ढाई रुपए दिहाड़ी पर काम करने वाला शख्स आज है करोड़ों की कंपनी का मालिक

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बिरने कुमार बसाक जब अपने कंधे पर साड़ियों को लाद कर गली-गली घूम कर जब साड़ी ले लो…साड़ी ले लो… की आवाज लगाते हुये काम करते थे. एक बुनकर के यहां उन्हे 2.50 रुपये दिहाड़ी पर साड़ी बुनने का कार्य किया है, लेकिन उनकी मेहनत, लगन ओर आत्मविश्वाश के दम पर वह आज बसाक एंड कंपनी के मालिक हैं. उनकी कंपनी का वार्षिक टर्नओवर करीब 50 करोड़ रुपये है.

साड़ी पर रामायण के सात खंड :-

नादिया जिले के बिरेन कुमार बसाक ने करीब बीस साल पहले एक साड़ी बुनी थी, जो छह गज की थी. इस साड़ी की खासियत थी की उन्होंने इस पर रामायण के सात खंड को बखूबी से उकेरा था. इस साड़ी को बुनने में उन्हे दो वर्ष लगे थे. उनकी यह साड़ी 1996 में तैयार हो गई थी.

मिला सम्‍मान :-

उनके इस अद्भुत कार्य को देखते हुये ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया था. उन्हे वर्ल्ड रिकार्ड यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की डिग्री से सम्मानित किया जा चुका है. स्वायत्त संस्थान की स्थापना विश्व की रिकार्ड पुस्तिकाओं के समूह के द्वारा की गई थी.

Story of the success of Birane Kumar Basak

मिले हैं कई सम्‍मान :-

बसाक की जादुई कलाकृति ने उन्हें कई अवार्ड दिलवाए, राष्ट्रीय पुरस्कार, संत कबीर अवार्ड, नेशनल मेरिट सर्टिफिकेट अवार्ड भी दिला चुकी है. इसके अलावा उन्हे इंडियन बुक ऑफ रिकार्ड्स, लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड और वर्ल्ड यूनिक रिकार्ड्स में भी उनका नाम सुनहरे अक्षरो मे दर्ज है. इस साड़ी के लिए मुंबई की एक कंपनी ने उन्हे 2004 में आठ लाख रुपये की पेशकश भी की थी, जिसे बसाक ने ठुकरा दिया.

Story of the success of Birane Kumar Basak

घर गिरवी रख शुरू किया था बिजनेस :-

एक बुनकर के बसाक 2.50 रुपये दिहाड़ी पर साड़ी बुनने का काम किया करते थे, जहा उन्होने करीब 8 साल तक काम किया. इस काम के बाद उन्होने खुद का बिजनेस शुरू करने का निश्चय किया, जिसके लिए उन्हे अपना घर तक गिरवी रखना पड़ा ओर 10 हजार रुपये का लोन उठाया.

Story of the success of Birane Kumar Basak

पहली साड़ी की दुकान :-

उन्होंने अपनी पहली साड़ी की दुकान 1987 में खोली. उस समय उनके साथ मजह 8 लोग काम करते थे. धीरे-धीरे उनका बिजनेस बढ़ता गया, ओर आज वह हर महीने हाथो से बनी करीब 16 हजार से भी ज्यादा साड़ियां देश भर के कई हिस्सो में बेच रहे हैं. अब उनके कर्मचारियो की संख्या 24 हो गई है, जो 5 हजार बुनकरों के साथ काम करते हैं.

धीरे-धीरे उन्होने अपने भाई से अलग होकर बसाक एंड कंपनी की नींव रखी. जहा उन्होने बुनकरों से साड़ियां खरीद कर उन्हे होलसेल रेट में साड़ी डीलर को बेचना प्रारम्भ किया. आज के समय मे उनकी कंपनी का टर्नओवर 50 करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है.

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