बैंक ने लोन देने से किया था इन्कार, बनाई ऐसी डेरी की बच्चन-अंबानी हैं कस्टमर

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जीवन मे जब भी सफलता हासिल नहीं होती है, तो कई व्यक्ति जीवन के गलत पाठ पर अग्रसर हो जाते है. जिससे उनका भविष्य तो खराब होता ही है, साथ ही देश मे एक गलत आगमी का जन्म भी होता है.

लेकिन कई व्यक्ति एसे है जिन्होने जीवन म्वे आने वाली असफलता से सबक लेते हुये जीवन के पाठ पर अपना रास्ता बनाते हुये अपने करियर को नई शुरुआत दी. आज हम आपको एक एसे ही व्यक्ति के बारे मे बताने वाले है जिनहे कभी बेंक ने लोन देने से इंकार कर दिया था, लेकिन उन्होने इस बात से सबक सीखते हुये अपना नया भविष्य लिखा, ओर जीवन मे सफलता की नई इबादद लिख दी.

बैंक ने लोन देने से कर दिया था इनकार :-

एक वर्ल्ड क्लास डेरी को शुरू करने का सपना ले कर इस काम मे आगे बडने वाले पराग मिल्क फूड्स के मालिक देवेंद्र शाह के पिता तो टेक्सटाइल बिजनेस में थे, लेकिन उन्होने अपने सपने को अपना करियर का मकसद बनाया ओर जीवन के पाठ पर आगे बड़ते गए इस कम से वह अपने गांव के लोगों की सहता कर उन्हें रोजगार देना चाहते थे.

Story of Devendra Shah

अपने उद्देश्य से उन्होने बिजनेस का एक प्लान तैयार कर पिता के साथ एक बैंक मे लोन लेने गए थे. ब्वाहा उन्होने एक दिन मे 20 हजार लीटर दूध प्रॉसेस करने का प्लान ब्रांच मैनेजर को बताया, लेकिन बेंक मैनेजर ने लोन देने के लिए तैयार हो गए, लेकिन एक गारंटर की दरकार थी. उस समय मन मे उम्मीद जागी की पिता गारंटर के तौर पर कागजो पर साइन अवश्य कर देंगे, लेकिन पिता ने साफ इनकार कर दिया. जिस वजह से मैनेजर ने लोन देने से मना कर दिया.

पिता के इनकार करने ऑर लोन न मिलने से देवेंद्र शाह बहुत दुखी हो गए. उस बात को याद कर वह काफी रोए, लेकिन इस नकामयाबी ने उनके इरादे को ओर भी मजबूत कर दिया.

Story of Devendra Shah

अपने नए प्लान मे उन्होने प्रॉफिट मार्जिन 18 परसेंट तक बढ़ाने बाद बैंक ने बिना किसी गारंटर के उन्हे लोन की स्वीकृति दे दी. उस समय उन्हे समझ आया कि यदि उस समय पिताजी साइन कर देते, तो वह हमेशा के लिए उन पर निर्भर हो जाते.

1992 में देवेंद्र शाह ने पराग मिल्क फूड्स लिमिटेड की शुरुआत कर अपने सपने की तरफ अग्रसर हुये. उनकी यह कंपनी गांव के ग्वालों से दूध लेकर उसे प्रॉसेस करती, और बटर, चीज, पनीर, घी जैसे कई उत्पादो को तैयार करती.

ऐसे खुली भाग्यलक्ष्मी डेरी :- 

उस माय पराग मिल्क फूड्स अच्छा बिजनेस कर रहा था, लेकिन देवेंद्र शाह का मन डेरी को ओर भी बड़ा बनाने का विचार खत्म नहीं हुआ था.

अपने सपने की ओर बड़ते हुये उन्होने 2005 में भाग्यलक्ष्मी डेरी फार्म की शुरुआत का सफलता का एक पड़ाव आगे बड़ाया. लेकिन उन्होंने यहां देसी गाय की जगह स्विट्जरलैंड की होलस्टीन गायों के दूध को प्रॉसेस करने का प्लांट लगाया था.

कैसे अलग है भाग्यलक्ष्मी डेरी?

देवेंद्र शाह के इस फार्म की कहानी 35 एकड़ खेतों से प्रारम्भ होती है. जो भीमेश्वर पर्वत और भीमा नदी के बीच मंचर में बना हुआ है. जहा वह इंटरनेशनल टेक्नलॉजी के द्वारा दूध प्रॉसेस करते है.

उनकी डेरी पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेक्शन का भी इंतेजाम है. जिसकी सहता से यूज हो रही टेक्नलॉजी को बेहतर से भी बेहतर बनाया जा सके. मुकेश अंबानी से अमिताभ बच्चन तक इस डेरी के कस्टमर्स हैं.

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