विलेन नहीं हीरो बनने आए थे अमरीश पुरी, चेहरा देख प्रोड्यूसरों ने कही ऐसी बात की बदल गया पूरा जीवन

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जब दो प्यार करने वाले प्रेमियों के बिच पिता बढ़ा बनता है तो हर प्रेमी जोड़े के मन में ख़याल आता है की काश हमारे पिता भी हमसे कहे की जा बेटी जा जी ले अपनी जिन्दगी. इस डायलोग को सुन कर आपके मन में विचार तो अ ही गया होगा की आज हम अको बालिवूड के खलनायक अमरीश पूरी के जीवन के दिलचस्प किस्से के बारे में बताने वाले है.

22 जून को जन्मे अमरीश पूरी भले ही आज हमारे बिच में नहीं है लेकिन फिल्मो में किये गए उनके अभिनय इस कदर हमारे दिल में बसे है की लगता ही नहीं की वह हमारे बिच नहीं है.

उनके कहे गए डायलोग हर फिल्म में उनका अलग-अलग अंदाज हम सभी के दिलो में ज़िंदा है. अधिकांश फिल्मो में बेडमेन का अभिनय करने वाले अमरीश पूरी का नाम सुन कई बार मन में डर भी बेठ जाता था.

अपने जीवन के 30 साल से भी ज्यादा का समय फिल्मो में देने वाले अमरीश पूरी ने अपनी दमदार आवाज, डरावने गेटअप से फिल्मप्रेमियों के दिलों में हमेशा खौफ जमाये रखा.

Story of Amrish Puri life

आपकी जानकारी के लिए बता दे की अमरीश पुरी फिल्मों में हीरो बनने का किरदार करना चाहते थे. लेकिन उन्होंने नकारात्मक भूमिकाओं को इस कदर किया की वह हिंदी फिल्मों में वो बुरे व्यक्ति का पर्याय बन कर रह गए.

अमरीश पूरी अपने जवानी के दिनों में मुंबई हीरो बनने के लिए आये थे. अमरीश पूरी के बड़े भाई मदन पुरी फिल्मों में पहले से ही थे, भाई के फिल्मो में होने के बाद भी कई फिल्म निर्माताओं ने उनसे कहा कि तुम्हारा चेहरा किसी हीरो की तरह नहीं है. इस बात का उनको काफी बुरा लगा था र वह निराश हो गए थे.

फिल्म में हीरो की अदाकारी के लिए उन्हें अस्वीकार कर दिए जाने के बाद अमरीश पुरी ने अभिनय करना थिएटर में चालू किया, जहा उन्हें काफी ख्याति मिली. जिसके फलस्वरूप उन्हें 1970 में पहली बार फिल्म में काम करने का मोका मिला.

फिल्मो में तो उन्होंने काफी समय बाद काम करना शुरू किया था लेकिन थिएटर कलाकार के रूप में उन्होंने काफी ख्याति प्राप्त कर ली थी. उन्हें भी इस बात का आभास हो गया था कि वह कितने बड़े अभिनेता है.

70 के दशक में अपरिष पूरी ने मंथन,निशांत, भूमिका, आक्रोश जैसी कई अन्य फिल्मो में अभिनय किया. 80 के दशक में अमरीश पूरी ने कई अद्भुत भूमिका निभा कर हर किसी का दिल जित लिया. अपने अभिनय से उन्होंने फिल्मो में अपनी खलनायिका का दबदबा बी आना लिया था.

खलनायक अवतार

नसीब, विधाता, हम पांच, हीरो, अर्ध सत्य, अंधा कानून जैसी कई फिल्मों में खलनायक का अभिनय कर उन्होंने ऐसी छाप छोड़ी कि फिल्म प्रेमियों के दिल में उनके नाम का खौफ पैदा हो गया था.

मोगैम्बो खुश हुआ

वर्ष 1987 में फिल्म मिस्टर इंडिया ने हर किसी को अपना दीवाना बना दिया था. इस फिल्म में अमरीश पूरी ने मोगैम्बो का किरदार निभा कर हर किसी को अपनी अदाकारी का दीवाना बना लिया. फिल्म का एक संवाद मोगैम्बो खुश हुआ, काफी फेमस हुआ था. आज भी कई लोगों के जहन में यह सवाद बरकरार है.

आदमी का पर्याय

फिल्मो में बुरे व्यक्ति का किरदार निभाते निभाते अमरीश पुरी बड़े पर्दे पर बुरे आदमी का पर्याय नाम बना गया था. अमरीश के के सिद्धांत बिलकुल स्पष्ट थे. यदि उन्हें कोई बात पसंद नहीं आती थी तो वह स्पष्ट तरह से कह देते थे.

विनम्रता

अपने परिवार से वह सदेव विनम्र भाव से बात करते थे, चाहे वह कोई रिश्तेदारों हो या फिर कोई दोस्त हर किसी के साथ एक जेसा व्यवहार करते थे.

जताना नहीं आता

इतने मशहूरहोने के बाद भी कभी उन्होंने इस बात का घमंड नहीं किया की वह कितने फेमस हो गए है.

इन अभिनेताओ के थे करीब

अमरीश पुरी के सबसे करीबी गोविंद निहलानी, अमिताभ बच्चन, श्याम बेनेगल, धर्मेंद्र के अलावा शत्रुघ्न सिन्हा काफी करीब थे.

युवा कलाकारों से निकटता

अमरीश पूरी को युवा कलाकारों से काफी निकटता थी, जिसमे शाहरुख खान, आमिर खान के अलावा अक्षय कुमार प्रमुख थे.

पोते-पोतियों से लगाव

अमरीश पूरी को अपने पोते-पोतियों से बेहद लगाव था. उनके बेटे के नुसार जब वह बछो के साथ रहते थे तो कहते थे की चलो अब तुम लोग जाओ. यह समय बच्चों के खेलने का है.

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