मैरी कॉम : संघर्ष और नारी शक्ति की मिसाल

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मैरीकॉम एक ऐसा नाम जिसे दुनिया का बच्चा बच्चा जानता है. वह कोई अमीर लड़की नहीं बल्कि एक गरीब परिवार की लड़की है उनका जीवन गरीबी में गुजरा है मणिपुर की इस लड़की ने अपना बचपन खेतों में काम करते हुए बिताया है.

खेल में हिस्सा लेना उनके पिता को मंजूर नहीं था लेकिन 2005 में ऑनलाइन कॉम ओनलर कॉम से शादी के बाद मेरी ने खेल जगत में कदम रखा.

पति के सपोर्ट से उन्होंने बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेना प्रारंभ कर दिया और बॉक्सिंग इस कदर उनका जुनून था कि देश के लिए वह कई मेडल ले आई.

मेरी ने 2007 में जुड़वा बच्चों को जन्म दिया, लेकिन बनने के बाद भी उनके प्रोफ़ेशनल में किसी तरह की कोई कमी नहीं आई मां बनने के बाद उनका जुनून और भी बढ़ गया जिसके चलते उन्होंने वर्ल्ड टाइटल का खिताब हासिल किया.

बन चुकी है फिल्म 

मैरी कॉम को 2008 में मैग्नीफिशेंट मैरी कॉम की उपाधि से नवाजा गया. देश का नाम गर्व से ऊंचा करने वाली नारी शक्ति की मिसाल पर एक फिल्म भी बन चुकी है.

परिवार

मैरीकॉम का दूसरा नाम सुपरमॉम है, उनके तीन बच्चे हैं लेकिन बॉक्सिंग के प्रति उनका चुनाव कम नहीं हुआ.फिटनेस के लिए मैरीकॉम कड़ी मेहनत करती हैं.

अवार्ड

मैरीकॉम को कई अवार्ड मिल चुके हैं, जिनमें 2006 में पद्मश्री 2009 में उन्हें देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भी दिया गया है.

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