65 की उम्र में कैसे बनाया कर्नल सैंडर्स से KFC की पॉपुलर कंपनी को

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हर इंसान अपनी सफलता पाने के लिए अपनी लाइफ में कई तरह की परेशानियाँ और संघर्षो का सामना करता है जिसके बाद में किसी इंसान को अपनी सफलता 30 की उम्र में ही मिल जाती है तो किसी को 65 की उम्र में जिसका सच्चा उदाहरण कर्नल हरलैंड सैंडर्स जोकि KFC फ़ास्ट फ़ूड रेस्टोरेंट चेन के संस्थापक है मशूहर KFC के बारे में तो आप सभी वाकिफ़ होगे जो आज पुरे देश में पॉपुलर है जिसे मशूहर बनाने के पीछे कर्नल हरलैंड सैंडर्स की एक संघर्ष भरी कहानी है जिसके बारे में आज हम आप लोगो को बताने जा रहे है।

कर्नल हरलैंड सैंडर्स :-

कर्नल सैंडर्स का जन्म 9 सितम्बर 1890 को अमरीका के इंडियाना प्रान्त के हेनरिविले कस्बे में एक मध्य वर्ग के परिवार में हुआ उनके पिता विल्बर डेविड कसाई थे और माता मार्गरेट एन सैंडर्स गृहणी और उनके तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े थे कर्नल जब महज़ 5 साल के थे उस वक्त उनके पिता की मृत्यु होगई जिसके बाद में तो उनके सर पर दुखों का पहाड़ ही सामने आगया इनकी माँ अपने बच्चो के पालन-पोषण के लिए एक टमाटो-कैनिंग की फैक्ट्री में काम करने लगी और कर्नल भी उस काम में अपनी माँ की मदद करने लगे।

कर्नल सैंडर्स घर से भाग गए :-

कर्नल के पिता की मौत के बाद में उनकी माँ ने कुछ साल में दूसरी शादी कर ली जहाँ सैंडर्स के सैतेले पिता उन्हें और उनके छोटे-भाई-बहनों के साथ में मार-पिट किया करते थे और एक दिन इन्ही अत्याचारों के से तंग आकर कर्नल सैंडर्स अपनी 11 साल की उम्र में घर से भाग गए और अपना जीवन यापन करने के लिए एक खेत में काम करने लगे कुछ सालो तक उन्हें यह काम किया फिर अपनी 15 साल के उम्र में कंडक्टर बने जब वह 16 साल के हुए तो उन्हें यूनाइटेड स्टेट आर्मी में भर्ती होकर क्यूबा चेल गए।

कर्नल सैंडर्स की शादी :-

यूनाइटेड स्टेट आर्मी में काम करने के बाद में उन्हें इलिनोइस सेंट्रल रेल फायरमैन की जॉब मिल गई तब उन्होंने अपनी 19 साल की उम्र में जोसेफिन किंग से शादी कर ली जिसके बाद में कुछ समय तक कर्नल ने अपनी पत्नी और तीन बच्चों से साथ में सुखी जीवन जीना शुरू कर दिया लेकिन यह सुखी जीवन आखिर कब तक साथ रहता एक दिन अपनी जॉब वर्क के दौरान कर्नल और उनके सहकर्मी के साथ झगड़ा हो गया जिसकी वजह से उन्हें अपनी जॉब गंवानी पड़ी।

जॉब पर जॉब बदलते रहे :-

जॉब गंवाने के बाद में कर्नल ने कानून का अभ्यास करना शुरू किया परन्तु वहा पर भी उन्हें असफलताएं ही मिली फिर उन्हें लाइफ बीमा में सेल्समैन का काम किया अपनी 40 की उम्र तक वह एक जॉब से दूसरी जॉब को बदलते रहे लेकिन किसी भी जॉब में उन्हें अपनी सफलता हासिल नहीं हुई।

केन्टकी रेस्टोरेंट की शुरुआत :-

कर्नल सैंडर्स ने अपनी लाइफ में एक के बाद एक असफलताएं देखी जिसमे उनकी पत्नी ने भी उनका साथ छोड़ दिया और अपने बच्चों को भी साथ लेकर चली गई इन सब के बावजूद भी कर्नल ने अपनी हार न मानते हुए अपनी 40 के उम्र में एक कार्बिन केन्टकी में एक सर्विस स्टेशन खोला जहाँ पर कई आने-जाने वाले यात्रियों और ड्रायवरों के लिए वह पेन-फ़्राईड चिकन,हेम,स्टीक जैसे पकवाने बनाना कर सभी यात्रियों को खिलाने लगे।

