हर माता-पिता अपने बच्चों के लिए कई तरह के सपने देखते है और उन्हें पूरा करने के लिए अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देते है ताकि वह अच्छी शिक्षा लेकर कुछ बन कर दिखाए और उनका नाम रोशन करे लेकिन ये जरुरी तो नहीं है की हर बच्चा पढाई-लिखाई में अच्छा हो यदि बच्चे स्कूल में फेल हो जाते है तो उनके माता-पिता को यह लगने लगता है की उनका बच्चा लाइफ में कुछ नहीं कर सकता है।
जिससे हर बच्चे के मन में एक ही सवाल उठता है क्या किसी भी सफलता के लिए स्कूल और कॉलेज के बेस्ट नंबर ही मायने रखते है आपके मन में भी यही सवाल उठते होगे न जब आप किसी भी चीज में फेल हो जाते है उन्ही लोगो के लिए आज हम एक ऐसा जीता जागता उदाहरण लेकर आए है जिसने 8वी फेल हो कर भी अपनी कामयाबी और सफलता की कहानी अपने हाथों से लिखी है जी हाँ जिसका नाम त्रिश्नीत अरोरा।
त्रिश्नीत अरोरा :-
त्रिश्नीत अरोरा को अपने बचपन से ही कंप्यूटर और डिवाइजस में काफी दिलचस्पी थी त्रिश्नीत अपने खिलोनो को भी तोड़ कर फिर से ठीक करने लग जाते थे और यही वो अपने वीडियो गेम्स के साथ भी करते थे।
कैसे हुए 8वी में फेल :-
जब त्रिश्नीत के पिता उनके लिए कंप्यूटर यह सोच कर लेकर आए थे की आज के जमाने में यह सीखना बेहद्द जरुरी है लेकिन उन्हें क्या पता था की उनका बेटा तो केवल कंप्यूटर का ही दीवाना है जिसके बाद से त्रिश्नीत का पढाई से ध्यान हटने लगा और वह 8वी में फेल हो गए जिसके बाद उन्हें पिता को समझ में आ गया की उनके बेटे का दिमांग पढाई में नहीं है और फिर उन्होंने त्रिश्नीत का स्कूल जाना बन करवा दिया है और अपने बेटे की कंप्यूटर के प्रति दिलचस्पी को बढ़ावा दिया।
क्या काम करते थे त्रिश्नीत :-
त्रिश्नीत अरोरा एथिकल हैकर है एथिकल हैकिंग में नेटवर्क या सिस्टम इन्फ्रास्ट्रक्चर की सिक्युरिटी इवैल्यूएट की जाती है सर्टिफाइड हैकर्स इसकी निगरानी करते है जिससे कोई भी नेटवर्क या सिस्टम इन्फ्रास्ट्रक्चर की सिक्यूरिटी को तोड़कर कॉन्फिडेन्शियलकी चीजें न तो उड़ा सके और न ही वायरस या दुसरे मीडियम्स के द्वारा कोई नुक्सान पंहुंचा सके।
पेरेंट्स को नहीं था काम पंसद :-
8वी फेल होने के बाद में अपनी रेग्युलर पढाई को छोड़ कर 12वी तक की पढाई त्रिश्नीत ने कॉरेस्पॉन्डेंस से की और इसके साथ ही वह अपने कंप्यूटर और हैकिंग के बारे में लगातार नई जानकारियों को इकठ्ठा करते थे लेकिन उनके माता-पिता इस काम को बिल्कुल भी पंसद नहीं करते थे परन्तु त्रिश्नीत ने अपने कंप्यूटर के इस शौक को ही कैरियर बना लिया था।
60 हजार का पहला चेक :-
त्रिश्नीत ने अपनी 19 साल की उम्र में ही सॉफ्टवेयर क्लीनिंग और कंप्यूटर फिक्सिंग के काम में माहिर हो गए थे पहली बार जब त्रिश्नीत ने किसी कंपनी के लिए सॉफ्टवेयर किलनर का काम किया जब उन्हें 60 हजार का चेक मिला था जोकि किसी भी 19 साल के लड़के के लिए बहुत गर्व की बात होती है।
खुद की कंपनी खोली :-
शुरुआत में उनकी बाते सुन कर लोग बहुत ही हँसते थे लेकिन फिर धीरे-धीरे उनके काम के द्वारा कैसे दूसरी कंपनियों का डाटा चुराया जा रहा है और इन दिनों में कैसे हैकिंग तरीको का यूज किया जा रहा है इससे उनके काम को मिडिया पंसद करने लगी और उन्होंने अपनी खुद की टीएके कंप्यूटर सल्यूशन नाम की कंपनी खोली।
रिलायंस इंडस्ट्रीज है इनकी क्लाइंट :-
त्रिश्नीत अब रिलायंस से लेकर के सीबीआई पंजाब पुलिस ,गुजरात पुलिस ,अमूल और एवन साईकिल जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों को साइबर से जुड़ीं सर्विसेज दे रहे है।
2000 हजार करोड़ का टर्नओवर :-
त्रिश्नीत अरोरा की उम्र महज 22 साल की है लेकिन उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर करोडो में जाने लगा है और इस समय कंपनी की मार्केट वैल्यू 2000 हजार करोड़ रूपए का है और द हैकिंग त्रिश्नीत दि हैकिंग एरा और हैकिंग विद स्मार्ट फ़ोन्स जैसी बुक भी लिख चुके है।