पांच सौ रुपये लेकर घर से निकले थे, मरने से पहले खड़ी कर दी 62 हजार करोड़ की कंपनी

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घर से जेब में मात्र पांच सौ रुपये लेकर सपनों की नगरी मुंबई मे आने वाले इस शख्स ने 62 हजार करोड़ रुपये का साम्राज्य खड़ा कर दिया, जो हर किसी की कल्पना से परे है. जब भी कोई जिन्दगी में उनके संघर्ष और मुसीबतों से लड झगड़ क़र कामयाबी हासिल करने की दास्तान को सुनता है, तो हर कोई दांतों तले उंगुली दबा लेता हैं.

जिस व्यक्ति की हम बात कर रहे है, वह किसी परिचय के मोहताज नहीं है, धीरजलाल हीराचंद अंबानी अथवा धीरूभाई अंबानी दुनिया की वह शक्सियत है, जिन्होने लोगो को जीने का सही तरीका सिखाया है. कारोबार मे सफलता प्राप्त कर उन्होने एक नई इबारत लिखी. छह जुलाई 2002 में अंतिम सास लेने से पहले ही उन्होंने देश में बड़े बिजनेस घराने की नींव को रख दिया था.

Success Story of Dhirubhai Ambani

जब धीरूभाई पैसा कमाने के उद्देश्य से घर से निकले थे, तो उस समय आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी. उनकी जेब में पांच सौ रुपये थे, लेकिन जब 2002 में जब उनका देहांत हुआ तब वह उनकी रिलायंस 62 हजार करोड़ रुपये की कंपनी बन गई थी.

दस घंटे से ज्यादा काम नहीं :-

धीरूभाई ने अपने व्यापारिक साम्राज्य को खड़ा करने के लिए जी तोड़ मेहनत की लेकिन कहा जाता है की वह कभी भी 10 घंटे से अधिक काम नहीं करते थे.

Success Story of Dhirubhai Ambani

रोज कराते थे मसाज :-

जानकारी के अनुसार वह हर शाम को काम के आखिरी घंटों में व्यापारियों, निवेशकों और अन्य लोगों के बीच ओबेरॉय हेल्थ क्लब में बैठते थे. जहा वह जेट मसाज लिया करते थे. मसाज कराने के बाद वह सीधे अपने घर चले जाते थे.

नहीं पसंद थी पार्टियां :-

मुकेश अंबानी और नीता अंबानी को पार्टियो का बहुत शोक है, लेकिन धीरूभाई को पार्टियां बिल्कुल भी पसंद नहीं थी. पार्टियो की जगह वह अपने परिवार के साथ शाम बिताना पसंद करते थे.

दूसरे लोगों से की तरह उन्हें ज्यादा यात्रा करना भी पसंद नहीं था. जिसके लिए वह विदेश यात्राओं का अधिकतर काम अपनी कंपनी के अधिकारियों पर टाल देते थे.

तीन सौ के वेतन पर थे क्लर्क :-

गुजरात के एक छोटे से गांव चोरवाड़ से धीरूभाई अंबानी व्यापार करने के लिए मुंबई गए थे. उस समय उनका कोई व्यापारिक बैकग्राउंड नहीं था. उनके पिता हीराचंद गोवर्धनदास अंबानी एक शिक्षक थे. महज 17 साल की उम्र में धीरूभाई ने ए.बेस्सी एंड कंपनी के साथ क्लर्क के तोर पर काम किया था. उन्हे अपनी मेहनत के लिए महज 300 रुपये प्रति माह का वेतन मिलता था.

Success Story of Dhirubhai Ambani

एक कमरे से शुरू की कंपनी :-

धीरुभाई यमन से 1954 में पुनः भारत लोट आए. महज जेब में 500 रुपये लेकर वह मुंबई आ गए. बहुत छोटे स्तर पर धीरुभाई अंबानी ने रिलायंस की शुरुआत की. 350 वर्ग फुट के एक कमरे में उन्होने इस कंपनी की नींव रखी. उस समय उनके साथ दो सहयोगियों ओर थे, जिनके साथ मिलकर उन्होने रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन की शुरुआत की. सबसे पहले उन्होने पॉलिस्टर और मसाले के कारोबार में अपनी किस्मत को आजमाया जिसमे उन्हे जबर्दस्त कामयाबी मिली.

इसके बाद तो उन्होने कभी भी मुडक़र पीछे नहीं देखा, ओर लिख दी कामयाबी की जबर्दस्त दास्तान. रिलायंस ग्रुप बाद मे दूसरे कई कारोबार में अपना सिक्का चलाने के लिए उतरा जहा उन्हे हर कम मे सफलता प्राप्त हुई. धीरुभाई के बेटे मुकेश ओर अनिल अंबानी ने कंपनी को काफी ऊंचाई पर पहुंचा दिया है. हालांकि दोनों भाइयों की राह अब अलग हो चुकी है, लेकिन मुकेश अंबानी ने देश के सभी व्यापारिक घरानों को पीछे छोड़ते हुये रिलाइन्स ग्रुप बुलंदियों की कई कहानी बयां कर रहा है.

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