इस कंपनी के मालिक कभी सड़कों पर बेचते थे गुब्बारे, आज 80 हजार का बिकता है एक शेयर

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सफलता किसी को असानी से नहीं मिलती है इसके लिेए कड़ी मेहनत और लगन की जररूत होती है, हर व्यैक्ति को सफलता और असफलता का सामना करना पड़ता है. इसलिए असफलता से डरना नहीं चाहिए बल्कि डटकर उनका सामना करना चाहिए. अगर हौसला हो तो इंसान कोई भी मुकाम हासिल कर सकता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया था देश की सबसे बड़ी टायर कंपनी के मालिक एम मेमन मैपिल्लई ने. जिन्होने अपनी लगन और हिम्मत के दम पर MRF जैसी कंपनी खड़ी कर दी. आज MRF टायर के मार्केट में बुलंदियां छू रही है. MRF का पूरा नाम मद्रास रबर कंपनी है।

सड़कों पर बेचते थे गुब्बारे

MRF टायर यानी मद्रास रबर फैक्ट्री आज टायर इंडस्ट्री में बड़ा नाम है, लेकिन एक दौर था जब इस कंपनी को शुरू करने वाले शख्य मेमन सड़कों पर एक बैग में बैलून यानि गुब्बारें लेकर बेचा करते थे. मेमन के पिता ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था. और जेल गए थे. मेमन के पिता जब जेल में थे तो वह बैलून बेचकर परिवार चलाया करते थे और साथ ही अपनी पढ़ाई करते थे.

1960 में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई

मेमन ने स्नातक टायर मैन्युफैक्चरिंग से ही किया था फिर करीब 6 साल तक बैलून का कारोबार करने के बाद साल 1946 में ट्रीड रबर बनाना शुरू कर दिया. जब मेमन 24साल के थे तक एक कमरे में उन्होने बच्चों के खिलौने बनाते थे. फिर उन्होने अपना पहला ऑफिस चीटे स्ट्रीट मद्रास में खोला था. धीरे-धीरे मेमन रबड़ से बने उत्पादों की बिक्री करने लगे.यहीं कारण है कि साल 1956 तक आते आते उनकी कंपनी रबर के कारोबार में बड़ा नाम पा चुकी थी. रबर प्रोडक्टस के बाद उन्होने टायर इंडस्ट्री में हाथ आजमाया. साल 1960 में उन्होने रबर और टायरों की एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई.

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80 साल की उम्र में मेमन मैपिल्लई का निधन

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाने के बाद मैपिल्लई ने टायर बनाने के लिए अमेरिका की मैंसफील्ड टायर एंड रबर कंपनी के साथ टाईअप किया. 1967 में एफआरएफ अमेरिका को एक्सपोर्ट करने वाली पहली कंपनी बन गई, तो वहीं 1973 में कंपनी ने देश में पहली बार नायलान टायर लॉन्च किया. साल 1979 तक कंपनी का नाम विदेश में फैल चुका था, लेकिन इसी साल अमेरिकी कंपनी मैंसफील्ड ने एफआरएफ से अपनी हिस्सेदारी खत्म कर ली. इसके बाद कंपनी का नाम एमआरएफ लिमिटेड हो गया. इसके बाद मैपिल्लई ने छोटी-बड़ी कई कंपनियों के साथ टाईअप कर कंपनी को एक नए मुकाम पर पहुंचाया. साल 2003 में 80 साल की उम्र में मैपिल्लई का निधन हो गया. लेकिन मैपिल्लई तब तक कंपनी को टायर के फील्ड में नंबर वन बना चुके थे.

मैपिल्लई के निधन के बाद उनके बेटों ने बिजनेस की कमान संभाली और कंपनी लगातार ग्रोथ करती रही. यह मेमन की हिम्मत और उनके बेटों की काबिलियत ही है कि आज MRF 34 हजार करोड़ की कंपनी बन चुकी है. इसके एक शेयर की कीमत 80,100 रुपए है, जो भारत में सबसे ज्यादा है. क्या आपको पता है भारत से सबसे ज्यादा बिकने वाली गाड़ी मारुति 800 में भी MRFका टायर ही इस्तेमाल हुआ था.

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80 हजार का हुआ एक स्टॉक

एमआरएफ का स्टॉक 79,795.95 रुपए के भाव पर खुला था और आधे घंटे के कारोबार में स्टॉक 0.38 फीसदी बढ़कर 80,099.95 रुपए पर पहुंच गया, जो यह ऑलटाइम हाई है. वहीं एनएसई पर स्टॉक ने 80,100 का हाई बनाया.

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