एक लाख से भी अधिक पौधे लगा चुकी है तुलसी गौड़ा, लोग कहते है ‘जंगल का इनसाइक्लोपीडिया’

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Tulsi Gowda Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्म्मानित कर्नाटक की पर्यावरण कार्यकर्ता तुलसी गौड़ा (tulsi gowda) के बारे में बात करेंगे. तुलसी गौड़ा देश के उन लोगों में से एक है, जो गुमनामी रहकर चुपचाप समाज के लिए काम करते रहते है. हालांकि जब भारत सरकार ने तुलसी गौड़ा को पद्मश्री सम्मान के लिए चुना तो उनकी कहानी दुनिया के सामने आई. लोगों ने दिल खोलकर तुलसी गौड़ा के कामो की तारीफ़ की.

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि तुलसी गौड़ा कौन है? (Who tulsi gowda), तुलसी गौड़ा को पद्मश्री क्यों दिया गया? (Why was tulsi gowda given Padma Shri) और तुलसी गौड़ा की कहानी (tulsi gowda story) क्या है? तो चलिए शुरू करते है तुलसी गौड़ा का जीवन परिचय.

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तुलसी गौड़ा जीवनी (Tulsi Gowda Biography)

दोस्तों तुलसी गौड़ा का जन्म कर्नाटक के हलक्की जनजाति के एक परिवार में हुआ था. तुलसी का परिवार एक बेहद गरीब परिवार था. तुलसी के जन्म के कुछ समय बाद ही उनके पिता की भी मृत्यु हो गई थी.

इस कारण अपने परिवार की मदद करने के लिए तुलसी गौड़ा ने कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था. काम के चलते तुलसी गौड़ा कभी भी स्कूल नहीं जा पाई.

11 साल की उम्र में ही तुलसी गौड़ा की शादी हो गई थी, लेकिन उनके पति भी ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रहे. ऐसे में अपनी जिंदगी के दुख और अकेलेपन को दूर करने के लिए तुलसी गौड़ा ने पेड़-पौधों का ख्याल रखना शुरू किया.

धीरे-धीरे पर्यावरण की ओर तुलसी की दिलचस्पी बढ़ी. वनस्पति संरक्षण के लिए तुलसी राज्य के वनीकरण योजना में बतौर कार्यकर्ता शामिल हो गई. साल 2006 में तुलसी को वन विभाग में वृक्षारोपक की नौकरी मिल गई.

तुलसी गौड़ा ने लगभग 14 साल तक वृक्षारोपक की जिम्मेदारी निभाई. इस दौरान तुलसी गौड़ा ने अनगिनत पेड़-पौधे लगाए. साथ ही उन्होंने जैविक विविधता संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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पेड़-पौधे लगाने और उन्हें बड़ा करने के अलावा तुलसी गौड़ा ने वन्य पशुओं का शिकार रोकने और जंगली आग के निवारण के क्षेत्र में भी बहुत काम किया है. इसके अलावा उन्होंने पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली सरकारी गतिविधियों का विरोध भी किया.

तुलसी गौड़ा भले ही कभी स्कूल नहीं गई, लेकिन उनका ज्ञान किसी पर्यावरण वैज्ञानिक से कम नहीं है. तुलसी गौड़ा को हर तरह के पौधों के बारे में जानकारी है. जैसे किस पौधे के लिए कैसी मिट्टी अनुकूल है, किस पौधे को कितना पानी देना है आदि.

सेवा-निवृत्त होने के बाद भी तुलसी गौड़ा ने पर्यावरण के प्रति अपने प्यार को कम नहीं होने दिया और वह वनों के संरक्षण के लिए काम करती रही. इसके अलावा तुलसी गौड़ा ने बच्चों को भी पेड़ों के महत्व के बारे में जागरूक किया. तुलसी गौड़ा का कहना है कि, ‘अगर जंगल बचेंगे, तो यह देश बचेगा. हमें और जंगल बनाने की आवश्यकता है.’

सेवा-निवृत्त होने के बाद भी तुलसी गौड़ा पेड़ लगाती रही. अपने जीवनकाल में तुलसी गौड़ा ने एक लाख से भी अधिक पेड़-पौधे लगाए है. तुलसी गौड़ा को जंगलों की इतनी समझ है कि उन्हें ‘जंगल का इनसाइक्लोपीडिया’ भी कहा जाता है.

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तुलसी गौड़ा को मिले सम्मान (Tulsi Gowda Award)

तुलसी गौड़ा के द्वारा पर्यावरण को लेकर किए गए कामों को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने उन्हें राज्योत्सव पुरस्कार से सम्मानित किया था.

इसके अलावा तुलसी गौड़ा को इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार और श्रीमती कविता स्मारक पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.

साल 2021 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तुलसी गौड़ा को देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्म्मानित किया था.

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