समाज के लिये मिसाल हैं ये सक्सेसफुल ट्रांसजेंडर, कोई है जज तो कोई है कड़क पुलिसवाली

0

भारत का ट्रांसजेंडर समुदाय अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है. इसकी संख्या लगभग 50 लाख है.ट्रांसजेंडर समुदाय को अक्सर समाज में हाशिए पर रखा जाता है. मगर जहां इन्हें मौक़ा मिला, इन्होंने नाम कमाया है. अगर मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कामयाबी कदम चूमती है.किन्नरों के प्रति समाज के नजरिए को बदलने में कुछ ऐसी ही सशक्त ट्रांसजेंडर्स का अहम योगदान रहा है. तो चलिए आज हम आपको उन ट्रांसजेंडर के बारे में बताते हैं जिन्होने अपने समाज को एक अलग पहचान दी है.

गंगा कुमारी- राजस्थान पुलिस की पहली ट्रांसजेंडर कॉन्सटेबल

गंगा कुमारी राजस्थान पुलिस की पहली ट्रांसजेंडर कॉन्सटेबल बन गईं. जालौर के जाखड़ी गांव की गंगा कुमारी 2013 में कॉन्सटेबल भर्ती परीक्षा में चयनित हुई थीं. सरकार ने 208 में से 207 पदों पर नियुक्ति दे दी. लेकिन गंगा को सिर्फ ट्रांसजेंडर होने के चलते रोक दिया गया.

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को नवंबर 2017 में छह सप्ताह में नियुक्ति देने का आदेश दिया.समय सीमा गुजरने के बाद एक बार फिर सरकार को नोटिस इश्यू हुए. आखिरकार गंगा पुलिस विभाग में पहले ट्रांसजेंडर कॉन्सटेबल के रूप में नियुक्ति पाने में सफल रहीं.

अंजलि अमीर – ट्रांससेक्शुअल मलयालम एक्ट्रेस

मलायलम एक्ट्रेस अंजलि अमीर  एक ट्रांसजेंडर हैं, कोझिकोड से ताल्लुक रखने वाली अभिनेत्री ममूती जैसे दिग्गजों के साथ काम कर चुकी हैं. उन्होने  20 साल की उम्र में सेक्स चेंज सर्जरी करवाई थी.

एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया, “मैं 10वीं क्लास में थी, जब मुझे अपने अंदर कुछ बदलाव महसूस हुए. घर के सभी लोग मुझे लड़के की तरह ट्रीट करते थे, लेकिन मेरे अंदर लड़कियों वाले इंटरेस्ट डेवलप हो रहे थे. मैंने बहुत छोटी उम्र में अपनी मां को खो दिया था. जब मुझे लगा कि मैं सबसे अलग हूं, तो मैं घर से भागकर कोयम्बटूर और बेंगलुरु आ गई.”

समय के साथ मेरे परिवार ने मुझे एक्सेप्ट कर लिया. आज वो मेरी ताकत हैं. मॉडलिंग के शुरुआती दिनों में कोई नहीं जानता था कि मैं ट्रांससेक्शुअल हूं. जब यह बात ओपन हुई तब मुझे टीवी शो से निकाल दिया गया. ममूती सर ने मुझे अपनी फिल्म में मौका दिया.

जारा शेख – MNC में जॉब करने वाली पहली ट्रांसजेंडर

तिरुवनंतपुरम की रहने वाली ट्रांसजेंडर जारा शेख ने हाल ही में टैक्नोपार्क में यूएसटी ग्लोबल कंपनी के ह्यूमन रिसोर्स डिपार्टमेंट में बतौर सीनियर एसोशिएट जॉइन किया है. MNC कंपनी में काम कर रहीं जारा इससे पहले अबुधाबी और चेन्नई की कई कंपनियों में काम कर चुकी हैं.

जारा ने बताया कि  अबु धाबी में उनकी लाइफ दुश्वार हो गई थी. काम के दबाव के अलावा, वहां के स्टाफ उनका मजाक उड़ाया करते थे. मेरी पसंद लड़कियों वाली है. मुझे लिपस्टिक और आई लाइनर का इस्तेमाल करना अच्छा लगता है लेकिन वहां कंपनी में इनके इस्तेमाल पर पाबंदी थी. मैं खुदकुशी के बारे में सोचने लगी थी क्योंकि मुझे अपने तरीके से जीने की इजाजत नहीं थी.

जोइता मंडल – देश की पहली ट्रांसजेंडर जज

भारत की पहली ट्रांसजेंडर जज जोइता मंडल बनी हैं. उनकी पोस्टिंग पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर की लोक अदालत में डिविजनल लीगल सर्विसेज कमेटी ऑफ इस्लामपुर में हुई है. 8 जुलाई 2017 को जोइता को जज बनाया गया. लोक अदालत में तीन जज की बेंच बैठती हैं जिसमें एक वरिष्ठ जज , एक वकील और एक सोशल वर्कर शामिल हैं . सरकार ने जोइता को सोशल वर्कर के तौर पर जज की पोस्ट पर नियुक्त किया है.

जोइता का जन्म कोलकाता में जयंत मंडल के तौर पर हुआ था. उन्हें पहले स्कूल छोड़ना पड़ा फिर 2009 में उन्होंने अपना घर भी छोड़ दिया. जिसके बाद उनका संघर्ष शुरू हुआ. पैसों के लिए उन्होंने भीख भी मांगी.कभी स्कूल में बच्चे चिढ़ाते थे तो घरवाले भी उनकी हरकतों को लिए उन्हें डांटते थे.

