What is Indian Penal Code – जानिए IPC क्या है?, कौन से अपराध पर कौन सी धारा

What is Indian Penal Code - IPC Section, IPC Dhara and more

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What is Indian Penal Code – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम भारतीय दंड विधान यानी इंडियन पीनल कोड 1860 के बारे में बात करेंगे. इंडियन पीनल कोड यानि IPC का नाम तो हम अक्सर सुनते ही रहते है. हालांकि देश में कम ही लोग ऐसे हैं, जिन्हें इसके बारे में सही जानकारी है. इंडियन पीनल कोड को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठते है.

जैसे इंडियन पीनल कोड क्या है? (What is Indian Penal Code?), इंडियन पीनल कोड की धाराएं कितने प्रकार की होती है? (types of sections of Indian Penal Code), कानूनी धारा कितने प्रकार की होती हैं? What are types of legal clauses और कौन से अपराध पर कौन सी धाराएं लगाई जाती है? (Which offences are subject to which section?) तो चलिए आज हम इन्ही सवालों के जवाब जानते है.

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इंडियन पीनल कोड क्या है? (What is Indian Penal Code?)

भारतीय दंड विधान यानी इंडियन पीनल कोड 1860 एक ऐसा ड्राफ्ट है, जिसमें अपराधी को सजा देने का प्रावधान है. यानि किसी अपराधी को क्या सजा होगी, वह इंडियन पीनल कोड 1860 में बताया गया है. हत्या से लेकर रेप तक और चोरी से लेकर मानहानि तक हर अपराध की सजा का जिक्र इंडियन पीनल कोड में किया हुआ है.

इंडियन पीनल कोड कब बना? (When was Indian Penal Code formed?)

इंडियन पीनल कोड को बनाने का काम सबसे पहले साल 1837 में शुरू हुआ. उस समय थॉमस मैकाले की अध्यक्षता में पहले लॉ कमीशन ने इंडियन पीनल कोड का ड्राफ्ट बनाने की शुरुआत की. साल 1850 में इसकी ड्राफ्टिंग का काम पूरा हुआ. इसके बाद साल 1856 में इसे लेजिस्लेटिव काउंसिल के सामने पेश किया गया. यहां बार्न्स पीकॉक ने ड्राफ्ट में आवश्यक सुधार किए. साल 1860 में इंडियन पीनल कोड पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ.

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इंडियन पीनल कोड में बदलाव (Changes in Indian Penal Code)

जब इंडियन पीनल कोड बना तब देश में ब्रिटिश शासन था. उस समय इसे बनाने वालों के मन में कहीं ना कहीं गुलाम और आका वाली मानसिकता थी. यही कारण है कि इसमें राजद्रोह सहित कई विवादित सेक्शन भी थे. इन विवादित सेक्शन में समय के बदलाव किया गया. इसके अलावा समाज में आए बदलाव के कारण कई अपराधों को जोड़ा गया और कई अपराधों को हटाया भी गया. जैसे – दहेज़ लेना, भ्रूण परीक्षण जैसी चीजों को अपराध मानते हुए इसमें जोड़ा गया.

आईपीसी में कितनी धाराएं हैं? (How many sections are there in IPC?)

इंडियन पीनल कोड 1860 में कुल 23 चैप्टर हैं, जो कुल 511 खंड में बांटे गए हैं.

कौन सा अपराध किस धारा के अधीन हैं? (Which offences are subject to which section)

IPC की धारा 1 – संहिता का नाम और उसके प्रवर्तन का विस्तार.

IPC की धारा 2 – भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड.

 IPC की धारा 3 – भारत से परे किए गए किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड.

IPC की धारा 4 – राज्यक्षेत्रातीत / अपर देशीय अपराधों पर संहिता का विस्तार.

IPC की धारा 5 – कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना.

IPC की धारा 6 – संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना.

IPC की धारा 7 – एक बार स्पष्टीकॄत वाक्यांश का अभिप्राय.

IPC की धारा 8 – लिंग.

IPC की धारा 9 – वचन.

IPC की धारा 10 – पुरुष. स्त्री.

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IPC की धारा 11 – व्यक्ति.

IPC की धारा 12 – जनता / जन सामान्य.

IPC की धारा 13 – क्वीन की परिभाषा.

IPC की धारा 14 – सरकार का सेवक.

IPC की धारा 15 – ब्रिटिश इण्डिया की परिभाषा.

IPC की धारा 16 – गवर्नमेंट आफ इण्डिया की परिभाषा.

IPC की धारा 17 – सरकार.

IPC की धारा 18 – भारत.

IPC की धारा 19 – न्यायाधीश.

IPC की धारा 20 – न्यायालय.

IPC की धारा 21 – लोक सेवक.

IPC की धारा 22 – चल सम्पत्ति.

IPC की धारा 23 – सदोष अभिलाभ / हानि.

IPC की धारा 24 – बेईमानी करना.

IPC की धारा 25 – कपटपूर्वक.

IPC की धारा 26 – विश्वास करने का कारण.

IPC की धारा 27 – पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में सम्पत्ति.

IPC की धारा 28 – कूटकरण.

IPC की धारा 29 – दस्तावेज.

IPC की धारा 30 – मूल्यवान प्रतिभूति.

IPC की धारा 31 – बिल.

IPC की धारा 32 – कार्यों को दर्शाने वाले शब्दों के अन्तर्गत अवैध लोप शामिल है.

IPC की धारा 33 – कार्य.

IPC की धारा 34 – सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य.

IPC की धारा 35 – जबकि ऐसा कार्य इस कारण आपराधिक है कि वह आपराधिक ज्ञान या आशय से किया गया है.

IPC की धारा 36 – अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप द्वारा कारित परिणाम.

IPC की धारा 37 – कई कार्यों में से किसी एक कार्य को करके अपराध गठित करने में सहयोग करना.

IPC की धारा 38 – आपराधिक कार्य में संपॄक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे.

IPC की धारा 39 – स्वेच्छया.

IPC की धारा 40 – अपराध.

IPC की धारा 41 – विशेष विधि.

IPC की धारा 42 – स्थानीय विधि.

IPC की धारा 43 – अवैध.

IPC की धारा 44 – क्षति.

IPC की धारा 45 – जीवन.

IPC की धारा 46 – मॄत्यु.

