम जरूर करना चाहिए.

कैंसर की बीमारी को रोकने के लिये

अगर आप अपने जीवन में कुछ बदलाव करके बड़ी से बड़ी बीमारियों के अपने शरीर में प्रवेस खरने से पहले ही रोक सकते हैं. उसमें से कुछ बदलाव हम आपको बताने जा रहे हैं.
शुद्ध शाकाहारी रहें

अगर आप मांसाहारी हैं और मीट खाना आपको बेहद पसंद है तो मीट पकाते समय इस बात का ध्यान रखें कि मीट को हमेसा धीमी आंच पर ही पकाएं. तेज आंच पर पकाने से मीट में मौजूद अमीनो एसिड टॉक्सिन में बदल जाता है, जो शरीर में जाकर कैंसर पैदा करने वाले तत्व को जिंदा करता है. इसलिये मीट को हमेशा लो फ्लेम पर पकाएं और पकाने से पहले उसमें सिरके का इस्तेमाल करें.

आउटफिट्स

वैज्ञानिकों ने बताया कि आपके कपड़े भी आपको स्किन के कैंसर से बचा सकते हैं. रिसर्च में भी यह साबित हुआ है कि नीले और लाल कपड़े सूरज की यूवी किरणों से हमें बचाते हैं.
स्मोकिंग इंजुरियस टू हेल्थ

वैसे भी धूम्रपान करना शरीर के लिये हानिकारक है. धूम्रपान करने से फेफड़े गले मुंह ब्लॉडर और ग्रीवा का कैंसर होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. निकोटीन में 4हजार से अधिक कैमिकल्स और 43अलग-अलग कैंसरजनक पदार्थ होते हैं.

रोज लें कॉफी

क्या आपको पता है जो लोग ज्यादा कॉफी पीते हैं उनको कैंसर का खतरा 39फीसदी कम होता है. जो महिलाएं एक दिन में 2 कप से ज्यादा कॉफी पीती हैं उन्हें ओवरी कैंसर की संभावना कम होती है. कम से कम 5 कप कॉफी कुछ प्रकार के ब्रेन कैंसर की संभावनाओं को 40 प्रतिशत तक कम करती है. एक दिन में कम से कम 3 कप कॉफी स्तन कैंसर की आशंका घटाती है.

कॉफी पीने वालों में लीवर कैंसर की संभावना 41 प्रतिशत तक कम होती है.

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