सुरो की देवी इस तरह बनी स्वर कोकिला, लता मंगेशकर के आगे दुनिया है नतमस्तक!

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भारतरत्‍न लता मंगेशकर स्वयं भी किसी अनमोल रत्न से कम नहीं है. लता जी के गले में माँ सरस्वती का निवास है जिसके फलस्वरूप उनकी सबसे मधुर वाणी है. लता मंगेशकर भारत देश की सबसे अनमोल और सबसे सुरीली आवाज वाली गायिका हैं. उनकी आवाज की दुनिया दीवानी है.

यहाँ तक की लता जी की आवाज को सुनकर अमेरिका के वैज्ञानिको भी नत्मस्तक हो कर बयान दे दिया है की लता जी की आवाज जैसी सुरीली आवाज न आज तक कभी थी और ना ही कभी हो सकती है. पिछले करीब 6 दशकों से भारतीय सिनेमा में अपनी आवाज का जादू बिखेरने वाली लता जी का स्वभाव बड़ा ही सरल और शांत है.

सुरो की सम्राट लता जी को क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले मशहूर भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर अपनी माँ मानते है. लजा जी के आगे भारत ही नहीं पूरी दुनिया नतमस्तक है.

जन्म

लता मंगेशकर का मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में 28 सितम्बर, 1929 को गोमंतक मराठा परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम पंडित दीनानाथ मंगेशकर था जो एक क्लासिकल गायक होने के साथ ही बेहतरीन थिएटर एक्टर भी थे. लता जी की माता का नाम शेवंती (शुधामती) था. दीनानाथ जी की दी पत्निया थी जिसमे शेवंती उनकी दूसरी पत्नी थी.

सरनेम बदला

लता जी की पहले सरनेम (सरनेम) मंगेशकर नहीं बल्कि हर्डीकर था. जिसे उनके पिता ने बदलकर मंगेशकर रख लिया, उनके सरनेम बदलने का कारण उनका गांव था. उन्होंने अपने गांव मंगेशी को देखते हुए अपनी सरनेम बदलकर मंगेशकर रख ली.

बदला नाम

लता मंगेशकर का बचपन का नाम हेमा था लेकिन कुछ समय बाद उनका नाम बदलकर हेमा से लता रख दिया गया.

माता पिता की पहली संतान

लता मंगेशनकर अपने माता-पिता की सभी सन्तानो में सबसे पहली संतान है. मीना, आशा भोसले, उषा और हृदयनाथ लता मंगेशकतर के भाई-बहन है.

पिता से सीखा पहला पाठ

लता मंगेशकर ने अपने जीवन का पहला पाठ काम से सिखा. महज पाँच साल की छोटी सी उम्र में ही लता जी ने अपने पिता के म्यूजिकल नाटक के लिये एक्ट्रेस का काम प्रारम्भ कर दिया था.

सीखने लगी थी गाने

अपने स्कूल के पहले ही दिन से वह अभी बच्चो को गाने सिखाने लग गई थी. जब इस बात से शिक्षकों ने उन्हें मना किया तो वह काफी नाराज हो गई थी.

छोड़ दिया स्कूल जाना

शिशको द्वारा मना करने पर लता जी काफी नाराज हो गई थी. और उन्होंने स्कूल जाना ही छोड़ दिया. कहा जाता है की वह स्कूल आशा जी के साथ जाया करती थी, और स्कूल वालो को यह बात पसंद नहीं थी वह आशा जी को साथ लानेसे मना करते थे. जिस कारण उन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया था.

संगीत क्षेत्र का चमत्कार

लता मंगेशकर संगीत क्षेत्र का कोहिनूर हीरा है इस बात का पता तो उनके पिता दिनानाथ मंगेशकर को बचपन में ही पता चल गया था. अपने पिता की गायिकी का असर खून में दिखने लगा और लता जी भी बेहतरीन गाने लगी.

फिल्म का पहला गीत

पिता दिनानाथ मंगेशकर का स्वर्गवास होने के बाद 1942 में महज 13 साल की उम्र में ही में फिल्म किती हसाल? के लिए नाचू या ना गड़े खेडू सारी, मानी हौस भारी गीत गाया.