IPC की धारा 47 – जीवजन्तु.

IPC की धारा 48 – जलयान.

IPC की धारा 49 – वर्ष या मास.

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IPC की धारा 50 – IPC की धारा.

IPC की धारा 51 – शपथ.

IPC की धारा 52 – सद्भावपूर्वक.

IPC की धारा 53 – दण्ड.

IPC की धारा 54 – मॄत्यु दण्डादेश का रूपांतरण.

IPC की धारा 55 – आजीवन कारावास के दण्डादेश का लघुकरण.

IPC की धारा 56 – य़ूरोपियों तथा अमरीकियों को दण्ड दासता की सजा.

IPC की धारा 57 – दण्डावधियों की भिन्नें.

IPC की धारा 58 – निर्वासन से दण्डादिष्ट अपराधियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाए जब तक वे निर्वासित न कर दिए जाएं.

IPC की धारा 59 – कारावास के बदले निर्वासनट.

IPC की धारा 60 – दण्डादिष्ट कारावास के कतिपय मामलों में सम्पूर्ण कारावास या उसका कोई भाग कठिन या सादा हो सकेगा.

IPC की धारा 61 – सम्पत्ति के समपहरण का दण्डादेश.

IPC की धारा 62 – मॄत्यु, निर्वासन या कारावास से दण्डनीय अपराधियों की बाबत सम्पत्ति का समपहरण .

IPC की धारा 63 – आर्थिक दण्ड/जुर्माने की रकम.

IPC की धारा 64 – जुर्माना न देने पर कारावास का दण्डादेश.

IPC की धारा 65 – जब कि कारावास और जुर्माना दोनों आदिष्ट किए जा सकते हैं, तब जुर्माना न देने पर कारावास की अवधि.

IPC की धारा 66 – जुर्माना न देने पर किस भांति का कारावास दिया जाए.

IPC की धारा 67 – आर्थिक दण्ड न चुकाने पर कारावास, जबकि अपराध केवल आर्थिक दण्ड से दण्डनीय हो.

IPC की धारा 68 – आर्थिक दण्ड के भुगतान पर कारावास का समाप्त हो जाना.

IPC की धारा 69 – जुर्माने के आनुपातिक भाग के दे दिए जाने की दशा में कारावास का पर्यवसान.

IPC की धारा 70 – जुर्माने का छह वर्ष के भीतर या कारावास के दौरान वसूल किया जाना. मॄत्यु सम्पत्ति को दायित्व से उन्मुक्त नहीं करती.

IPC की धारा 71 – कई अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिए दण्ड की अवधि.

IPC की धारा 72 – कई अपराधों में से एक के दोषी व्यक्ति के लिए दण्ड जबकि निर्णय में यह कथित है कि यह संदेह है कि वह किस अपराध का दोषी है.

IPC की धारा 73 – एकांत परिरोध.

IPC की धारा 74 – एकांत परिरोध की अवधि.

IPC की धारा 75 – पूर्व दोषसिद्धि के पश्चात् अध्याय 12 या अध्याय 17 के अधीन कतिपय अपराधों के लिए वर्धित दण्ड.

IPC की धारा 76 – विधि द्वारा आबद्ध या तथ्य की भूल के कारण अपने आप के विधि द्वारा आबद्ध होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य.

IPC की धारा 77 – न्यायिकतः कार्य करते हुए न्यायाधीश का कार्य.

IPC की धारा 78 – न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में किया गया कार्य.

IPC की धारा 79 – विधि द्वारा न्यायानुमत या तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य.

IPC की धारा 80 – विधिपूर्ण कार्य करने में दुर्घटना.

IPC की धारा 81 – आपराधिक आशय के बिना और अन्य क्षति के निवारण के लिए किया गया कार्य जिससे क्षति कारित होना संभाव्य है.

IPC की धारा 82 – सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्य.

IPC की धारा 83 – सात वर्ष से ऊपर किंतु बारह वर्ष से कम आयु के अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य.

IPC की धारा 84 – विकॄतचित व्यक्ति का कार्य.

IPC की धारा 85 – ऐसे व्यक्ति का कार्य जो अपनी इच्छा के विरुद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ है.

IPC की धारा 86 – किसी व्यक्ति द्वारा, जो मत्तता में है, किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित है.

IPC की धारा 87 – सम्मति से किया गया कार्य जिससे मॄत्यु या घोर उपहति कारित करने का आशय न हो और न उसकी संभाव्यता का ज्ञान हो.

IPC की धारा 88 – किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सम्मति से सद््भावपूर्वक किया गया कार्य जिससे मॄत्यु कारित करने का आशय नहीं है.

IPC की धारा 89 – संरक्षक द्वारा या उसकी सम्मति से शिशु या उन्मत्त व्यक्ति के फायदे के लिए सद्भावपूर्वक किया गया कार्य.

IPC की धारा 90 – सम्मति, जिसके संबंध में यह ज्ञात हो कि वह भय या भ्रम के अधीन दी गई है.

IPC की धारा 91 – ऐसे अपवादित कार्य जो कारित क्षति के बिना भी स्वतः अपराध है.

IPC की धारा 92 – सहमति के बिना किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सद्भावपूर्वक किया गया कार्य.

IPC की धारा 93 – सद्भावपूर्वक दी गई संसूचना.

IPC की धारा 94 – वह कार्य जिसको करने के लिए कोई व्यक्ति धमकियों द्वारा विवश किया गया है.

IPC की धारा 95 – तुच्छ अपहानि कारित करने वाला कार्य.

IPC की धारा 96 – प्राइवेट प्रतिरक्षा में की गई बातें.

IPC की धारा 97 – शरीर तथा संपत्ति की निजी प्रतिरक्षा का अधिकार.

IPC की धारा 98 – ऐसे व्यक्ति के कार्य के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार जो विकॄतचित्त आदि हो.

IPC की धारा 99 – कार्य, जिनके विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है.

IPC की धारा 100 – किसी की मॄत्यु कारित करने पर शरीर की निजी प्रतिरक्षा का अधिकार कब लागू होता है.

IPC की धारा 101 – मॄत्यु से भिन्न कोई क्षति कारित करने के अधिकार का विस्तार कब होता है.

IPC की धारा 102 – शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना.

