भारतीय सेना में भर्ती होने वाली पहली महिला अधिकारी प्रिया झिंगन

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Priya Jhingan Biography in Hindi –

प्रिया झिंगन का नाम देश की उन 25 महिला अधिकारियों की पहले बैच में शामिल है, जिन्हें साल 1993 में भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त हुआ था. उनके बारे में एक खास बात यह है कि प्रिया झिंगन चेन्नई अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी में कैडेट नंबर 001 (Indian Army officer and Lady Cadet No.1) बनी थीं. प्रिया झिंगन जिनके पिता पुलिस में एक अधिकारी थे इसकी वजह से प्रिया के दिल में बचपन से ही वर्दी पहन कर अपने देश की रक्षा करने का जुनून था.

आज के आर्टिकल में हम बात करेंगे प्रिया झिंगन कौन हैं? who is Priya Jhingan? प्रिया झिंगन की बायोग्राफी (Priya Jhingan Biography), प्रिया झिंगन का करियर (Priya Jhingan Career), प्रिया झिंगन की लाइफ स्टोरी (Priya Jhingan Life Story) आदि के बारे में. तो चलिए जानते हैं प्रिया झिंगन की जीवनी (Priya Jhingan Biography) को विस्तार से.

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कौन है प्रिया झिंगन (who is Priya Jhingan?) ?

प्रिया झिंगन का यह सोचना था कि एक बहुत बड़ी तनख्वाह वाली नौकरी करने के बजाय वर्दी पहनकर देश की सेवा करना बेहतर है इसलिए प्रिया ने भारतीय आर्मी (Priya Jhingan in Indian Army) ज्वाइन करके यह साबित कर दिया कि महिलाएं  किसी भी मामले में किसी से कम नहीं हैं.

इंडियन आर्मी में महिला भर्ती की शुरुआत कब से हुई ? (When did women recruitment start in Indian Army?)

साल 1992 से पहले भारतीय सेना में किसी महिला को प्रवेश नहीं मिलता था लेकिन इसके बाद प्रिया झिंगन ने उस समय सेना प्रमुख जनरल सुनीत फ्रांसिस को एक पत्र लिखकर सेना में लड़कियों की भर्ती का मुद्दा उठाया था.

प्रिया का सोचना था कि लड़कियां किसी भी मामले में लड़कों से कम नहीं है इसलिए उन्हें भी लड़कों की तरह सेना में भर्ती होने का अधिकार मिलना चाहिए. क्योंकि प्रिया झिंगन एक पुलिस अधिकारी (Priya Jhingan father Police Officer) की बेटी थी इसलिए बचपन से ही उनके दिल में वर्दी पहनकर देश की सेवा करने का जुनून था. प्रिया का मानना था कि एक बहुत बड़ी तनख्वाह वाली नौकरी करने के बजाए देश की वर्दी पहनकर देश की सेवा करना गर्व की बात है .

प्रिया का क्या कहना है ?

प्रिया झिगन (Priya Jhingan) ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैं अपने देश के लिए कुछ ऐसा करना चाहती हूं जो शायद अभी तक किसी लड़की ने नहीं किया. इसीलिए प्रिया ने उस समय जो भारतीय सेना प्रमुख जनरल सुमित फ्रांसिस थे उन्हें एक पत्र लिखा और उनसे इस बात के लिए आग्रह किया कि भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए महिलाओं को भी पात्रता दी जाए. उनके पत्र का जवाब देते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि वह अगले 2 सालों में किसी भी तरह से महिलाओं की भारतीय सेना में भर्ती व्यवस्था करेंगे. इस वजह से प्रिया को अपने भारतीय होने का गर्व हुआ.

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प्रिया झिंगन की कैसे ट्रेनिंग हुई ? (How Priya Jhingan’s Traning Started?)

जब 1992 में एक अखबार में महिलाओं के सेना में भर्ती होने का विज्ञापन जारी हुआ तो प्रिया को अपना सपना पूरा करने का रास्ता मिल गया. इसके बाद प्रिया ने अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत सेना में अपनी जगह सुनिश्चित की और चेन्नई में स्थित ऑफिसर ट्रेनिंग अकैडमी में अपने सपने को पूरा करने के लिए निकल पड़ी.

प्रिया झिंगन के अधिकारी बनाने की कहानी (Priya Jhingan achievements) :-

सेना में अधिकारी बनने वाली प्रिया पहली महिला थीं इस कारण प्रिया को एनरोलमेंट नंबर-001 मिला. इस ऐतिहासिक नंबर को प्रिया हमेशा याद रखती हैं. प्रिया के साथ कुल 25 महिलाएं थीं और इस पहली बेच ने देश में महिलाओं के लिए भारतीय आर्मी के रास्ते खोल दिए .