फिल्मो के सुप्रसिद्ध गीत

लता जी ने बॉलीवुड की फिल्मो में एक से बढ़कर एक सुपरहिट गाने दिए है. उनके द्वारा कई फिल्मो में गाने गाये गए है जिनमे मुगले आजम, अनारकली, अमर प्रेम, आशा, गाइड, प्रेमरोग, सत्यम् शिवम् सुन्दरम् जैसी कई सुपरहिट फिल्मे भी है.

आवाज में आया बदलाव

पहले की तुलना में लता जी की आवाज और भी ज्यादा सुरीली हो गई और उनके द्वारा रामलखन, हिना, बरसात, पाकीजा, नागिन जैसी कई फिल्मो में बेहतरीन चले थे.

गाने गाने का रिकॉर्ड

लता मंगेशकर ने अब तक करीब करीब हर भाषाओ में गाने गए है. जो की अपने आप में एक रिकॉर्ड है. लता जी ने करीब 30,000 से भी ज्यादा गाने गाये है.

फिल्मो और संगीतकारों को बनाया सफल

लता जी ने अपने करियर में बेहतरीन गाने गा कर न सिर्फ कई फिल्मो को सुपरहिट बनाया आठ ही उन्होंने कई संगीतकारों और गीतकारो को भी सफल बनाया है. उनकी मधुर आवाज को सुनने के लिए लोग काफी उत्साहित रहते थे.

संघर्ष

जीवन में कभी सफलता की राह इतनी आसान नहीं होती है जितना हम सोचते है. गायिकी के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए लता जी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. लेकिन लता जी ने कभी भी अपने जीवन में हार नहीं मानी और जीवन में सदैव आगे बढ़ती रही. जिसकी बदौलत वह दुनिया में अपना नाम बनाने में कामयाब हो गई.

काम देने से कर दिया था मना

शुरुआत में तो लता जी की पतली आवाज के कारण कई संगीतकारों ने तो लता जी को काम देने से साफ़ मना कर दिया था. हालांकि उस समय उनकी तुलना प्रसिद्ध पार्श्व गायिका नूरजहाँ से की जाती थी. शुरुआत में काम न मिलने के कारण उन्होंने हिम्मत नहीं हारी ओर जीवन की तमाम परेशानियों को झेलते हुए वह अपनी प्रतिभा और लगन की बदौलत उन्हें काम मिलने लगा. अपनी अद्भुत प्रतिभा को देखते हुए वह भारत की सबसे मजबूत महिला बन गई.

फ़िल्मी और गैर फिल्मी गीत

लता मंगेशकर ने अपने गायिकी के करियर में सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड करने का अद्भुत गौरव भी प्राप्त किया है. लता जी ने फ़िल्मी गीतों के अलावा गैर फ़िल्मी गीतों को भी बखूबी से गाते हुए काफी प्रसिद्धि हासिल की है.

प्रतिभा को मिली नई पहचान

वैसे तो शुरुआत से ही लता जी की गायिकी को सुनकर हर कोई जानता था की लता जी भविष्य की सबसे बेहतर गायिका होगी. लेकिन उन्हें अपनी प्रतिभा के अनुसार सही पहचान मिली सन 1947 में फ़िल्म आपकी सेवा में से. इस फिल्म में लता जी को एक गीत गाने का अवसर मिला . और इस मोके का उन्होंने बखूबी से फायदा भी उठाया.

मिले कई अवसर

इस फिल्म में गीत गाने के बाद उन्हें एक के बाद एक कई गीत गाने को मिले. और वह सभी की चहेती बन गई.

एक गीत ने बदली कया

सन 1949 में जब लता जी ने आएगा आने वाला गीत गया तो उनके चाहने वालो की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ने लग गई. प्रसिद्धि के बिछज उन्होंने कई संगीतकारों के साथ काम कर अपने नाम का डंका बजा दिया.

प्रसिद्ध संगीतकार

एस. डी. बर्मन, आर. डी. बर्मन, अनिल बिस्वास, शंकर जयकिशन, सलिल चौधरी, नौशाद, सी. रामचंद्र और मदनमोहन जैसे कई संगीतकारों ने भी लता जी की प्रतिभा को भाप कर उनकी सराहना की लता मंगेशकर ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया माना.