IPC की धारा 103 – कब संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मॄत्यु कारित करने तक का होता है.

IPC की धारा 104 – मॄत्यु से भिन्न कोई क्षति कारित करने तक के अधिकार का विस्तार कब होता है.

IPC की धारा 105 – सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना.

IPC की धारा 106 – घातक हमले के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार जब कि निर्दोष व्यक्ति को अपहानि होने की जोखिम है.

IPC की धारा 107 – किसी बात का दुष्प्रेरण.

IPC की धारा 108 – दुष्प्रेरक.

IPC की धारा 108क – भारत से बाहर के अपराधों का भारत में दुष्प्रेरण.

IPC की धारा 109 – अपराध के लिए उकसाने के लिए दण्ड, यदि दुष्प्रेरित कार्य उसके परिणामस्वरूप किया जाए, और जहां कि उसके दण्ड के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है.

IPC की धारा 110 – दुष्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है.

IPC की धारा 111 – दुष्प्रेरक का दायित्व जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया है.

IPC की धारा 112 – दुष्प्रेरक कब दुष्प्रेरित कार्य के लिए और किए गए कार्य के लिए आकलित दण्ड से दण्डनीय है.

IPC की धारा 113 – दुष्प्रेरित कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक द्वारा आशयित से भिन्न हो.

IPC की धारा 114 – अपराध किए जाते समय दुष्प्रेरक की उपस्थिति.

IPC की धारा 115 – मॄत्युदण्ड या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण – यदि दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप अपराध नहीं किया जाता.

IPC की धारा 116 – कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण – यदि अपराध न किया जाए.

IPC की धारा 117 – सामान्य जन या दस से अधिक व्यक्तियों द्वारा अपराध किए जाने का दुष्प्रेरण.

IPC की धारा 118 – मॄत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना.

IPC की धारा 119 – किसी ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना का लोक सेवक द्वारा छिपाया जाना, जिसका निवारण करना उसका कर्तव्य है.

IPC की धारा 120 – कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना.

IPC की धारा 120क – आपराधिक षड्यंत्र की परिभाषा.

IPC की धारा 120ख – आपराधिक षड्यंत्र का दंड.

IPC की धारा 121 – भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करना या युद्ध करने का प्रयत्न करना या युद्ध करने का दुष्प्रेरण करना.

IPC की धारा 121क – IPC की धारा 121 द्वारा दंडनीय अपराधों को करने का षड्यंत्र.

IPC की धारा 122 – भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करने के आशय से आयुध आदि संग्रहित करना.

IPC की धारा 123 – युद्ध करने की परिकल्पना को सुगम बनाने के आशय से छिपाना.

IPC की धारा 124 – किसी विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग करने के लिए विवश करने या उसका प्रयोग अवरोधित करने के आशय से राष्ट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करना.

IPC की धारा 124क – राजद्रोह.

IPC की धारा 125 – भारत सरकार से मैत्री संबंध रखने वाली किसी एशियाई शक्ति के विरुद्ध युद्ध करना.

IPC की धारा 126 – भारत सरकार के साथ शांति का संबंध रखने वाली शक्ति के राज्यक्षेत्र में लूटपाट करना.

IPC की धारा 127 – IPC की धारा 125 और 126 में वर्णित युद्ध या लूटपाट द्वारा ली गई सम्पत्ति प्राप्त करना.

IPC की धारा 128 – लोक सेवक का स्वेच्छया राजकैदी या युद्धकैदी को निकल भागने देना.

IPC की धारा 129 – लोक सेवक का उपेक्षा से किसी कैदी का निकल भागना सहन करना.

IPC की धारा 130 – ऐसे कैदी के निकल भागने में सहायता देना, उसे छुड़ाना या संश्रय देना.

IPC की धारा 131 – विद्रोह का दुष्प्रेरण या किसी सैनिक, नौसेनिक या वायुसैनिक को कर्तव्य से विचलित करने का प्रयत्न करना.

IPC की धारा 132 – विद्रोह का दुष्प्रेरण यदि उसके परिणामस्वरूप विद्रोह हो जाए.

IPC की धारा 133 – सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारी जब कि वह अधिकारी अपने पद-निष्पादन में हो, पर हमले का दुष्प्रेरण.

IPC की धारा 134 – हमले का दुष्प्रेरण जिसके परिणामस्वरूप हमला किया जाए.

IPC की धारा 135 – सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा परित्याग का दुष्प्रेरण.

IPC की धारा 136 – अभित्याजक को संश्रय देना.

IPC की धारा 137 – मास्टर की उपेक्षा से किसी वाणिज्यिक जलयान पर छुपा हुआ अभित्याजक.

IPC की धारा 138 – सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अनधीनता के कार्य का दुष्प्रेरण.

IPC की धारा 138क – पूर्वोक्त IPC की धाराओं का भारतीय सामुद्रिक सेवा को लागू होना

IPC की धारा 139 – कुछ अधिनियमों के अध्यधीन व्यक्ति.

IPC की धारा 140 – सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली पोशाक पहनना या प्रतीक चिह्न धारण करना.

IPC की धारा 141 – विधिविरुद्ध जनसमूह.

IPC की धारा 142 – विधिविरुद्ध जनसमूह का सदस्य होना.

IPC की धारा 143 – गैरकानूनी जनसमूह का सदस्य होने के नाते दंड.

IPC की धारा 144 – घातक आयुध से सज्जित होकर विधिविरुद्ध जनसमूह में सम्मिलित होना.

IPC की धारा 145 – किसी विधिविरुद्ध जनसमूह जिसे बिखर जाने का समादेश दिया गया है, में जानबूझकर शामिल होना या बने रहना.

IPC की धारा 146 – उपद्रव करना.

IPC की धारा 147 – बल्वा करने के लिए दंड.

IPC की धारा 148 – घातक आयुध से सज्जित होकर उपद्रव करना.

IPC की धारा 149 – विधिविरुद्ध जनसमूह का हर सदस्य, समान लक्ष्य का अभियोजन करने में किए गए अपराध का दोषी.

IPC की धारा 150 – विधिविरुद्ध जनसमूह में सम्मिलित करने के लिए व्यक्तियों का भाड़े पर लेना या भाड़े पर लेने के लिए बढ़ावा देना.

