Mahashay Dharampal Gulati Biography – बंटवारे के समय 1500 रुपए लेकर आए थे भारत, ऐसे खड़ा किया MDH मसालों का साम्राज्य
देश के करोड़ों लोगों के खाने का स्वाद बढ़ाने वाली प्रसिद्द मसाला कंपनी MDH के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी का 3 दिसम्बर की सुबह निधन हो गया है। उन्होंने माता चन्नन देवी हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। महाशय धर्मपाल गुलाटी 98 वर्ष के थे। आज हम महज एक छोटी सी दूकान से MDH जैसी प्रसिद्ध और बड़ी कंपनी खड़ी करने वाले महाशय धर्मपाल गुलाटी के जीवन के सफ़र के बारे में जानते हैं।
- MDH मसाले
भारतीय खाने में मसालों का महत्वपुर्ण स्थान होता है। राजा-महाराजा के ज़माने से बनते आ रहे मसाले भारतीय खाने को और भी लजीज और जायकेदार बनाते है।
मसाले बनाने वाली गिनी चुनी ही कंपनीया ऐसी है जिन्होंने मसालों का स्वाद के साथ उसकी क्वालिटी को भी सालों साल बरक़रार रखा है। मसालों में एक कम्पनी ऐसी है जो वर्षो से हमारे रसोई घरो मे इस्तेमाल की जाती है वह कम्पनी है MDH मसाले।
महाशिअन दी हात्ती लिमिटेड (MDH) भारतीय मसाले के उत्पादक, वितरक और निर्यातक भी है। MDH कंपनी की स्थापना सन 1919 में महाशय चुनी लाल ने सियालकोट में की थी।
महज एक छोटी सी दूकान से इस कम्पनी की शुरुआत कर उन्होंने हर घर की इस मसाले को जरुरत बना दिया। आज के समय में वह पुरे देश में बढ रहा है।
- महाशय धरमपाल गुलाटी का इतिहास
27 मार्च 1923 को सियालकोट (पाकिस्तान) में जन्म लेने वाले महाशय धरमपाल गुलाटी के पिता का नाम महाशय चुन्नीलाल एवं माता चनन देवी काफी धार्मिक पर्वती के थे। उनके माता पिता आर्य समाज के महान अनुयायी भी थे।
- छोड़ दी स्कूल
1933 में 5 वी कक्षा तक अध्धयन करने के बाद उन्होंने पढाई छोड़ दी और 1937 में पिता का हाथ बटाते हुए एक छोटा सा व्यापार प्रारम्भ कर दिया। इस बिच उन्होंने साबुन का व्यवसाय किया और कुछ समय तक जॉब भी किया था।
इन सब कामो को छोड़ते हुए वह कपड़ो के व्यापारी बने, फिर चावल के व्यापारी बने। इतने कामो को करने के बावजूद वह लम्बे समय तक किसी भी एक व्यापार में नही टिक पाए।
अंत में उन्होंने अपने पैतृक व्यवसाय को पुनः प्रारम्भ करने की सोची। जो की मसालो का व्यवसाय हुआ करता था। जिसे हम देग्गी मिर्च नाम से जानते है।
जब देश का बंटवारा किया गया तो वह भारत लौट आये और 27 सितम्बर 1947 को वह दिल्ली पहुँचे। उन दिनों उनके जेब में महज 1500 रुपये ही थे। इन पैसों से उन्होंने 650 रुपये का टांगा खरीद लिया।
जिसे वह न्यू दिल्ली स्टेशन से लेकर कुतब रोड और उसके आस पास चलाते थे। मन में पारिवारिक व्यवसाय को प्ररम्भ करने का जूनून ख़त्म नहीं हुआ था। व्यवसाय को प्रारम्भ करने के लिए छोटे लकड़ी के खोके ख़रीद कर उन्होंने इस व्यवसाय को प्रारम्भ किया।
अटूट लगन साफ़ दृष्टी और ईमानदारी से व्यापार करने के चलते महाशयजी का व्यवसाय सफलता की ऊंचाइयों को छूने लग गया। अपने ब्रांड MDH को पहचान दिलाने के लिए उन्होंने काफी महेनत की।
- सफलता का रहस्य नही
महाशयजी की सफलता के पीछे कोई रहस्य नही है। क्यों की उन्होंने अपने व्यवसाय में सदैव नियमो और कानूनों का पालन करते हुए सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए। उनका एक ही लक्ष्य था की की ग्राहकों को अच्छी से अच्छी सेवा प्रदान की जाए ताकि वह इसे अधिक पसंद करे। उन्होंने व्यवसाय को चलने के साथ साथ ग्राहकों का भी ध्यान रखा। जिसके चलते आज यह ब्रांड हर किसी की जरीरत बन गया है।
- अनोखा बिजनेस
1975 नवंबर में उन्होंने 10 पलंगों के एक छोटे से लेकिन महत्वपूर्ण अस्पताल आर्य समाज, सुभाष नगर, न्यू दिल्ली में प्रारम्भ किया। जिसके बाद 1984 में अपनी माँ माता चनन देवी की स्मृति में जनकपुरी, दिल्ली में 20 पलंगों का महत्वपूर्ण अस्पताल की स्थापना भी की। यह अस्पताल काफी विकसित होकर 5 एकर में फैला 300 पलंगों का अस्पताल बन गया था।
- वरदान साबित हुआ अस्पताल
दिल्ली में उस समय विभिन्न तरह की सुविधा से भरा यह अस्पताल लोगो के लिये वरदान साबित हुआ। इतने काम होने के बावजूद वह नित अस्पताल को देखने जाते थे। वह अस्पताल की सभी गतिविधियों पर ख़ास ध्यान रखते थे। आज भी उनके इस अस्पताल में गरीब व्यक्तियों का निशुल्क इलाज किया जाता है।
- मुफ़्त में दिलवाई शिक्षा
महाशय धरमपाल ने बच्चों के भविष्य के देखते हुए कई स्कूलो को भी स्थापित किया जहा बच्चो को मुफ़्त में शिक्षा दी जाती थी। महाशय जी की संस्था कई बहुउद्देशीय संस्थाओ से जुडी हुई है। जिनमे महाशय चुन्नीलाल सरस्वती शिशु मंदिर, MDH इंटरनेशनल स्कूल,महाशय धरमपाल विद्या मंदिर, माता लीलावती कन्या विद्यालय प्रमुख है।
- धर्मो में भेदभाव नहीं
उन्होंने कभी भी किसी भी धर्म में भेदभाव नहीं किया। वह सभी धर्म को समान नजरो से देखते थे। उन्होंने हमेशा सभी को प्रेमभाव और भाईचारे की सलाह दी है।
- मसालो की दुनिया का MDH बादशाह
आज मसालो की दुनिया में MDH बादशाह कहलाता है। वह मसालों के साथ समाज के लिए जरुरी अच्छी बातो का भी उत्पादन करते है। MDH की सफलता के बाद उन्होंने इस नाम से अस्पतालों, स्कूलो एवं कई संस्थाओ की स्थापना भी की है।
- महत्वपूर्ण समग्री
MDH मसलो में लगने वाली महत्वपूर्ण सामग्री कर्नाटक,केरल और भारत के अलग अलग हिस्सों से मगाई जाती है। मसाले की कुछ सामग्री को ईरान और अफ़गानिस्तान से मंगाया जाता है।
- मेहनत का फल
वर्षो से की जा रही मेहनत के द्वारा भारत देश में 2017 में सबसे ज्यादा कमाने करने वाले FMCG सीईओ बन गए थे।