नौकरी के लिए जोइता ने कॉल सेंटर ज्वाइन किया, लेकिन वहां भी लोग उनका मजाक बनाते थे. लोगों की मानसिकता के कारण उन्हें कोई किराए पर घर देने को भी तैयार नहीं था. ऐसे में उन्हें कई बार फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे सोना पड़ा.

inspirational-stories-of-transgender

गौरी सावंत – ट्रांसजेंडर सोशल एक्टिविस्ट

37 वर्षीय ट्रांसजेंडर गौरी का जन्म मुंबई में दादर के एक मराठा परिवार में हुआ है. माता-पिता ने उन्हें गणेश नंदन नाम दिया था. अपनी सेक्सुएलिटी के बारे में पिता से बात न कर पाने की वजह से गौरी ने घर छोड़ा था. कुछ साल पहले उन्होंने वेजिनोप्लास्टी कराई थी.

मुंब्ई के मलाड के मलवाणी में घर से भागे हुए ट्रांसजेंडर के लिए ‘सखी चार चौघी’ नाम से आश्रय स्थल चलाती हैं गौरी सावंत. पिछले 17 सालों से ट्रांसजेंडर्स की समस्याओं को लेकर काम कर रही हैं. उन्हें कई बार बुराइयों का सामना करना पड़ा है. जब उन्हें सेक्स वर्कर की लड़कियों की समस्याओं के बारे में पता चला तो गौरी ने इन्हें सुरक्षित माहौल देने के लिए शेल्टर बनाने का फैसला किया है. वह milaap.org की सहायता से इस काम के लिए पैसे जुटा रही हैं.

inspirational-stories-of-transgender

मेघना साहू- ओला कैब्स की पहली ट्रांसजेंडर ड्राइवर

ओडिशा के भुवनेश्वर की रहने वाली मेघना साहू ओला कैब्स की पहली ट्रांसजेंडर ड्राइवर हैं. ऐसा करके उन्होंने उन लोगों के लिए एक मिसाल कायम की है जिनके मन में ट्रांसजेंडर को लेकर गलत छवि पनपती है. जानकारी के अनुसार ओला कैब में नौकरी करके वह करीब  30 हजार रूपये आसानी से कमा लेती हैं.

एक ट्रांसजेंडर होने की वजह से कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस मिलना काफी चुनौतीपूर्ण था. वहीं ओडिशा में स्थानीय आरटीओ और परिवहन विभाग ने मेघाना के मामले में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वहीं कैब ड्राइवर के पद पर काम का अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि मेरे साथ सभी काफी अच्छे से पेश आ रहे हैं. वहीं कैब में महिला यात्री मेरी कैब सेफ फील करती हैं. बता दें, ओला में नौकरी मिलने से पहले वह एक फार्मा कंपनी में काम करती थीं. जहां उन्हें भेदभाव का शिकार होना पड़ा था.

मेघना की उम्र 28 साल हैं. उन्होंने एचआर एंड मार्केटिंग से एमबीए किया है. एक ट्रांसजेंडर होने की वजह से उन्हें शुरू से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा, जिस वजह से उन्हें नौकरी और शिक्षा प्राप्त करने में भी परेशानी आई.

inspirational-stories-of-transgender

 

सत्य श्री शर्मीला- भारत की पहली ट्रांस्जेंडर वकील

तमिलनाडु के रामानथपुरम की मूल निवासी सत्यकश्री शर्मीला, जिन्हें भारत की पहली ट्रांसजेंडर वकील बनने का गौरव हासिल हुआ है. शर्मिला ने ग्रेजुएशन के बाद एलएलबी में दाखिला लिया और साल 2007 में अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी की. पढ़ाई के दौरान अपने सहपाठियों के व्यवहार के कारण शर्मीला को कई बार असहज स्थिति का सामना करना पड़ा. बावजूद इसके उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी.

तमिलनाडु और पुडुचेरी बार काउंसिल में सत्यश्री का नाम दर्ज हुआ है. इस उपलब्धि को हासिल करने के बाद सत्य श्री शर्मिला ने कहा, ‘मैंने तमिलनाडु और पुडुचेरी बार काउंसिल में अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया है. इसी के साथ मैं देश की पहली ट्रांसजेंडर वकील बन गई हूं. मैंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है. मैं आशा करती हूं कि मेरे समुदाय के लोग अच्छा करेंगे और देश भर में उच्च पदों पर आसीन होंगे.’

inspirational-stories-of-transgender

 

मोनिका दास- सिंडिकेट बैंक में देश की पहली ट्रांसजेंडर बैंकर

बिहार की राजधानी पटना के हनुमान नगर स्थित सिंडिकेट बैंक में देश की पहली ट्रांसजेंडर महिला काम करती है. आपको बता दें कि मोनिका दास बिहार की ही नहीं देश की भी पहली ट्रांसजेंडर बैंकर हैं. मोनिका सिंडिकेट बैंक में क्लर्क के पद पर काम करती हैं. मोनिका ने 12वीं तक की पढ़ाई पटना के नवोदय विद्यालय से की है और पटना विश्वविद्यालय से स्नातक की परीक्षा पास की हैं.

inspirational-stories-of-transgender

ट्रांसजेंडर होने के कारण उन्हें काफी मुसीबतों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन मोनिका ने कभी हिम्मत नहीं हारी. मोनिका बताती हैं कि स्कूल के दिनों में उन्हे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. इसके बावजूद उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी. मोनिका परेशान तो होती थी लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी.

Leave A Reply

Your email address will not be published.