पेन-फ़्राईड चिकन होगया मशहूर :-

कर्नल के पेन-फ़्राईड चिकन को लोगो ने बहुत ही ज्यादा पंसद करने लगे जिसके बाद में खाने के लिए कर्नल के केन्टकी में लोगो की संख्या बढती ही चली गई जिसे देखकर उन्होंने सड़क के दूसरी ओर अपना एक रेस्टोरेंट खोल लिया जहाँ पर कम से कम 142 लोग एक साथ में बैठ कर खान खा सकते थे इस रेस्टोरेंट में लगतार अपना पेन-फ़्राईड चिकन बनाने का काम करते रहे और मशहूर होते चले गए।

फिर कर्ज में डूबे कर्नल :-

कर्नल का रेस्टोरेंट काफी अच्छा चल रहा था लेकिन 1950 में उनकी लाइफ मे फिर से परेशानियों ने अपना रुक ले लिया दरअसल बात यह है की जिस रेस्टोरेंट से कर्नल को मशहूर हो रहे थे वह एक फ्लोरिडा जाने वाले मार्ग था परन्तु बाद में फ्लोरिडा जाने के लिए एक नए हाई-वे का निर्माण हुआ जिससे सैंडर्स के रेस्टोरेंट को काफी प्रभाव पड़ा क्योकि उनके रेस्टोरेंट में कोई भी खाना खाने नहीं आते थे जिसकी वजह से वह दिन पे दिन कर्ज में डूबते ही चले गए और अपने कर्ज को चुकाने के लिए उन्होंने पाना रेस्टोरेंट बेच दिया जिसके बाद में उनके पास केवल 105 डॉलर के अलावा कुछ नहीं बचा।

नया बिजनेस आरंभ :-

65 की उम्र में जब इंसान अपने काम से रिटायर्ड होते है उस उम्र में कर्नल सैंडर्स ने फिर से की अपने नए बिजनेस की शुरुआत जिसका नाम KFC हालांकि कर्नल के पास में इस बिजनेस को शुरू करने के लिए कोई पूंजी तो नहीं थी लेकिन अपने पेन-फ़्राईड चिकन के स्वाद पर उन्हें पूरा भरोसा था वह अपनी कार पर अमरीका और कनाडा के सफ़र पर निकल गए और कई तरह के रेस्टोरेंट में अपने पेन-फ्राइड चिकन की रेसिपी को लेकर चर्चा करते रहे मगर उस वक्त उनकी किस्मत ने साथ नहीं दिया और करीब 1008 रेस्टोरेंट के द्वारा वह रिजेक्ट कर दिए जाने पर आखिर में 1009 रेस्टोरेंट ने उनके पेन-फ़्राईड चिकन को स्वीकार कर लिया।

कैसे बनी KFC कंपनी :-

कर्नल सैंडर्स की लाइफ में कई तरह के संघर्ष आने के बाद में आखिर कार उन्होंने अपने पेन-फ्राइडे चिकन की रेसिपी को एक नया नाम दे ही दिया और एक नई कंपनी की शुरुआत की जिसका नाम KFC है जो आज के समय में सबसे पॉपुलर पेन-फ़्राईड चिकन कंपनी मानी जाती है जिसके बारे में आप सभी ने काफी सुना और उसका यूज भी किया होगा।

KFC के 600 आउटलेट :-

कर्नल सैंडर्स की 65 साल की उम्र में बनाई गई इस कंपनी के आज करीब देश में 600 से भी ज्यादा के फ्रेंचाइजी रेस्टोरेंट खुल गए है और यह सब कर्नल सैंडर्स की ख़ास रेसिपी और उनके प्रोडक्ट की वजह से ही वह पुरे देश में हिट होगये क्योकि उनकी द्वारा बनाई KFC की रेसिपीज में कुछ ख़ास तरह के 11 मसालों से मिल कर बनाया जाता था जोकि कुछ लोग ही इन मसालों के बारे में जानते है।

73 की उम्र में लिया रिटायमेंट :-

कर्नल सैंडर्स ने अपनी 73 साल की उम्र में रिटायमेंट लेने का फैसला किया जहाँ पर उन्होंने अपने कारोबार को 20 लाख डॉलर मतलब की 110 करोड़ रूपए में अमेरिका कंपनी को बेच दिया लेकिन फिर भी वह इस कंपनी के अंबेसडर बने रहे और कुछ ही सालो बाद उनका निधन हो गया परन्तु उनकी संघर्ष भरी कहानी और उनकी बनाई गए रेसिपी KFC के रूप में वह आज भी एक स्टार बने हुए है।

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