इंदौर के सलीम खान जो आए तो हीरो बनने के लिए बन गए बॉलीवुड के स्क्रीन राईटर

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कुछ ही इंसान का जीवन किसी फ़िल्मी जैसी होती है. वो बंबई आए तो हीरो बनने थे, लेकिन बन गए एक लेखक. ऐसे लेखक जिन्होंने बॉलीवुड में स्क्रीन राइटर के रूप में अपना बड़ा योगदान दे चुके है. इन्होने सत्तर के दशक के हिन्दी सिनेमा को बिल्कुल बदल डाला था. इन्होंने मसाला फिल्मों के वो किरदार पर्दे पर पेश किए, जिसे एक पूरी पीढ़ी अपना आदर्श, अपना हीरो मानती रही.

सलीम खान का जन्म :-

सलीम खान का जन्म 24 नवम्बर 1935 में मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था. उनके पिता अब्दुल रशीद खान पुलिस में डीआईजी के पद पर पहुंच थे. जो की ब्रिटिश भारत में एक भारतीय के लिए सबसे ऊंची पुलिस रैंक हुआ करती थी और उनकी मां जल्द ही गुजर गई थी. जिसकी वजह से घर में कायदे से रहना उन्होंने बचपन से ही सीख लिया था.

इंदौर के होलकर कॉलेज :-

सलीम खान ने इंदौर के सेंट रैफल्स स्कूल में पढाई की. अपनी मैट्रिक परीक्षा के लिए भी वह उपस्थित हुए बाद में उन्होंने इंदौर के होलकर कॉलेज में दाखिला लिया और अपनी बीए की पढाई पूरी की. जिसके के बाद में उन्होंने मास्टर की डिग्री भी ली.

सलीम खान की शादी :-

सलीम ने सन 1964 में 5 साल तक प्यार करने के बाद सुशीला चरक से शादी कर ली. इन्होने बाद में अपना नाम बदल कर सलमा रख लिया था. उनके चार बच्चे है उनमे से सबसे बड़े बेटे सलमान खान है. सलीम खान की जिदगी में एक नया मोड़ तब आया जब उस जमाने की मशहूर कैबरे डांसर हेलन से प्यार हो गया और दोनों का प्यार काफी लम्बा चला. जिसके बाद साल 1980 में दोनों ने शादी कर ली. लेकिन हेलन का नाम आज भी भारतीय सिनेमा के घरों में बड़े अदब और कायदे से लिया जाता है.

फिल्म में छोटे-मोटे रोल :-

जब अमरनाथ ने सलीम को देखा जो उन्हें कद-काठी और चेहरा-मोहरा हीरो वाला लगा. उन्होंने तुरंत उन्हें बम्बई आने को कहा और यहां 400 रुपये प्रति पर नौकरी पर रख लिया. शुरुआत में सलीम को फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिले. सलीम की मुलाकात जावेद अख्तर से हुई. यूं तो दोनों की पहली मुलाकात फिल्म सरहदी लुटेरा के सेट पर हुई थी, जिसमें सलीम ने अभिनय किया था. लेकिन दोनों के बीच पक्की दोस्ती हुई. लेकिन सलीम को अभिनय में बात नहीं बनी. वो लोगों की नजरों में नहीं आए.

अभिनय छोड़ कर :-

सलीम ने अभिनय छोड़ कर लेखक और निर्देशक अबरार अलवी के सहायक बन गए. वो जमाना था जब किसी फिल्म के लिए कहानी और संवाद अलग-अलग लोग लिखा करते थे और लेखकों को फिल्म में क्रेडिट नहीं दिया जाता था. इन दोनों को पहली बार क्रेडिट तब मिला जब फिल्म हाथी मेरे साथी के लिए. लेकिन इसका श्रेय उस समय के सुपरस्टार राजेश खन्ना को जाता है.

पीछे मुड़ कर नही देखा :-

इसके बाद इस जोड़ी ने पीछे मुड़ कर नही देखा और कई फिल्में लिखी. जैसे यादों की बारात, जंजीर, मजबूर, शोले, डॉन, काला पत्थार, क्रांति और मिस्टर इंडिया जैसी फिल्में इनकी कलम के जादू ये हमेशा के लिए यादगार बन गईं.

शानदार शख्सियत :-

सलीम खान जी ने आज भी अपने परिवार को जोड़ कर रखा है, बल्कि इंडस्ट्री के लिए एक मिसाल भी दी है. उनके घर में हुक्म केवल सलीम खान का चलता है. चूंकि सलीम को बचपन से ही नियम-कायदों में रहने की समझ है तो आज भी घर में सब चीजें ढंग से होती है. सलमान खान को पूरी दुनिया दबंग के नाम से जानती हो लेकिन सलमान कितने ही बड़े स्टार क्यों न हों वह अपने पिता के साथ ही रहते हैं. सलीम आज जितने ज्यादा अपनी लेखनी के लिए जाने जाते हैं उतना ही अपनी शानदार शख्सियत के लिए भी जाने जाते हैं.

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