छोटी-सी उम्र में दुसरो के घरों में काम करने वाली अब करेगी देश की संसद को संबोधित

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देश में ऐसे लाखों-करोड़ों बच्चे है जो बाल श्रम के शिकार बने हुए है यह बच्चों की लाचारी और गरीबी की वजह से उन्हें बाल श्रम जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है और यह बच्चों के वर्तमान समय में बच्चो की मासूमियत के बीच एक बहुत बड़ा अभिशाप बनाकर सामने आता है।

आज इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन के अनुरूप कम से कम 1 करोड़ से भी अधिक बच्चे इस अभिशाप से अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे है और इससे भी भयावंग बात यह है की बाल श्रम में 70% तो लड़कियां ही होती है जैसे की कनक जी हाँ आज हम आप लोग एक ऐसी लडकी के बारे में बताने जा रहे है जिसने अपने बचपन को मजदूरी में ही गुजार दिया।

क्या है बाल श्रम :-

बाल-श्रम का अर्थ एक ऐसे कार्य से है जिसमे कार्य करने वाला व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित आयु सीमा से छोटा होता है बाल श्रम में भारतीय संविधान के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कारखाने,दूकान ,रेस्तरां ,होटल ,कोयला खदान,पटाखे के कारखाने आदि जगहों पर कार्य करवाना बाल श्रम है बाल श्रम में बच्चो का शोषण भी शामिल होता है शोषण का मतलब यह है की बच्चो से ऐसे कार्य करवाना जिसके लिए वह अपने मानसिक एवं शारीरिक रूप से तैयार न हो।

बेगलुरु की कनक :-

कनक का बचपना बेगलुरु के स्लम इलाके में गुजरा और उसकी माँ दुसरो के घरों में मेड का काम करती थी और उसके पिता शारीरिक लाचारी की वजह से घर पर ही रहते थे कनक की माँ ने किसी तरह कनक को स्कूल भेजा लेकिन कुछ टाइम बाद पता चला की उन्हें कैंसर है।

दुखों का पहाड़ :-

कनक की माँ को कैंसर होने की वजह से कुछ ही दिनों में उनका देहांत हो गया जिसके बाद में कनक के खाने-पीने के लाले पड़ने लगे और इससे कनक की पढाई चौथी कक्षा में ही छुट गई थी।

रों में काम करना :-

कनक की माँ का देहांत होने की वजह से घर की सारी जिम्मेदारी छोटी से कनक ने अपने ऊपर ले ली और वह रोज 3 घरो में काम करने जाने लगी जहाँ से उसे कुछ पैसे व खाने-पीने की चीजें मिल जाती थी।

जबरन रिश्तेदार के यहाँ रहना :-

कनक को रहने और काम करने के लिए जबरन अपने रिश्तेदार के साथ रहना पड़ता था जहाँ उसे कई तरह के शारीरिक और मानसिक कंष्ट को झेलना पड़ता था इस के अलावा उसे रिश्तेदार शादी के गेस्ट हाउस में भी काम करने भेजते थ।

स्पर्श एनजीओ :-

कनक कई शादियों में काम करने के लिए जाती थी और ऐसे ही एक बार यंशवंतपुर के एक मैरिज हॉल में शादी का काम कर रही थी उसी समय स्पर्श एनजीओ के लोगो ने उसे काम करते देखा यह एनजीओ बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में काम करता है एनजीओ वाले ने कनक को अपने साथ ले लिया और उसकी देख भाल करने लग।

शुरू की अपनी पढाई :-

एनजीओ के साथ जाने के बाद कनक ने अपनी पढाई फिर से शुरू कर दी और उसने 10वी की परीक्षा में 80% मार्क्स प्राप्त किए है और कनक बड़ी होकर वैज्ञानिक बनाना चाहती है।

संसद को संबोधित :-

20 नवम्बर को संसद में होने वाले आयोजन में कनक कर्नाटक का प्रतिनिधित्व करेगी उसे यह तक आने में 3 राउंड का ऑडिशन भी देन पड़ा जिसमे वह पास हो गई और उस संसद में 8 मिनट तक बोलंगी।

कनक का है क्या कहना  :-

कनक का कहना है की बाल श्रम को रोकने के लिए कई सारे कानून बने है लेकिन फिर भी उनका कोई असर नहीं होता है और में इसी के बारे में संसद में बात करने वाली हूँ क्योकि देश में उसके जैसे हजारो बच्चे है जो बाल श्रम का शिकार है।

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