एक महिला सैन्य अधिकारी के तौर पर प्रिया अपने अनुभव को साझा करते हुए कहती हैं कि पुरुष प्रधान इस देश में अपनी उत्कृष्टता का परिचय देना मुश्किल तो है लेकिन नामुमकिन नहीं है. अगर आपके दिल में इच्छा हो तो आप सब कुछ हासिल कर सकते हैं. प्रिया बताती है कि ऑफिस एकेडमी में ट्रेनिंग के दौरान उन्हें गर्म पानी, ट्यूबलाइट जैसे छोटी-छोटी बुनियादी सुविधाओं के लिए गुहार लगाना पड़ी थी .

प्रिया झिंगन को ट्रेनिंग में क्या परेशानियां हुई ?

महिला होने के बावजूद प्रिया झिंगन का कहना है कि उनकी बेच पर कोई नरमी नहीं बरती जाती थी. उन्हें भी पुरुषों की तरह ही ट्रेनिंग दी जाती थी. एक बात याद दिलाते हुए प्रिया ने बताया था कि उन्हें उस वक्त बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई जब ट्रेनिंग के दौरान महिला केडेट और पुरुष केडेट को एक ही पूल में भेज दिया गया था. लेकिन प्रिया समेत सभी महिलाओं ने इसके लिए विरोध जाहिर किया और इसके बाद अधिकारियों को अपने आदेश बदलना पड़े.

प्रिया झिंगन का पहला कोर्ट मार्शल ?

प्रिया बताती हैं कि एक बार उनके कमरे में एक जवान शराब पीकर घुस आया था. जिसके खिलाफ प्रिया ने शिकायत दर्ज करवाई और उसका कोर्ट मार्शल भी कराया. एक साल तक कड़ी ट्रेनिंग के बाद 6 मार्च 1993 को प्रिया सेना एक अधिकारी के रूप में निकलकर बाहर आईं.

प्रिया झिंगन की पढ़ाई :

प्रिया लॉ ग्रेजुएट थीं लेकिन उनका मन आर्मी की इन्फैंट्री डिवीजन में जाने का था. उन्होंने काफी अनुरोध किया लेकिन फिर भी उनकी नियुक्ति जज एडवोकेट जनरल के तौर पर हुई क्योंकि उस वक्त महिलाओं के लिए आर्मी की कॉम्बैट पॉजिशन खाली नहीं थी. इसी वजह से प्रिया को जो नियुक्ति दी गई उन्हें उसी को स्वीकार करना पड़ा .

सेना प्रमुख प्रिया झिंगन के बारे में क्या कहते हैं?

साल 2017 जून में सेना प्रमुख बिपिन रावत ने एक घोषणा की थी कि जल्द ही कॉम्बैट ग्रुप में भी महिलाओं के प्रवेश के नियम बनाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि जल्द ही इसके लिए महिलाओं की नियुक्ति की जाएगी, मिलिट्री पुलिस के लिए भी महिलाओं की नियुक्ति की जाएगी. लेकिन इस सब की शुरुआत आज से 25 साल पहले प्रिया और प्रिया जैसी महिला 25 महिलाओं ने कर दी थी .

फिलहाल आर्मी में महिलाओं को सेना में मेडिकल, लीगल, एजुकेशनल और इंजीनियरिंग विंग में ही प्रवेश मिलता है. प्रिया अपनी सबसे अच्छी यादों में से बताती है कि जब पहली बार उन्होंने अपनी सेवा में कोर्ट मार्शल किया था, वह उनकी जिंदगी का सबसे यादगार पल है.

उस समय कोर्ट मार्शल के दौरान कार्यवाही देखने वाले अधिकारी कर्नल थे और जब उन्होंने प्रिया से पूछा कि प्रिया यह आपका कौन सा कोर्ट मार्शल है ? तब प्रिया ने कहा कि यह उनका छठा कोर्ट मार्शल हैं. जबकि वास्तविकता में यह प्रिया का सबसे पहला कोर्ट मार्शल केस था. लेकिन जब केस खत्म होने के बाद अधिकारियों को पता चला कि यह प्रिया का पहला कोर्टमार्शल केस था तब उनकी कार्यवाही और समझदारी को देखकर सभी हैरान रह गए थे और उनकी सराहना करने लगे थे.

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