पति की यातनाएं समाज के ताने और अंत में खुदकुशी का प्रयास, फिर खड़ा किया 700 करोड़ का साम्राज्य

0

हौसले बुलंद हों तो बंजर जमीन भी गुलजार बन सकती है, कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है कल्पना सरोज ने. पति की यातनाएं समाज के ताने ओर अंत मे खुदकुशी का प्रयास लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था.

सभी कल्पना से दूर कल्पना सरोज आज 700 करोड़ की कंपनी की मालकिन हैं. कमानी ट्यूब्स की चेयरपर्सन और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित कल्पना आज सभी की प्रेरणा का स्त्रोत हैं. कल्पना सरोज ने इसके अलावा कमानी स्टील्स, कल्पना बिल्डर एंड डेवलपर्स, केएस क्रिएशंस,कल्पना एसोसिएट्स जैसी कई कंपनियों की मालकिन हैं.

इन सभी कंपनियों का टर्नओवर करोड़ों मे है, उनकी समाजसेवा और उद्यमिता को देखते हुये कल्पना को पद्मश्री और राजीव गांधी रत्न से नवाजा जा चुका है. कभी दो रुपए रोज कमाने वाली कल्पना अब 700 करोड़ के साम्राज्य पर राज कर रही हैं.

story-of-kalpana-sarojs-life-struggle

कल्पना का जन्म महाराष्ट्र के विदर्भ में हुआ था. घर के हालातो को देखते हुये कल्पना गोबर के उपले बनाकर बेचती थीं. महज 12 साल की उम्र में ही उनकी शादी 10 साल बड़े आदमी से कर दी गई थी. शादी के बाद कल्पना विदर्भ से मुंबई की झोंपड़पट्टी में आ गई थी, ससुराल में घरेलू कामकाज में छोटी सी गलती ओर कल्पना की रोज पिटाई.

शरीर के जख्म देख कर जीने की उम्मीद खत्म हो गई थी. एक दिन उस नर्क से भागकर कल्पना अपने घर जा पहुंचीं. जिसकी सजा कल्पना के परिवार को भी मिली. पंचायत ने उनके परिवार का हुक्का-पानी भी बंद कर दिया. उस समय कल्पना की जिंदगी के सभी रास्ते बंद नजर आने लगे.

कल्पना ने तीन बोतल कीटनाशक पीकर अपनी जान देने का प्रयास किया, लेकिन किस्मत को कुछ ओर ही मंजूर था. एक महिला ने उन्हे बचा लिया. कल्पना बताती हैं कि जान देने की कोशिश उसकी जिंदगी में एक बड़ा मोड़ लेकर आई. उन्होने निश्चय किया की वह अब खुद के लिए जिएगी.

story-of-kalpana-sarojs-life-struggle

16 साल की उम्र में एक बार फिर कल्पना ने मुंबई की तरह रुख किया, लेकिन इस बार पिटने के इरादे से नहीं अपने जीवन की नई शुरुआत करने के लिए. कपड़े सिलने के हुनर के दम पर उसने एक गारमेंट कंपनी में नौकरी कर ली. जहा उसे महज एक दिन में 2 रुपए मजदूरी दी जाती थी.

कल्पना ने अपने निजी तौर पर ब्लाउज सिलने का काम प्रारम्भ कर दिया, जहा उसे एक ब्लाउज के 10 रुपए मिलते थे. कल्पना की बहन बहुत बीमार थी, इलाज न मिलने के कारण उनकी मौत हो गई, इस हासड़े से कल्पना बुरी तरह टूट गई. फिर उसने ज्यादा मेहनत करने का निश्चय किया ओर दिन में 16 घंटे काम करके पैसे जोड़ने लगी.

कल्पना ने देखा कि सिलाई और बुटीक के काम में बहुत स्कोप है, जिसे एक बिजनेस के तौर पर समझने का उन्होने प्रयास किया था. उन्होने दलितों को मिलने वाला 50,000 का सरकारी लोन से एक सिलाई मशीन के अलावा कुछ अन्य सामान खरीदा और एक बुटीक शॉप को ओपन किया.

story-of-kalpana-sarojs-life-struggle

अपने काम से अच्छा रिस्पॉन्स मिलने के कारण उन्होने ब्यूटी पार्लर भी खोला और दूसरी लड़कियों को काम भी सिखाया. कल्पना ने दोबारा अपना हमसफर भी चुना था, लेकिन दो बच्चों की जिम्मेदारी कल्पना पर छोड़ कर उनके पति की बीमारी से मौत हो गई.

धीरे-धीरे कल्पना को पहचान मिलने लगी, एक दिन अचानक कल्पना को जानकारी हुई की 17 साल से बंद पड़ी कमानी ट्यूब्स को सुप्रीम कोर्ट ने कामगारों से शुरू करने के लिए कहा है. कंपनी के कई कामगार कल्पना से मिल कर कंपनी को फिर से शुरू करने के लिए मदद की अपील की. आपकी जानकारी के लिए बता दे की यह कंपनी कई विवादों के कारण 1988 से बंद हो गई थी.

कल्पना ने वर्करों के साथ मिलकर काफी मेहनत की जिसके दम पर 17 सालों से बंद पड़ी कंपनी मे उन्होने जान फूंक दी. कल्पना ने जब इस कंपनी का भार संभाली तो पता चला की कंपनी के वर्करों को कई वर्षो से सैलरी नहीं मिली थी, यहा तक की कंपनी पर करोड़ों का सरकारी कर्जा भी था, मशीनों के पुर्जे या तो जंग खा चुके थे या फिर चोरी हो गए थे.

story-of-kalpana-sarojs-life-struggle

लेकिन कल्पना ने फिर भी हिम्मत नहीं हारी और दिन रात मेहनत करने के बाद सभी विवादो को सुलझा कर महाराष्ट्र के वाडा में नई जमीन पर सफलता की इबारत खड़ी कर दी. कल्पना की मेहनत की बदोलत आज कमानी ट्यूब्स करोड़ों का टर्नओवर कर रही है.

Leave A Reply

Your email address will not be published.