मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी छोड़ ये कर रहे गौसेवा और बना लिया व्यापार

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आज की दुनिया में एक भाई दुसरे भाई के लिए कुछ नही करता , तो दुसरे तो आम बात है। किसी भी काम को करने के लिए इंसान के मन में पहला सवाल यही होता है की इसको करने से हमारा क्या फायदा होगा। पर क्या कोई ऐसा इंसान है जो अपना फायदा नही देखते हुए एक Multinational Company की जॉब छोड़कर गरीबो और पशुओ की सेवा कर सके। हाँ ऐसा ही कुछ कर रहे है ओबरा निवासी निशांत कुशवाहा। जिन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के शानदार करियर को छोड़ सड़क पर घायल गायों की सेवा शुरू कर दी। यकीनन गोहत्या करने वालो को अच्छा जवाब मिलेगा।

ये डेढ़ दशक पहले दिल्ली में एक मल्टी नेशनल कम्पनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर का काम करते थे। लेकिन गाँव की परिस्तिथि कुछ ऐसी बनी की इन्होने अपनी नौकरी छोड़ दी। निशांत का गाँव आर्थिक रूप से कमज़ोर गाँव है वहा के लोगो के पास इतने पैसे नही थे की एलोपैथी जैसे महंगे इलाज करवा पाए। गाँव वालो की हालत कुछ इस तरह खराब हो गयी की निशांत का मन अन्दर से घायल हो गया और उनके जीवन की जैसे दिशा ही बदल गयी हो ,उन्होंने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने नौकरी छोड़ देसी कारोबार को अपना लिया।

किसी भी कार्य को शुरू करना हो तो मुश्किलो का सामना तो करना पड़ता ही है, कई मुसीबतों को देखते हुए आखिरकार उन्होंने अब बड़ा कारोबार शुरू कर दिया है। जहा पर वे घायल गायों की सेवा करते है। कुछ ही दिनों में देखते ही देखते सेवा-श्रम से एक गोशाला खोल ली।

गायो से कर रहे दवाई का निर्माण

निशांत की गौशाला में कुल 30 से अधिक गाय है उनके दूध से देसी उत्पाद मटठा, घी आदि के साथ ही 20 से ज्यादा दवाइयों का निर्माण हो रहा है। जिनमें 80 % दवाइयां गोमूत्र से बनाई जा रही हैं। अभी उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों में भी बिक्री के लिए इस गोशाला में निर्मित दवाइयां भेजी जा रही हैं। जॉब छोड़कर देसी उपाय को अपनाकर कारोबार शुरू करने के सवाल पर श्री कुशवाहा ने बताया कि गरीब मरीजों को होने वाली आर्थिक दिक्कत के साथ घायल लावारिस पशुओं को देखकर गौशाला खोलने का विचार आया।

गोशाला में गोमूत्र सहित पंचगव्य से निर्मित दवाइयों से गरीबों का और घायल पशुओं का इलाज होता है। इससे गांव के लोगों को भी गांव में ही काम मिलेगा। जिससे लोगों को भी अपने ही घर में आर्थिक लाभ तो होगा ही वह दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में जाकर भटकने से भी बचेंगे।

बीमारियों के इलाज के लिए 18-18 प्रकार के घनवटी व अर्क, आई-ड्राप, नोजल ड्राप, ईयर ड्राप सहित त्वचा रोग एवं दर्द निवारक से जुडी औषधियां बनायी जाती है। इसके अलावा साबुन शैम्पू सहित पर्सनल केयर से जुड़े उत्पाद भी बनाये जाते हैं। उनकी औषधियों से हेपेटाइटिस, पथरी सहित कैंसर जैसी बीमारियों में भी लाभ दिखा है। खासकर आंखों और कान के रोग शत प्रतिशत सही हुए हैं।

दवाई निर्माण का प्रशिक्षण यहा से लिया

निशांत कुशवाहा ने दवाइयों के निर्माण का प्रशिक्षण चेन्नई में स्थित महर्षि पंचगव्य गुरुकुलम से लिया। जो की भारत सेवक समाज एवं संसदीय बोर्ड से मान्यता प्राप्त है। खास बात तो ये है कि अभी उनके केंद्र से 50 के करीब उत्पाद बनाये जा रहे हैं। जिनमें गौमूत्र सहित पंचगव्य शामिल रहता है।

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