मातृभाषा हिंदी से जुड़ी दिलचस्प बातें, जिन्हें जानकार आपको गर्व होगा

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भारतीयों की मातृभाषा हिंदी है, जो बहुत ही तेजी के साथ विश्वभर में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हो रही भाषा है. इंटरनेट के क्षेत्र में भी बीते कुछ सालों में अंग्रेजी की तुलना में हिंदी को अधिक महत्त्व दिया जा रहा है.

हर भारतीय को अपनीं मातृभाषा पर गर्व है. हर व्यक्ति गर्व के साथ हर किसी के सामने अपनी भाषा में बात करता है. और गर्व महसूस करता है. लेकिन क्या अपनी मात्रभाषा पर गर्व होने के बाद भी क्या आपको अपनी भाषा के इतिहास और उससे जुड़े कई महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानकारी है?

आज हम आपको भारतीयों की मात्रभाषा हिंदी से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्यों के बारे में बताएँगे जिसे जानने के बाद आपको अपनी भाषा पर पहले से ज्यादा गर्व होने लग जाएगा.

बहुत कम व्यक्ति जानते होंगे की 1950 में पहली बार हिंदी भाषा को पूर्ण रूप से भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ था.

भारत सरकार ने 1954 में हिंदी व्याकरण को तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया था.

भारत देश के अलावा हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में करीब 648,983, दक्षिण अफ्रीका में 890,292, मॉरीशस में 685,170, युगांडा में 147,000, यमन में 232,760, सिंगापुर में 5,000, न्यूजीलैंड में 20,000, नेपाल में करीब 8 लाख, जर्मनी में 30,000 हैं.

हिंदी भाषा का इस्तेमाल 20 से ज्यादा देशों में किया जाता है.

हिंदी की मांग

वेबएड्रस बनाने में  सात भाषाओं का इस्तेमाल किया जाता है. जिसमे से एक हिंदी भाषा भी है. हिंदी भाषा की लोकप्रियता का अंदाजा हम इस बात से लगा सकते है की प्रतिवर्ष इंटरनेट पर हिंदी भाषा के कंटेंट की मांग 94 प्रतिश बढती जा रही है.

हिंदी का इस्तेमाल

आपको जानकर आश्चर्य होगा लेकिन हिंदी भाषा का करीब 60 करोड़ लोग इस्तेमाल करते है. सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओ में से हिंदी भाषा भी एक अहम भाषा है.

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हिंदी की पढ़ाई

विश्वभर के करीब 176 विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा पढ़ाई जाती है, इन विश्वविघालयों में 45 विश्वविघालय तो अमेरिका के है.

विदेशो में 25 से अधिक पत्र-पत्रिकाएं प्रतिदिन हिंदी में प्रकाशित होती है.

हिंदी से लिए गए अंग्रेजी के ये शब्द

जंगल, गुरू, कर्मा,बंगला, योगा, चीता, ठग, अवतार और लूट जैसे अंग्रेजी के प्रचलित शब्द हिंदी भाषा में लाए गए है.

लल्लू लाल द्वारा लिखित 1805 में प्रकाशित हुई श्रीकृष्ण पर आधारित प्रेम सागर किताब को हिन्दी भाषा में लिखी गई प्रथम किताब माना जाता है.

हिन्दी भाषा को यह नाम एक परसियन शब्द हिन्दू से प्राप्त हुआ है, जिसका मतलब पवित्र नदी की भूमि कहलाता है. ऐसा कहाँ जाता है की सि़ंधु नदी के समीप जो सभ्यता फैली उसे सिंधु सभ्यता के साथ-साथ वहा के क्षेत्रीय लोगों को हिन्दू कहा जाने लगा था. जिसकी उतपत्ति सिंधु शब्द से हुई थी, जो आगे चलकर हिन्दी कहलाई.

संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाओं में हिंदी भाषा को शामिल कराने के लिए सरकार ने सालाना 250 करोड़ रुपये इसके लिए खर्च किए हैं.

हिंदी भाषा को अपनी आधिकारिक भाषा के तौर पर जिसने स्वीकार किया वह राज्य और कोई नहीं बल्कि बिहार है.

1881 तक तो बिहार की आधिकारिक भाषा उर्दू थी, लेकिन बाद में उर्दू के स्थान पर हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया.

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