IPC की धारा 151 – पांच या अधिक व्यक्तियों के जनसमूह जिसे बिखर जाने का समादेश दिए जाने के पश्चात् जानबूझकर शामिल होना या बने रहना.

IPC की धारा 152 – लोक सेवक के उपद्रव / दंगे आदि को दबाने के प्रयास में हमला करना या बाधा डालना.

IPC की धारा 153 – उपद्रव कराने के आशय से बेहूदगी से प्रकोपित करना.

IPC की धारा 153 – उपद्रव कराने के आशय से बेहूदगी से प्रकोपित करना.

IPC की धारा 153क – धर्म, मूलवंश, भाषा, जन्म-स्थान, निवास-स्थान, इत्यादि के आधारों पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और सौहार्द्र बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना.

IPC की धारा 153ख – राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन, प्राख्यान.

IPC की धारा 154 – उस भूमि का स्वामी या अधिवासी, जिस पर ग़ैरक़ानूनी जनसमूह एकत्रित हो.

IPC की धारा 155 – व्यक्ति जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो का दायित्व.

IPC की धारा 156 – उस स्वामी या अधिवासी के अभिकर्ता का दायित्व, जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया जाता है.

IPC की धारा 157 – विधिविरुद्ध जनसमूह के लिए भाड़े पर लाए गए व्यक्तियों को संश्रय देना.

IPC की धारा 158 – विधिविरुद्ध जमाव या बल्वे में भाग लेने के लिए भाड़े पर जाना.

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IPC की धारा 159 – दंगा.

IPC की धारा 160 – उपद्रव करने के लिए दण्ड.

IPC की धारा 161 से 165 – लोक सेवकों द्वारा या उनसे संबंधित अपराधों के विषय में.

IPC की धारा 166 – लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को क्षति पहुँचाने के आशय से विधि की अवज्ञा करना.

IPC की धारा 166क – कानून के तहत महीने दिशा अवहेलना लोक सेवक.

IPC की धारा 166ख – अस्पताल द्वारा शिकार की गैर उपचार.

IPC की धारा 167 – लोक सेवक, जो क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचता है.

IPC की धारा 168 – लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रूप से व्यापार में लगता है.

IPC की धारा 169 – लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रूप से संपत्ति क्रय करता है या उसके लिए बोली लगाता है.

IPC की धारा 170 – लोक सेवक का प्रतिरूपण.

IPC की धारा 171 – कपटपूर्ण आशय से लोक सेवक के उपयोग की पोशाक पहनना या निशानी को धारण करना.

IPC की धारा 171क – अभ्यर्थी, निर्वाचन अधिकार परिभाषित.

IPC की धारा 171ख – रिश्वत.

IPC की धारा 171ग – निर्वाचनों में असम्यक  असर डालना.

IPC की धारा 171घ – निर्वाचनों में प्रतिरूपण.

IPC की धारा 171ङ – रिश्वत के लिए दण्ड.

IPC की धारा 171च – निर्वाचनों में असम्यक् असर डालने या प्रतिरूपण के लिए दण्ड.

IPC की धारा 171छ – निर्वाचन के सिलसिले में मिथ्या कथन.

IPC की धारा 171ज – निर्वाचन के सिलसिले में अवैध संदाय.

IPC की धारा 171झ – निर्वाचन लेखा रखने में असफलता.

IPC की धारा 172 – समनों की तामील या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार हो जाना.

IPC की धारा 173 – समन की तामील का या अन्य कार्यवाही का या उसके प्रकाशन का निवारण करना.

IPC की धारा 174 – लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर-हाजिर रहना.

IPC की धारा 175 – दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख] पेश करने के लिए वैध रूप से आबद्ध व्यक्ति का लोक सेवक को पेश करने का लोप.

IPC की धारा 176 – सूचना या इत्तिला देने के लिए कानूनी तौर पर आबद्ध व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को सूचना या इत्तिला देने का लोप.

IPC की धारा 177 – झूठी सूचना देना.

IPC की धारा 178 – शपथ या प्रतिज्ञान से इंकार करना, जबकि लोक सेवक द्वारा वह वैसा करने के लिए सम्यक् रूप से अपेक्षित किया जाए.

IPC की धारा 179 – प्रश्न करने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक को उत्तर देने से इंकार करना.

IPC की धारा 180 – कथन पर हस्ताक्षर करने से इंकार.

IPC की धारा 181 – शपथ दिलाने या अभिपुष्टि कराने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक के, या व्यक्ति के समक्ष शपथ या अभिपुष्टि पर झूठा बयान.

IPC की धारा 182 – लोक सेवक को अपनी विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग दूसरे व्यक्ति की क्षति करने के आशय से झूठी सूचना देना.

IPC की धारा 183 – लोक सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा संपत्ति लिए जाने का प्रतिरोध.

IPC की धारा 184 – लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति के विक्रय में बाधा डालना.

IPC की धारा 185 – लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति का अवैध क्रय या उसके लिए अवैध बोली लगाना.

IPC की धारा 186 – लोक सेवक के लोक कॄत्यों के निर्वहन में बाधा डालना.

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IPC की धारा 187 – लोक सेवक की सहायता करने का लोप, जबकि सहायता देने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो.

IPC की धारा 188 – लोक सेवक द्वारा विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा.

IPC की धारा 189 – लोक सेवक को क्षति करने की धमकी.

IPC की धारा 190 – लोक सेवक से संरक्षा के लिए आवेदन करने से रोकने हेतु किसी व्यक्ति को उत्प्रेरित करने के लिए क्षति की धमकी.

IPC की धारा 191 – झूठा साक्ष्य देना.

IPC की धारा 192 – झूठा साक्ष्य गढ़ना.

IPC की धारा 193 – मिथ्या साक्ष्य के लिए दंड.

IPC की धारा 194 – मॄत्यु से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्धि कराने के आशय से झूठा साक्ष्य देना या गढ़ना.

IPC की धारा 195 – आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्धि प्राप्त करने के आशय से झूठा साक्ष्य देना या गढ़ना.

IPC की धारा 196 – उस साक्ष्य को काम में लाना जिसका मिथ्या होना ज्ञात है.

IPC की धारा 197 – मिथ्या प्रमाणपत्र जारी करना या हस्ताक्षरित करना.

