आपने गौतम बुद्ध के बारे में तो सुना ही होगा.जिनको बोधगया में ही बोधि पेड़ के नीचे तपस्या कर ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. ठीक वैसे ही आज के एक्टर की हम आपको कहानी बताने जा रहे हैं जिनको आम के पेड़ के नीचे बैठकर अपने गांव को स्मार्ट विलेज बनाने की सूझी. और वे अपना एक्टिंग करियर छोड़कर अपने गांव को स्मार्ट बनाने की राह पर चल पड़े. आप सोच रहे होंगे आखिरकार है कौन ये टीवी एक्टर, तो चलिये इस राज से पर्दा उठा देते हैं.
जी हां, ये वहीं एक्टर हैं, जिन्होने साराभाई वर्सेस साराभाई सीरियल से घर-घर में अपनी पहचान बनाई और टीवी इंडस्ट्री को 19 साल तक एक कॉमेडी कलाकार के रूप में लोगों को हंसाने के साथ दौलत और शोहरत कमाने वाले राजेश कुमार अब सब कुछ छोड़ अपने गांव बर्मा को स्मार्ट बनाने में जुट गए हैं. उनका ये जज्बा काबिल-ए-तारीफ है.
दरअसल, राजेश कुमार मूलरूप से बिहार पटना के रहने वाले हैं. वह एक दिन आम के पेड़ के नीचे बैठे थे. तभी अचानक उनके दिमाग में बुद्ध की तरह सहसा एक ख्याल आया कि क्यों ना अपने गांव जाकर वहां की हालत सुधारी जाए. अपनी सोच को सच में तब्दील करने के लिए राजेश ने अपना एक्टिंग का करियर छोड़ अपने गांव बर्मा जाने का फैसला किया. पटना से करीब सवा सौ किलोमीटर दूर अपने गांव पहुंचकर राजेश को अपने फैसले की अहमियत और जरुरत का एहसास हुआ. राजेश खेती के एक नये तरीके ‘अध्यात्मिक खेती’ को गाँव के लोगो के बीच लाकर आये है.
गांव में थी बिलजी-पानी जैसी बुनियादी जरूरतों की समस्या
अपने गांव बर्मा पहुंचकर राजेश कुमार को यह एहसास हुआ कि उनका एक्टिंग छोड़कर अपने गांव को संवारने के लिए गांव की ओर लौटने का फैसला कितना सही और आवश्यक था. राजेश ने जब अपने गांव में कदम रखा तो वहां पर मूलभूत सुविधाएं भी नहीं थी. बिजली, पानी और सड़क के लिए ये गांव आजादी के बाद भी कई सालों से तरस रहा था. राजेश ने इस गांव को स्मार्ट बनाने के लिए सबसे पहले इसे बिजली से जोड़ने का काम किया. उन्होंने ख़ुद बिजली विभाग को कई बार फ़ोन करके गांव में बिजली देने की मदद मांगी. हालांकि गांव से बिजली-पानी की समस्या पूरी तरह खत्म तो नहीं हुई है, लेकिन काफी हद तक कम जरूर हो गई है.
गांव में शून्य-बजट आध्यात्मिक खेती कर रहे हैं राजेश
अपने गांव को स्मार्ट विलेज बनाने के लिए लालायित राजेश ने बिलजी और पानी की समस्या का समाधान कर अपना रुख खेती की तरफ किया. एक लंबे अरसे से मुंबई में रहने के चलते खेती की बारीकियां सीखने में उन्हें काफी मशक्क़त करनी पड़ी. बावजूद इसके वह समय के साथ जानवरों का दूध निकालना, घास काटना, खेती करना सीख गए. इन कामों के अलावा वह घर के काम भी करने लग गए.
राजेश खुद भी अपनी पुश्तैनी जमीन पर शून्य-बजट ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं. बकौल राजेश जब वो अपने गांव पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उनके पिता ने पुश्तैनी जमीन पर खेती की हुई है, जिससे वह बेहद प्रभावित हुए. मीडिया से बातचीत में राजेश कुमार ने बताया- ‘जब मैं पिछले साल बर्मा गया था, मैं अपनी आंखो में विश्वास नहीं कर पाया. मेरे पापा ने 5 सालों में ही हमारी पुश्तैनी जमीन पर सब्जियां, फल और फसल उगाना शुरू कर दिया था, वो भी बिना किसी कैमिकल के यूज के’.
टीवी करियर की शुरूआत
आपको बता दें कि 1999 में सोनी टी.वी. के धारावाहिक ‘एक महल हो सपनों का’ से अपने अभिनय करियर की शुरुआत करने वाले राजेश कुमार ने खिचड़ी, बा बहू और बेबी, कॉमेडी सर्कस, नीली छतरी वाले, बड़ी दूर से आये है जैसे मशहूर सीरियलों में काम किया.हाल ही में वे साराभाई वर्सेज साराभाई की वेब सीरीज और कॉमेडी दंगल में नजर आये.
राजेश 1998 में अपनी प्रेग्नेंट बहन की देख-रेख के लिए मुंबई आए थे. उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन बिहार यूनिवर्सिटी से पूरी की और वह मुंबई के सेंट जेविअर कॉलेज से मास कम्युनिकेशन करना चाहते थे. इसी बीच उनके एक दोस्त ने उन्हें एक छोटा सा रोल प्ले करने को कहा, इसमें राजेश को एक छोटी सी लाइन बोलनी थी, हैप्पी मैरिज एनिवर्सरी कांग्रेचुलेशन ये रही आपकी टिकट, इसे बोलने में उन्होंने 20 रीटेक लिए थे और इस रोल के लिए उन्हें 1,000 रुपये मिले थे. इसके बाद ही राजेश के एक्टर बनने की जर्नी शुरू हुई थी. एक्टिंग से खेती की तरफ राजेश कुमार द्वारा किया गया काबिल-ए-तारीफ रुख हैरान कर देने वाला है.