आपने गुलाब गैंग के बारे में जरुर सुना होगा उनके काम को देखकर एक फिल्म भी बनायीं गई इस फिल्म में महिला के शक्ति के बारे में बताया गया था लेकिन आज हम आपको गुलाब गैंग के बारे में नही बल्कि उतर प्रदेश के कन्नौज जिले के ‘ग्रीन गैंग की बता रहे है ये कमजोर का सहारा बनते है और आपको इस गैंग की सभी महिला हरे रंग की साड़ी में नजर आएगी आइये जानते इनके गैंग के बारे में कुछ विशेष बाते.
ग्रीन गैंग ग्रुप की लीडर अंगूरी दहाड़िया ने एक बिज बोया था जो आज व्रक्ष बनकर सामने आया है और यह व्रक्ष या ग्रीन गैंग न्याय का प्रतिक बन चूका है भले ही इनका इंसाफ दिलाने का तरीका थोडा अलग जरुर है लेकिन यह अपने फरियादी के बीच लिंग का आधार नही करती है.
इस गैंग की शुरुआत 2010 में हुई थी उस दौरान बहुत ही कम महिला जुडी हुई थी लेकिन धीरे-धीरे कई महिलाए जुड़ने लगी और आज ग्रीन गैंग में 14 हजार 252 महिला जुडी है
एक समय ऐसा था की जब ग्रुप की लीडर अंगूरी के पास घर चलाने के लिए पैसे नही हुआ करते थे वह घर को चलाने के लिए शीशे रखने वाले डिब्बे बनाती थी जिसे बच्चो की पढाई का खर्चा और बीमार पति के इलाज का खर्चा निकलता था और अंगूरी ने एक जमीन भी खरीदी जब सारी क़िस्त चूका दी तब बेचने वाले ने अंगूरी के साथ बेमानी कर दी.
न्याय के लिए अंगूरी भटकती रही लेकिन मदद के लिए कोई आगे नही आया अंगूरी जब परेशान हो गयी तब उसके मन में ख्याल आया की बंदूक उठा लें लेकिन अपने बच्चो को देखकर वह ऐसा कुछ नही कर सकी लेकिन अंगूरी ने महिला का संगठन बनाया.
शुरआत में तो संगठन से जुड़ने के लिए कोई तैयार नही हुआ लेकिन बात में न्याय और अन्याय की बात सबको समझ आने लगी और वो महिलाए भी जुड़ने लगी जिनका शोषण किया गया था हर सदस्य के जुड़ते ही ग्रीन गैंग के परिवार में सदस्य बढते गए.
जो महिला सामान्य कार्य करता रहती है वह हरे रंग की साड़ी और पदाधिकारी के लिए लाल पट्टी वाली साड़ी होती है न्याय दिलाने के लिए महिला को कई बार जेल तक जाना पड़ा अंगूरी खुद 5 बार जेल जा चुकी है लेकिन कभी उन्हें 3 दिन से ज्यादा नही रोका गया.