IPC की धारा 198 – प्रमाणपत्र जिसका नकली होना ज्ञात है, असली के रूप में प्रयोग करना.

IPC की धारा 199 – विधि द्वारा साक्ष्य के रूप में लिये जाने योग्य घोषणा में किया गया मिथ्या कथन.

IPC की धारा 200 – ऐसी घोषणा का मिथ्या होना जानते हुए सच्ची के रूप में प्रयोग करना.

IPC की धारा 201 – अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए झूठी जानकारी देना.

IPC की धारा 202 – सूचना देने के लिए आबद्ध व्यक्ति द्वारा अपराध की सूचना देने का साशय लोप.

IPC की धारा 203 – किए गए अपराध के विषय में मिथ्या इत्तिला देना.

IPC की धारा 204 – साक्ष्य के रूप में किसी 3[दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख] का पेश किया जाना निवारित करने के लिए उसको नष्ट करना.

IPC की धारा 205 – वाद या अभियोजन में किसी कार्य या कार्यवाही के प्रयोजन से मिथ्या प्रतिरूपण.

IPC की धारा 206 – संपत्ति को समपहरण किए जाने में या निष्पादन में अभिगॄहीत किए जाने से निवारित करने के लिए उसे कपटपूर्वक हटाना या छिपाना.

IPC की धारा 207 – संपत्ति पर उसके जब्त किए जाने या निष्पादन में अभिगॄहीत किए जाने से बचाने के लिए कपटपूर्वक दावा.

IPC की धारा 208 – ऐसी राशि के लिए जो शोध्य न हो कपटपूर्वक डिक्री होने देना सहन करना.

IPC की धारा 209 – बेईमानी से न्यायालय में मिथ्या दावा करना.

IPC की धारा 210 – ऐसी राशि के लिए जो शोध्य नहीं है कपटपूर्वक डिक्री अभिप्राप्त करना.

IPC की धारा 211 – क्षति करने के आशय से अपराध का झूठा आरोप.

IPC की धारा 212 – अपराधी को संश्रय देना.

IPC की धारा 213 – अपराधी को दंड से प्रतिच्छादित करने के लिए उपहार आदि लेना.

IPC की धारा 214 – अपराधी के प्रतिच्छादन के प्रतिफलस्वरूप उपहार की प्रस्थापना या संपत्ति का प्रत्यावर्तन.

IPC की धारा 215 – चोरी की संपत्ति इत्यादि के वापस लेने में सहायता करने के लिए उपहार लेना.

IPC की धारा 216 – ऐसे अपराधी को संश्रय देना, जो अभिरक्षा से निकल भागा है या जिसको पकड़ने का आदेश दिया जा चुका है.

IPC की धारा 216क – लुटेरों या डाकुओं को संश्रय देने के लिए शास्ति.

IPC की धारा 216ख – IPC की धारा 212, IPC की धारा 216 और IPC की धारा 216क में संश्रय की परिभाषा.

IPC की धारा 217 – लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को दंड से या किसी संपत्ति के समपहरण से बचाने के आशय से विधि के निदेश की अवज्ञा.

IPC की धारा 218 – किसी व्यक्ति को दंड से या किसी संपत्ति को समपहरण से बचाने के आशय से लोक सेवक द्वारा अशुद्ध अभिलेख या लेख की रचना.

IPC की धारा 219 – न्यायिक कार्यवाही में विधि के प्रतिकूल रिपोर्ट आदि का लोक सेवक द्वारा भ्रष्टतापूर्वक किया जाना.

IPC की धारा 220 – प्राधिकार वाले व्यक्ति द्वारा जो यह जानता है कि वह विधि के प्रतिकूल कार्य कर रहा है, विचारण के लिए या परिरोध करने के लिए सुपुर्दगी.

IPC की धारा 221 – पकड़ने के लिए आबद्ध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोप.

IPC की धारा 222 – दंडादेश के अधीन या विधिपूर्वक सुपुर्द किए गए व्यक्ति को पकड़ने के लिए आबद्ध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोप.

IPC की धारा 223 – लोक सेवक द्वारा उपेक्षा से परिरोध या अभिरक्षा में से निकल भागना सहन करना.

IPC की धारा 224 – किसी व्यक्ति द्वारा विधि के अनुसार अपने पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा.

IPC की धारा 225 – किसी अन्य व्यक्ति के विधि के अनुसार पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा.

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IPC की धारा 225क – उन दशाओं में जिनके लिए अन्यथा उपबंध नहीं है लोक सेवक द्वारा पकड़ने का लोप या निकल भागना सहन करना.

IPC की धारा 225ख – अन्यथा अनुपबंधित दशाओं में विधिपूर्वक पकड़ने में प्रतिरोध या बाधा या निकल भागना या छुड़ाना.

IPC की धारा 226 – निर्वासन से विधिविरुद्ध वापसी.

IPC की धारा 227 – दंड के परिहार की शर्त का अतिक्रमण.

IPC की धारा 228 – न्यायिक कार्यवाही में बैठे हुए लोक सेवक का साशय अपमान या उसके कार्य में विघ्न.

IPC की धारा 228क – कतिपय अपराधों आदि से पीड़ित व्यक्ति की पहचान का प्रकटीकरण.

IPC की धारा 229 – जूरी सदस्य या आंकलन कर्ता का प्रतिरूपण.

IPC की धारा 230 – सिक्का की परिभाषा.

IPC की धारा 231 – सिक्के का कूटकरण.

IPC की धारा 232 – भारतीय सिक्के का कूटकरण.

IPC की धारा 233 – सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना.

IPC की धारा 234 – भारतीय सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना.

IPC की धारा 235 – सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री उपयोग में लाने के प्रयोजन से उसे कब्जे में रखना.

IPC की धारा 236 – भारत से बाहर सिक्के के कूटकरण का भारत में दुष्प्रेरण.

IPC की धारा 237 – कूटकॄत सिक्के का आयात या निर्यात.

IPC की धारा 238 – भारतीय सिक्के की कूटकॄतियों का आयात या निर्यात.

IPC की धारा 239 – सिक्के का परिदान जिसका कूटकॄत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था.

IPC की धारा 240 – उस भारतीय सिक्के का परिदान जिसका कूटकॄत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था.

IPC की धारा 241 – किसी सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान, जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, कूटकॄत होना नहीं जानता था.