फिल्मो की बड़ाई शान

लता जी ने महल, एक थी लड़की, बरसात, बडी़ बहन जैसी कई फिल्मो में अपनी आवाज का जादू बिखेर कर फिल्मो में चार चाँद लगा दिए.

प्रसिद्ध गीत

लता जी के वैसे तो सभी गीत काफी प्रसिद्ध है लेकिन उनमे सबसे ज्यादा और सबके पसंदीदा गाने ओ सजना बरखा बहार आई आजा रे परदेसी, इतना ना मुझसे तू प्यार बढा़, अल्ला तेरो नाम, एहसान तेरा होगा मुझ पर, ये समां आदि कई गाने है.

नहीं की शादी

लता मंगेशकर के पिता के निधन के बाद परिवार में सबसे बड़ी होने के नाते परिवार की सारी जिम्मेदारियां उनके कधो पर आ गई. परिवार की जिम्मेदारियों को देखते हुए उन्होंने कभी भी अपने जीवनसाथी के बारे में नहीं सोचा. और न ही कभी शादी की.

मिले कई सम्मान

गायिकी के क्षेत्र में लगभग उन्हें हर अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. यही नहीं उन्हें कई राष्ट्रीय सम्मान भी प्राप्त हुए है. अपनी बेहतरीन गायिकी के लिए उन्हें 1958,1960,1965,1969 में फिल्मफेयर अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है.

पद्मश्री

लता मंगेशकर को भारत सरकार की तरफ से पद्मश्री आवर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है.

गिनीस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स

लता जी की गायिकी को देखते हुए गिनीस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स ने भी लता जी को विशेष सम्मान से सम्मानित किया जा चूका है.

दादा साहब फालके पुरस्कार

लता मंगेशकर को 1989 में दादा साहब फालके पुरस्कार से भी नवाजा जा चूका है.

भारत रत्न से सम्मानित

लता मंगेशकर भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित हों चुकी है.

लता मंगेशकर पुरस्कार

फिल्म फेर पुरस्कार ( 1958,1962,1965,1969,1993 और1994)

राष्ट्रीय पुरस्कार (1972,1975 और 1990)

महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 और 1967)

पद्म भूषण (1969 )

सबसे ज्यादा गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड (1974)

दादा साहब फाल्के पुरस्कार (1989)

फिल्म फेर लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार (1993)

स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार (1996)

राजीव गांधी पुरस्कार (1997)

एन.टी.आर. पुरस्कार (1999)

पद्म विभूषण (1999)

ज़ी सिने लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार (1999)

आई. आई. ए. एफ. लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार (2000)

स्टारडस्ट लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार (2001)

भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न (2001)

नूरजहाँ पुरस्कार (2001)

महाराष्ट्र भुषण (2001)

लता मंगेशकर के जीवन की कुछ विशेषता

लता मंगेशकर के पिता दिनानाथ मंगेशकर एक प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक थे.
लता जी ने अपना पहला गाना मराठी फिल्म किती हसाल (1942) में गाया था.

लता जी को फिल्म महल में गया गया गाना आयेगा आने वाला से नई पहचान मिली.

लता जी करीब 20 से ज्यादा तरह-तरह की भाषाओं मे 30,000 से भी ज्यादा गाने गए चुकी है.

उन्होंने 80 के दाहक के बाद फ़िल्मो मे गाना बहुत कम कर दिया था. और वह फिल्मो से ज्यादा स्टेज शो पर ध्यान देने लगी थी.

लता मंगेशकर एकमात्र ऐसी महिला है जिसके नाम पर जीवित रहते हुए उनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं.

गानों के अलावा आनंद गान बैनर तले लता जी ने फ़िल्मो का निर्माण करने के साथ संगीत भी दिया था.

लता मंगेशकर की एक बात जो हर किसी का दिल छू लेती है की

वह जब भी कोई गाना गाती है तो नंगे पाँव ही गाती हैं.

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