3 करोड़ के घर में रहने वाली ये महिला क्यों लगाती है छोले कुल्चे का ठेला

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वेलकम फ्रेंड्स आज हम आप लोगो को एक ऐसी महिला की कहानी बताने वाले है जो 3 करोड़ के घर में और एक एसयुवी की मालिक होने के बाद भी सड़क किनारे ठेला लगाती है अब आप सब यही सोच रहे होगे न की इतनी अमीर होने के बाद भी वह एक सडक किनारे ठेला क्यों लगा रही है तो आइये आज हम आपको बताते है इसकी पूरी की कहानी।

र्वशी यादव की ये कहानी

गुरुग्राम में रहने वाली उर्वशी यादव करीब 6 साल पहले उनके पति का एक कार एक्सीडेंट हो गया था। जिसकी वजह से उनके घर की सारी जिम्मेदारी उर्वशी के कंधो पर आ गई अपने पति के साथ हुए एक्सीडेंट के बाद उर्वशी ने अपना घर चलाने के लिए कुछ टाइम तक टीचर की नौकरी भी की लेकिन कुछ समय बाद होने लगने लगा की टीचर की नौकरी के इतने कम पैसो से वह न तो अपना घर चला सकती है और न हीं अपने पति का इलाज करवा पाऊँगी ।

सड़क किनारें छोले-कुल्चे का ठेला का फैसला

जब उर्वशी को लगने लगा की एक टीचर की सैलरी से तो वहा ज्यादा बचत नहीं कर पाएंगी तब उर्वशी ने अपना छोले-कुल्चे का ठेला लगाने का फैसला लिया और आज उर्वशी के अनुसार वह आर्थिक रूप से बिल्कुल कमजोर नहीं है। लेकिन भविष्य के लिए किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती हो इस लिए किसी भी तरह की स्थिति खराब होने की इंतजार न करते हुए मैंने अभी से ही उसे नियंत्रण करना शुरू कर दिया है।

उर्वशी का परिवार

उर्वशी के पति अमित यादव एक अग्रणी कंपनी मे अधिकारी के रूप में काम करते है और उनके ससुर एक सेवानिवृत्त भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर 31 मई 2016 को अमित यादव का एक्सीडेंट हुआ था जिसके बाद से डॉक्टर ने उन्हें दिंसबर में उनके लिए सर्जरी की सलाह दी तभी उर्वशी ने सेक्टर 14 के बाजार में एक झील के पास पेड़ के नीचें अपना ठेला लगाया।

उर्वशी के लिए परिवार की चुनौतियों

उर्वशी के छोले कुल्चे का ठेला लगाने के निर्णय से उन्हें अपने परिवार से बेहद प्रतिरोध का सामना करना पड़ा क्यों की उर्वशी एक स्नातक और शुद्ध इंग्लिश में बात करती है। इस लिए उनके परिवार का कहना था की उर्वशी तुम अपना स्टेटस तो देखो तुम इतनी पढ़ी-लिखी कुलीन , हाई स्टैंडर्ड वाली और तुम सड़क पर छोले-कुल्चे बेचना चाहती हो और तुम जो अपना बिजनेस स्टार्ट करना चाहती हो वह तुम्हारे स्टेटस से बिल्कुल मेल नहीं खाता है।

डेढ़ महीने में ही हिट हुआ ठेला

महिंद्रा स्कॉर्पियो और हुंडई क्रेटा की मालकिन जो हर टाइम एसी में रहती है वह सड़क पर खाना बेचने के लिए निकली है यह मेरे परिवार के लिए आसान नहीं था इस लिए उर्वशी के ससुर ने एक दूकान खोलने ने लिए आर्थिक सहयता का प्रस्ताव भी रखा था।लेकिन उर्वशी ने उनकी प्रस्ताव लेने से इनकार के कर दिया इस लिए जब उर्वशी ने अपना बिजनेस शुरू किया था तो उनके परिवार वालो ने सोचा की यह ठेला तो 3 दिन से ज्यादा नहीं चल पाएंगा। लेकिन डेढ़ महीने में उर्वशी के छोले-कुल्चे पुरे स्टॉल के इलाके में हिट हो गए और इस ठेले से वह प्रतिदिन 2000 से 3000 रूपए तक कमा लेती है।

ठेला बन गया रेस्टोरेंट

आज उर्वशी का ठेला एक रेस्टोरेंट का रूप ले चूका उन्होंने अपने छोटे से ठेले से हुई कमाई के द्वारा एक फ़ूड ट्रक भी खरीद लिया है और गुडगाँव में उनका रेस्टोरेंट और अपने मेन्यू में कई सारे आयटम भी जोड़ दिए है और उनके पास में रेस्टोरेंट चलाने का लाइसेस भी है।

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