भारत देश में आज भी ऐसी कई मान्यताएं हैं जिन्हें जानकार हर कोई हैरन हो जाता है. हेरानी के बाद भी लोग इस तरह की मान्यताओं पर विश्वाश करते है. हमारे देश में आज भी ऐसी कई पुरानी मीनारे है जिसका अस्तित्व कवी विचित्र है. आज हम आपको भारत की एक ऐसी मीनार की मान्यता के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आप हैरान हो सकते है.
यूपी के जालौन में 210 फ़ीट ऊँची स्थित मीनार है, जिसे लंका मीनार के नाम से जाना जाता है. इस मीनार की मान्यता काफी विचित्र है, कहा जाता है की इस मीनार में भाई-बहन एक साथ नहीं जा सकते हैं, कहते है मीनार में जाने के लिए नीचे से ऊपर तक सात परिक्रमा करनी पड़ती है, जिसके फलस्वरूप भाई-बहन इस मीनार में प्रवेश नहीं कर सकते हैं.
हिंदू धर्म के अनुसार शादी में पति-पत्नी सात परिक्रमा कर एक दुसरे को अपना जीवनसाथी मानते है. सात परिक्रमा सिर्फ पति-पत्नी ही कर सकते है, जिस कारण इस मीनार में एक साथ भाई-बहन नहीं जाते हैं.
जानकारी के अनुसार इस मीनार का निर्माण मथुरा प्रसाद ने करवाया था. मथुरा प्रसाद ने रामलीला में कई दशकों तक लंका पति रावण की भूमिका निभाई थी. रावण की याद में मथुरा प्रसाद ने सन् 1875 में 210 फ़ीट उची इस मीनार का निर्माण करवा कर इसे लंका मीनार नाम दिया था.
इस मीनार की खाशियत है की इसमें 100 फ़ीट के कुम्भकर्ण और 65 फ़ीट के मेघनाथ की प्रतिमा भी स्थापित की हुई है. रावण भगवान् का परम, भक्त था जिसके लिए उन्होंने मीनार के सामने ही भगवान शंकर के साथ चित्रगुप्त की मूर्ति भी लगाईं हुई है. जहा से लंका पति रावण भगवान शिव के दिन रात दर्शन कर सकता था.
इस मीनार के नाम के पीछे भी एक रहस्य छुपा हुआ है, इस मीनार के अंदर मथुरा प्रसाद ने रावण के पूरे परिवार का चित्रण किया था. जिस वजह से इस मीनार का नाम लंका मीनार रखा गया. आज भी व्यक्ति इस मीनार की मान्यता को मानते है.