IPC की धारा 242 – कूटकॄत सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उस समय उसका कूटकॄत होना जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था.

IPC की धारा 243 – भारतीय सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उसका कूटकॄत होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था.

IPC की धारा 244 – टकसाल में नियोजित व्यक्ति द्वारा सिक्के को उस वजन या मिश्रण से भिन्न कारित किया जाना जो विधि द्वारा नियत है.

IPC की धारा 245 – टकसाल से सिक्का बनाने का उपकरण विधिविरुद्ध रूप से लेना.

IPC की धारा 246 – कपटपूर्वक या बेईमानी से सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करना.

IPC की धारा 247 – कपटपूर्वक या बेईमानी से भारतीय सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करना.

IPC की धारा 248 – इस आशय से किसी सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए.

IPC की धारा 249 – इस आशय से भारतीय सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए.

IPC की धारा 250 – ऐसे सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया है.

IPC की धारा 251 – भारतीय सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया है.

IPC की धारा 252 – ऐसे व्यक्ति द्वारा सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया.

IPC की धारा 253 – ऐसे व्यक्ति द्वारा भारतीय सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया.

IPC की धारा 254 – सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, परिवर्तित होना नहीं जानता था.

IPC की धारा 255 – सरकारी स्टाम्प का कूटकरण.

IPC की धारा 256 – सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री कब्जे में रखना.

IPC की धारा 257 – सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना.

IPC की धारा 258 – कूटकॄत सरकारी स्टाम्प का विक्रय.

IPC की धारा 259 – सरकारी कूटकॄत स्टाम्प को कब्जे में रखना.

IPC की धारा 260 – किसी सरकारी स्टाम्प को, कूटकॄत जानते हुए उसे असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाना.

IPC की धारा 261 – इस आशय से कि सरकार को हानि कारित हो, उस पदार्थ पर से, जिस पर सरकारी स्टाम्प लगा हुआ है, लेख मिटाना या दस्तावेज से वह स्टाम्प हटाना जो उसके लिए उपयोग में लाया गया है.

IPC की धारा 262 – ऐसे सरकारी स्टाम्प का उपयोग जिसके बारे में ज्ञात है कि उसका पहले उपयोग हो चुका है.

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IPC की धारा 263 – स्टाम्प के उपयोग किए जा चुकने के द्योतक चिन्ह का छीलकर मिटाना.

IPC की धारा 263क – बनावटी स्टाम्पों का प्रतिषेघ.

IPC की धारा 264 – तोलने के लिए खोटे उपकरणों का कपटपूर्वक उपयोग.

IPC की धारा 265 – खोटे बाट या माप का कपटपूर्वक उपयोग.

IPC की धारा 266 – खोटे बाट या माप को कब्जे में रखना.

IPC की धारा 267 – खोटे बाट या माप का बनाना या बेचना.

IPC की धारा 268 – लोक न्यूसेन्स.

IPC की धारा 269 – उपेक्षापूर्ण कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य हो.

IPC की धारा 270 – परिद्वेषपूर्ण कार्य, जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य हो.

IPC की धारा 271 – करन्तीन के नियम की अवज्ञा.

IPC की धारा 272 – विक्रय के लिए आशयित खाद्य या पेय वस्तु का अपमिश्रण.

IPC की धारा 273 – अपायकर खाद्य या पेय का विक्रय.

IPC की धारा 274 – औषधियों का अपमिश्रण.

IPC की धारा 275 – अपमिश्रित ओषधियों का विक्रय.

IPC की धारा 276 – ओषधि का भिन्न औषधि या निर्मिति के तौर पर विक्रय.

IPC की धारा 277 – लोक जल-स्रोत या जलाशय का जल कलुषित करना.

IPC की धारा 278 – वायुमण्डल को स्वास्थ्य के लिए अपायकर बनाना.

IPC की धारा 279 – सार्वजनिक मार्ग पर उतावलेपन से वाहन चलाना या हांकना.

IPC की धारा 280 – जलयान का उतावलेपन से चलाना.

IPC की धारा 281 – भ्रामक प्रकाश, चिन्ह या बोये का प्रदर्शन.

IPC की धारा 282 – अक्षमकर या अति लदे हुए जलयान में भाड़े के लिए जलमार्ग से किसी व्यक्ति का प्रवहण.

IPC की धारा 283 – लोक मार्ग या पथ-प्रदर्शन मार्ग में संकट या बाधा कारित करना.

IPC की धारा 284 – विषैले पदार्थ के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण.

IPC की धारा 285 – अग्नि या ज्वलनशील पदार्थ के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण.

IPC की धारा 286 – विस्फोटक पदार्थ के बारे में उपेक्षापूर्ण आचरण.

IPC की धारा 287 – मशीनरी के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण.

IPC की धारा 288 – किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण.

IPC की धारा 289 – जीवजन्तु के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण.

IPC की धारा 290 – अन्यथा अनुपबन्धित मामलों में लोक बाधा के लिए दण्ड.

IPC की धारा 291 – न्यूसेन्स बन्द करने के व्यादेश के पश्चात् उसका चालू रखना.

IPC की धारा 292 – अश्लील पुस्तकों आदि का विक्रय आदि.

IPC की धारा 2925क – विमर्शित और विद्वेषपूर्ण कार्य जो किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आशय से किए गए हों.

IPC की धारा 292क – Printing,etc, of grossly indecent or securrilous matter or matter intended for blackmail.

IPC की धारा 293 – तरुण व्यक्ति को अश्लील वस्तुओ का विक्रय आदि.

IPC की धारा 294 – अश्लील कार्य और गाने.

IPC की धारा 294क – लाटरी कार्यालय रखना.

IPC की धारा 295 – किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के आशय से उपासना के स्थान को क्षति करना या अपवित्र करना.

IPC की धारा 296 – धार्मिक जमाव में विघ्न करना.

IPC की धारा 297 – कब्रिस्तानों आदि में अतिचार करना.

IPC की धारा 298 – धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के सविचार आशय से शब्द उच्चारित करना आदि.

IPC की धारा 299 – आपराधिक मानव वध.

IPC की धारा 300 – हत्या.

IPC की धारा 301 – जिस व्यक्ति की मॄत्यु कारित करने का आशय था उससे भिन्न व्यक्ति की मॄत्यु करके आपराधिक मानव वध करना.

