भारत देश में कई तरह के घोटाले हुए है. जिसमे कई व्यक्तियों को दोषी करार भी दिया जा चूका है. अब तक आपने कई घोटालो के बारे में सुना होगा लेकिन क्या आपको पता है भारत का सबसे पहला घोटाला कौन सा था?
बात करे चारे घोटाले की तो उसमे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को दोषी करार दिया जा चूका है. चारे घोटाले से पहले भी कई तरह के घोटाले हो चुके है. आज हम आपको भारत के सबसे पहले घोटाले के बारे में बताएँगे.
आपकी जानकारी के लिए बता दे की भारत की आजादी के बड़ सबसे पहला घोटाला जीप घोटाले को माना जाता है. जानिए जीप घोटाले से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें.
भारत देश की आजादी के बाद 1948 में ही पाकिस्तानी सेनाओँ ने हमारी सीमाओं में घुसपैठ करना प्रारम्भ कर दिया था.
पाकिस्तानी सेना को भारतीय सिमा में में घुसपैठ करने से रोकने के लिए और अपनी सीमाओँ की रक्षा एवं निगरानी करने के लिए भारतीय सेना को करीब 4600 जीपों की आवश्यकता थी. जिसकी सहायता से हमारे सैनिक सीमाओं की निगरानी आसानी से कर सकते थे.
जब भारतीय सेना को अपनी सीमाओं की निगरानी के लिए जीपो की आवश्यकता थी उस समय ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त के पद पर वी के मेनन थे. उन्होंने भारतीय सैनिकों के जीप खरीदवाने के लिए तत्पर हुए.
रक्षा मंत्रालय ने1500 जीपों का 300 पाउंड प्रति जीप पर आदेश जारी करते हुए पैसे दे दिए.
रक्षा मंत्रालय के द्वारा भारतीय सीमाओं की निगरानी के लिए जीपों की खरीदी के लिए जो पैसे जारी किये थे, उस समय से 9 महीनो तक एक भी जीप भारतीय सेना को नहीं दी गई थी.
वर्तमान चेन्नई बंदरगाह पर 1949 में पहली महज 155 जीपों की खेप आई.
महज 155 जीप सेना को दिए जाने से भारतीय सेना सीमाओं की निगरानी करने में अधिकतर तय मानकों के अनुसार असमर्थ सिद्ध हो गईं.
जब इस मामले की पूर्ण रूप से जांच की गई तो इन सब का दोषी वी के मेनन पाए गए थे.
जीप घोटाले में दोषी करार देने के बावजूद सरकार या कानून की तरफ से वी के मेनन पर किसी तरह की कोई खास खास कार्यवाही नहीं हुई.
जीप घोटाले का यह केस साल 1955 में बद कर दिया गया.
प्रधानमंत्री नेहरू की कैबिनिट में कुछ समय बाद ही वी के मेनन को स्थान मिल गया.
बताया जाता है की वी के कृष्ण मेनन पर तक़रीबन 80 लाख रुपये के घोटाले का आरोप भी था.