इतने मंदिर-मज्जीद बन रही हैं, फिर भी क्लेश और झगड़े बढ़ रहे हैं!

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भारत देश में कई संप्रदाय के व्यक्ति निवास करते हैं. हर कोई अपने-अपने स्तर पर ईश्वर में अपनी अटूट श्रद्धा भाव रखते हैं, और उनकी पूजा करते हैं भारत देश में मंदिरों की कमी नहीं है, हम कह सकते हैं कि भक्तों की कमी हो सकती है, लेकिन ईश्वर कि नहीं. हर किसी की मानसिकता पर यह निर्भर करता है कि वह किस तरह से ईश्वर की आराधना करता है. कोई ईश्वर का मन ही मन रटन करता रहता है, तो कोई दिखावा करते हुए ईश्वर को याद करता है अधिकांश और लालच के लिए ईश्वर की आराधना करते हैं.

आज के समय में बहुत कम व्यक्ति मिलेंगे जो मन की शांति के लिए ईश्वर की शरण में जाते हैं. देखा जाए तो हर कोई मंदिर मस्जिद चर्च हो या गुरुद्वारा हर कोई सिर्फ घूमने के हिसाब से जाते हैं. कई लोगों को कहते हुए भी हमने सुना है की मंदिर घूमने के लिए जा रहे है मंदिर कोई घूमने की जगह नहीं है मंदिर ईश्वर का वह घर है जहां मन की शांति मिलती है ईश्वर के दर्शन होते हैं हम अपने जीवन के सभी दुख दर्द को भूल कर पूरा ध्यान ईश्वर में लगा देते हैं और सच्चे मन से उनकी आराधना करते हैं चाहे कृष्ण कहो राम कहो अल्लाह कहो यह सब एक ही है.

कुछ व्यक्ति अपने घर के नजदीक बने मंदिर में नहीं जाते हैं उनका कहना है वहां नया क्या है वहां तो जो भजन चलते हैं एक ही भजन प्रतिदिन चलाते हैं कुछ नया तो है ही नहीं तो फिर क्यों मंदिर जाए क्या हम सिर्फ अपने मनोरंजन के लिए ईश्वर के घर जाते हैं ईश्वर के घर से मन की शांति के लिए भक्ति जाते हैं सच्चे मन से उनकी आराधना कर मोक्ष की तलाश करते हैं.

मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा चर्च की कमी नहीं लेकिन सिर्फ भगवान के नाम पर जाति के नाम पर भेदभाव लड़ाई झगड़ा होता आ रहा. लोगों ने तो अपने अपने भगवान ही बाट लिए है यह हिंदू का भगवान यह मुसलमान का भगवान यह सिक्क का भगवान ये ईसाई का भगवान ईश्वर के नाम पर कई व्यक्ति तो बुरे कार्य भी करते हैं. हमारे देश में जब मंदिर मस्जिद की कमी नहीं है तो फिर क्यों इतने लड़ाई झगड़े दंगे फसाद मंदिर मस्जिद को लेकर होते हैं. आखिर क्यों इस सवाल का जवाब आज तक सिर्फ प्रश्न ही बना है.

हालांकि हर व्यक्ति यदि अपने स्वार्थ को छोडकर ईश्वर की आराधना और मोक्ष प्राप्ति के लिए मंदिर मस्जिद में जाएं तो इस तरह की लड़ाई झगड़े बिल्कुल भी ना हो. किसी मोहमाया या लालच में यदि हम ईश्वर की शरण में जाते हैं तो निश्चित ही कुछ बुरा होता है!

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