IPC की धारा 302 – हत्या के लिए दण्ड.

IPC की धारा 303 – आजीवन कारावास से दण्डित व्यक्ति द्वारा हत्या के लिए दण्ड.

IPC की धारा 304 – हत्या की श्रेणी में न आने वाली गैर इरादतन हत्या के लिए दण्ड.

IPC की धारा 304क – उपेक्षा द्वारा मॄत्यु कारित करना.

IPC की धारा 304ख – दहेज मॄत्यु.

IPC की धारा 305 – शिशु या उन्मत्त व्यक्ति की आत्महत्या का दुष्प्रेरण.

IPC की धारा 306 – आत्महत्या का दुष्प्रेरण.

IPC की धारा 307 – हत्या करने का प्रयत्न.

IPC की धारा 308 – गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास.

IPC की धारा 309 – आत्महत्या करने का प्रयत्न.

IPC की धारा 310 – ठग.

IPC की धारा 311 – ठगी के लिए दण्ड.

IPC की धारा 312 – गर्भपात कारित करना.

IPC की धारा 313 – स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात कारित करना.

IPC की धारा 314 – गर्भपात कारित करने के आशय से किए गए कार्यों द्वारा कारित मॄत्यु.

IPC की धारा 315 – शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी मॄत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य.

IPC की धारा 316 – ऐसे कार्य द्वारा जो गैर-इरादतन हत्या की कोटि में आता है, किसी सजीव अजात शिशु की मॄत्यु कारित करना.

IPC की धारा 317 – शिशु के पिता या माता या उसकी देखरेख रखने वाले व्यक्ति द्वारा बारह वर्ष से कम आयु के शिशु का परित्याग और अरक्षित डाल दिया जाना.

IPC की धारा 318 – मॄत शरीर के गुप्त व्ययन द्वारा जन्म छिपाना.

IPC की धारा 319 – क्षति पहुँचाना.

IPC की धारा 320 – घोर आघात.

IPC की धारा 321 – स्वेच्छया उपहति कारित करना.

IPC की धारा 322 – स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना.

IPC की धारा 323 – जानबूझ कर स्वेच्छा से किसी को चोट पहुँचाने के लिए दण्ड.

IPC की धारा 324 – खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छया उपहति कारित करना.

IPC की धारा 325 – स्वेच्छापूर्वक किसी को गंभीर चोट पहुचाने के लिए दण्ड.

IPC की धारा 326 – खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छापूर्वक घोर उपहति कारित करना.

IPC की धारा 326क – एसिड हमले.

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IPC की धारा 326ख – एसिड हमला करने का प्रयास.

IPC की धारा 327 – संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छापूर्वक चोट पहुँचाना.

IPC की धारा 328 – अपराध करने के आशय से विष इत्यादि द्वारा क्षति कारित करना.

IPC की धारा 329 – सम्पत्ति उद्दापित करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना.

IPC की धारा 330 – संस्वीकॄति जबरन वसूली करने या विवश करके संपत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया क्षति कारित करना.

IPC की धारा 331 – संस्वीकॄति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना.

IPC की धारा 332 – लोक सेवक अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुँचाना.

IPC की धारा 333 – लोक सेवक को अपने कर्तव्यों से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया घोर क्षति कारित करना.

IPC की धारा 334 – प्रकोपन पर स्वेच्छया क्षति करना.

IPC की धारा 335 – प्रकोपन पर स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना.

IPC की धारा 336 – दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा पहुँचाने वाला कार्य.

IPC की धारा 337 – किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, चोट पहुँचाना कारित करना.

IPC की धारा 338 – किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, गंभीर चोट पहुँचाना कारित करना.

IPC की धारा 339 – सदोष अवरोध.

IPC की धारा 340 – सदोष परिरोध या गलत तरीके से प्रतिबंधित करना.

IPC की धारा 341 – सदोष अवरोध के लिए दण्ड.

IPC की धारा 342 – ग़लत तरीके से प्रतिबंधित करने के लिए दण्ड.

IPC की धारा 343 – तीन या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध.

IPC की धारा 344 – दस या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध.

IPC की धारा 345 – ऐसे व्यक्ति का सदोष परिरोध जिसके छोड़ने के लिए रिट निकल चुका है.

IPC की धारा 346 – गुप्त स्थान में सदोष परिरोध.

IPC की धारा 347 – सम्पत्ति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य करने के लिए मजबूर करने के लिए सदोष परिरोध.

IPC की धारा 348 – संस्वीकॄति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन करने के लिए सदोष परिरोध.

IPC की धारा 349 – बल.

IPC की धारा 350 – आपराधिक बल.

IPC की धारा 351 – हमला.

IPC की धारा 352 – गम्भीर प्रकोपन के बिना हमला करने या आपराधिक बल का प्रयोग करने के लिए दण्ड.

IPC की धारा 353 – लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग.

IPC की धारा 354 – स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग.

IPC की धारा 354क – यौन उत्पीड़न.

IPC की धारा 354ख – एक औरत नंगा करने के इरादे के साथ कार्य.

IPC की धारा 354ग – छिप कर देखना.

IPC की धारा 354घ – पीछा.

IPC की धारा 355 – गम्भीर प्रकोपन होने से अन्यथा किसी व्यक्ति का अनादर करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग.

IPC की धारा 356 – हमला या आपराधिक बल प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति द्वारा ले जाई जाने वाली संपत्ति की चोरी का प्रयास.

IPC की धारा 357 – किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करने के प्रयत्नों में हमला या आपराधिक बल का प्रयोग.

IPC की धारा 358 – गम्भीर प्रकोपन मिलने पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग.

IPC की धारा 359 – व्यपहरण.

IPC की धारा 360 – भारत में से व्यपहरण.

IPC की धारा 361 – विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरण.

IPC की धारा 362 – अपहरण.

IPC की धारा 363 – व्यपहरण के लिए दण्ड.

IPC की धारा 363क – भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए अप्राप्तवय का व्यपहरण का विकलांगीकरण.

IPC की धारा 364 – हत्या करने के लिए व्यपहरण या अपहरण करना.

IPC की धारा 364क – फिरौती, आदि के लिए व्यपहरण.

