Commonwealth Games 2018: प्रैक्टिस के लिए नहीं मिले उपकरण, तो इस खिलाड़ी ने नारियल फेंककर किया अभ्यास

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कहते हैं कि जब दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो, किसी भी काम के लिए ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं होती और प्रतिभा कभी किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती. दुनिया में तमाम ऐसे उदाहरण हैं, जब लोगों ने विपरीत परिस्थितियों और सुविधाओं के अभाव में सफलता का परचम लहराकर दुनिया के लिए मिसाल बनें. ऐसा ही ताजा उदाहरण हैं कुक आईलैंड की रहने वाली शॉटपुट और डिस्कस थ्रो खिलाड़ी तेरीपी तापोकी का. तेरीपी तापोकी ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जो दुनिया के लिए महिला सशक्कतीकरण का बिरला उदाहरण है. आइए जानते हैं तेरीपी तापोकी की कहानी…

कुक आईलैंड की रहने वाली खिलाड़ी तेरीपी तापोकी ने 4 अप्रैल से शुरू हुई कॉमनवेल्थ गेम्स प्रतियोगिता में 200 से अधिक प्रतिभागियों संग भाग लिया. खास बात ये रही कि तेरीपी ने आर्थिक संकट को दरकिनारे करते हुए अपने खेल में मास्टरी हासिल की. उन्होने अपने कॉम्पटीशन के लिये नारियल से प्रैक्टिस की थी.

कुक आईलैंट के सबसे घनी आबादी वाले द्वीप रारोटोंगा की एक पुलिस अधिकारी तेरीपी तोपीको ने यह जुगत भिड़ाई. चक्का या भाला फेंक में तेरीपी तापोकी ने इसके लिए कोई पेशवर ट्रेनिंग भी नहीं ली. उनके पास प्रैक्टिस के लिए एक चक्का या गोला तक भी नहीं थे, लेकिन इन सब बाधाओं को दरकिनारे करते हुए उन्होने नारियल से अपनी तैयारी की थी.हम ऐसे जज्बे को सलाम करते हैं.

जब उनसे पूछा गया कि कैसे उन्होने नारियल से तैयारी की. तो उन्होंन ने कहा ,‘हमारे पास चक्का या गोला तो था नहीं तो हमने नारियल फेंककर अभ्यास किया. चक्का सपाट होता है जबकि नारियल गोल, ऐसे में यह अभ्यायस मुझे कुछ मुश्किल लगा.’तापोकी ने 2004 एथेंस ओलिंपिक और 2008 बीजिंग ओलिंपिक में भाग लिया था और यहां कॉमनवेल्थ गेम्सग में चक्काफेंक और गोलाफेंक दोनों में उतरेंगी. वह मेलबर्न खेलों में 11वें स्थान पर रही थीं लेकिन गर्भवती होने के कारण दिल्ली के 2010 और ग्लास्गो के 2014 कॉमनवेल्थर गेम्सग से बाहर रही थी.

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