अपने पिता को घायल अवस्था में देख कर पुत्र बालि के पास गए थे और मरते समय यह ज्ञान की बातें बताई थी

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हिन्दू सभ्यता में रामायण का अतिमहत्वपूर्ण स्थान है. रामायण हमें एक नई सिख देती है साथ ही हमें अपने जीवन में आगे बढ़ने के कई गुर भी सिखाती है.

रामायण हिन्दुओ का एक पवित्र महाकाव्य है जिसे आदि कवि वाल्मीकि जी ने संस्कृत भाषा में लिखा था. रामायण वाल्मीकि जी द्वारा 24,000 श्लोक में लिखी गई एक विशाल महाकाव्य है. जिसमे रघुवंश के राजा राम की सम्पूर्ण गाथा बताई गई है. इसे आदिकाव्य नाम से जाना जाता है.

रामायण के अनुसार वनवास के दौरान जब भगवान श्रीराम ने बालि को अपने बाण से मूर्छित किया था तो वह घायल अवस्था में जमीन पर गिर गया था. भगवान के द्वारा मारे गए बाण से अपने पिता को घायल अवस्था में देख कर उनके पुत्र अंगद बालि के पास गए थे.

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अपने अंतिम क्षणों में बाली ने अंगद को ज्ञान की कुछ बातें बताई थी. बाली के द्वारा बताई गई वह ज्ञान की बातें यदि मनुष्य अपने जीवन में उपयोग करे तो वह अपने जीवन में आने वाली कई परेशानियों से बच सकता है.

बालि ने अपने अंतिम क्षणों में अंगद से कही थी यह बाते-

परिस्थितियों को समझो

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बलि ने सबसे पहले जो ज्ञान की बात कही थी उसके अनुसार व्यक्ति को तब तक आगे नहीं बढ़ना चाहिए जब तक उसे उस परिस्थिति का पूर्ण ज्ञान न हो जाये. जब तक आप उस स्थिति को सही ढंग से भाप नहीं लेते तब तक आपको आगे बढ़ना नहीं चाहिए.

व्यवहार करना

व्यक्ति में सही निर्णय लेने का ज्ञान होना चाहिए. कब कहा और किसके साथ केसा व्यवहार करना है इस बात का सही निर्णय लेना अती आवश्यक है.

किसके साथ कब, कहां और कैसा व्यवहार करें, इसका सही निर्णय लेना चाहिए।

सहन करना

व्यक्ति को सदैव क्षमा भावके साथ अपना जीवन जीना चाहिए. हर कसी की पसंद. ना पसंद, सुख दुःख को सहन कर मन को सदैव सरल रखना चाहिए.

बाली ने इन बातो का उल्लेख करते हुए अंगद को आदेश दिया की वह इन बातो को ध्यान में रखते हुए सुग्रीव के साथ रहे.

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व्यक्ति यदि इन सभी बातो का अनुसरण अपने जीवन में करे तो वह कभी भी दुखी नहीं रह सकता है. और जीवन में आने वाली तमाम तरफ की परेशानियों का सामना वह अच्छी तरफ से कर सदैव खुश रह सकता है.

बाली के द्वारा बताइओ गई यह बातें हमें जीवन में आने वाली हर एक परेशानी के साथ अच्छे-बुरे सभी हालातो में शांति और धैर्य के साथ जीने का सन्देश देती है.

बालि वध

भगवान श्रीराम ने जब बालि को अपने बाण से मृत्यु शैय्या पर लेटा दिया था तो घायल अवस्था में बालि ने भगवान से एक सवाल पूछा है की भगवन आप तो सदैव धर्म की रक्षा करते आये है तो इस तरह आपने मुझे बाण क्यों मारा?’

बलि का प्रश्न सुनकर ह्री राम ने जवाब दिया की बहिन, छोटे भाई की पत्नी, पुत्री और पुत्र की पत्नी यह सभी एक समान होती है. यदि कोई भी व्यक्ति इनमे से किसी को भी बुरी नजर से देखता है उस व्यक्ति को मारना कोई पाप नहीं है.

तुमने अपने भाई की पत्नी पर ही बुरी नजर डाली साथ ही तुमने अपने भाई सुग्रीव को मारना भी चाहा. जो एक पाप है. इस कारन मेने तुम्हे बाण मारा.

श्री राम द्वारा बताये कारण को जानकर बलि भगवान से अपने पापो की क्षमा मांगने लगा. और अपने प्राण त्याद दिए थे.

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