भारत देश में लड़कियों के साथ भेदभाव पुराने समय से होता आ रहा हैं. महिलाओं को समाज में काफी सामाजिक बुराइयों काकाफी प्रयास कर रही हैं.
लेकिन आज भी कई स्थानो पर महिलाओ को उनके हक का अधिकार नहीं मिल रहा हैं, लेकिन कहा जाता है की जहा घनघोर अंधेरा होता हैं, उस स्थान पर उम्मीद की एक किरण जरूर होती हैं.
समाज में कई बार हमें ऐसे उदाहण देखने या सुनने को मिलते हैं, जो महिलाओ को अधिकार दिलाने के लिए नई उम्मीद की किरण बनते हैं. आज हम जिस महिला के बारें में आपको बताने वाले है, वह नारी शक्ति के लिए एक मिसाल हैं.
वह अपने नर्सिंग होम में किसी भी लड़की के जन्म की कोई फीस नहीं लेती हैं. वाराणसी में रहने वाली शिप्रा धर के इस नेक काम की तारीफ तो खुद भारत के प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं.
बेटी का जन्म निशुल्क
शिप्रा धर नें अपनी योग्यता बीएचयू से एमबीबीएस एवं एमडी कर पूर्ण की है. उन्होने यें नेक पहल देश में हो रही कन्या भ्रूण हत्या की कुरीति को जड़ से मिटाने के लिए की हैं.
जब भी शिप्रा के नर्सिंग होम कोई महिला बेटी को जन्म देती हैं, तो उनके परिवार वालो से एक रुपया भी नहीं लिया जाता हैं, जबकि बेटी के जन्म पर शिप्रा अपनी तरफ से मिठाइयां बंटवाती हैं.
इस नेक पहल के अलावा शिप्रा ने गरीब परिवार की लड़कियों की शिक्षा पर भी काफी ध्यान देती हैं, और अपने नर्सिंग होम में ही वह गरीब लड़कियों को शिक्षा देती हैं.
लड़कियो को वह सरकार की तरफ से मिलने वाली कई सुविधाओ का लाभ दिलवाने में उनकी सहायता करती हैं. इस नेक पहल में शिप्रा का उनके पति फिजीशियन डॉ. मनोज कुमार श्रीवास्तव काफी सहायता करते हैं.
मन को विचलित करती थीं कुरीतियां
महिलाओं से भेदभाव शिप्रा, कन्या भ्रूण हत्या कई जैसी कुरीतियां उन्हे काफी विचलित करती थीं, उस समय उन्होने इन कुरीतियों को खत्म करने का सपना देखा. जिसे वह अपनें नर्सिंग होम से पूरा कर रही हैं.