IPC की धारा 365 – किसी व्यक्ति का गुप्त और अनुचित रूप से सीमित / क़ैद करने के आशय से व्यपहरण या अपहरण.

IPC की धारा 366 – विवाह आदि के करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को व्यपहृत करना, अपहृत करना या उत्प्रेरित करना.

IPC की धारा 366क – अप्राप्तवय लड़की का उपापन.

IPC की धारा 366ख – विदेश से लड़की का आयात करना.

IPC की धारा 367 – व्यक्ति को घोर उपहति, दासत्व, आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण.

IPC की धारा 368 – व्यपहृत या अपहृत व्यक्ति को गलत तरीके से छिपाना या क़ैद करना.

IPC की धारा 369 – दस वर्ष से कम आयु के शिशु के शरीर पर से चोरी करने के आशय से उसका व्यपहरण या अपहरण.

IPC की धारा 370 – मानव तस्करी – दास के रूप में किसी व्यक्ति को खरीदना या बेचना.

IPC की धारा 371 – दासों का आभ्यासिक व्यवहार करना.

IPC की धारा 372 – वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को बेचना.

IPC की धारा 373 – वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को खरीदना.

IPC की धारा 374 – विधिविरुद्ध बलपूर्वक श्रम.

IPC की धारा 375 – बलात्संग.

IPC की धारा 376 – बलात्कार के लिए दण्ड.

IPC की धारा 376क – पॄथक् कर दिए जाने के दौरान किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ संभोग्र.

IPC की धारा 376ख – लोक सेवक द्वारा अपनी अभिरक्षा में की किसी स्त्री के साथ संभोग.

IPC की धारा 376ग – जेल, प्रतिप्रेषण गॄह आदि के अधीक्षक द्वारा संभोग.

IPC की धारा 376घ – अस्पताल के प्रबन्ध या कर्मचारिवॄन्द आदि के किसी सदस्य द्वारा उस अस्पताल में किसी स्त्री के साथ संभोग.

IPC की धारा 377 – प्रकॄति विरुद्ध अपराध.

IPC की धारा 378 – चोरी.

IPC की धारा 379 – चोरी के लिए दंड.

IPC की धारा 380 – निवास-गॄह आदि में चोरी.

IPC की धारा 381 – लिपिक या सेवक द्वारा स्वामी के कब्जे में संपत्ति की चोरी.

IPC की धारा 382 – चोरी करने के लिए मॄत्यु, क्षति या अवरोध कारित करने की तैयारी के पश्चात् चोरी करना.

IPC की धारा 383 – उद्दापन / जबरन वसूली.

IPC की धारा 384 – ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए दण्ड.

IPC की धारा 385 – ज़बरदस्ती वसूली के लिए किसी व्यक्ति को क्षति के भय में डालना.

IPC की धारा 386 – किसी व्यक्ति को मॄत्यु या गंभीर आघात के भय में डालकर ज़बरदस्ती वसूली करना.

IPC की धारा 387 – ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को मॄत्यु या घोर आघात के भय में डालना.

IPC की धारा 388 – मॄत्यु या आजीवन कारावास, आदि से दंडनीय अपराध का अभियोग लगाने की धमकी देकर उद्दापन.

IPC की धारा 389 – जबरन वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को अपराध का आरोप लगाने के भय में डालना.

IPC की धारा 390 – लूट.

IPC की धारा 391 – डकैती.

IPC की धारा 392 – लूट के लिए दण्ड.

IPC की धारा 393 – लूट करने का प्रयत्न.

IPC की धारा 394 – लूट करने में स्वेच्छापूर्वक किसी को चोट पहुँचाना.

IPC की धारा 395 – डकैती के लिए दण्ड.

IPC की धारा 396 – हत्या सहित डकैती.

IPC की धारा 397 – मॄत्यु या घोर आघात कारित करने के प्रयत्न के साथ लूट या डकैती.

IPC की धारा 398 – घातक आयुध से सज्जित होकर लूट या डकैती करने का प्रयत्न.

IPC की धारा 399 – डकैती करने के लिए तैयारी करना.

IPC की धारा 400 – डाकुओं की टोली का होने के लिए दण्ड

IPC की धारा 401 – चोरों के गिरोह का होने के लिए दण्ड.

IPC की धारा 402 – डकैती करने के प्रयोजन से एकत्रित होना.

IPC की धारा 403 – सम्पत्ति का बेईमानी से गबन / दुरुपयोग.

IPC की धारा 404 – मॄत व्यक्ति की मॄत्यु के समय उसके कब्जे में सम्पत्ति का बेईमानी से गबन / दुरुपयोग.

IPC की धारा 405 – आपराधिक विश्वासघात.

IPC की धारा 406 – विश्वास का आपराधिक हनन.

IPC की धारा 407 – कार्यवाहक, आदि द्वारा आपराधिक विश्वासघात.

IPC की धारा 408 – लिपिक या सेवक द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन.

IPC की धारा 409 – लोक सेवक या बैंक कर्मचारी, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन.

IPC की धारा 410 – चुराई हुई संपत्ति.

IPC की धारा 411 – चुराई हुई संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना.

IPC की धारा 412 – ऐसी संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना जो डकैती करने में चुराई गई है.

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IPC की धारा 413 – चुराई हुई संपत्ति का अभ्यासतः व्यापार करना.

IPC की धारा 414 – चुराई हुई संपत्ति छिपाने में सहायता करना.

IPC की धारा 415 – छल.

IPC की धारा 416 – प्रतिरूपण द्वारा छल.

IPC की धारा 417 – छल के लिए दण्ड.

IPC की धारा 418 – इस ज्ञान के साथ छल करना कि उस व्यक्ति को सदोष हानि हो सकती है जिसका हित संरक्षित रखने के लिए अपराधी आबद्ध है.

IPC की धारा 419 – प्रतिरूपण द्वारा छल के लिए दण्ड.

IPC की धारा 420 – छल करना और बेईमानी से बहुमूल्य वस्तु / संपत्ति देने के लिए प्रेरित करना.

IPC की धारा 421 – लेनदारों में वितरण निवारित करने के लिए संपत्ति का बेईमानी से या कपटपूर्वक अपसारण या छिपाना.

IPC की धारा 422 – त्रऐंण को लेनदारों के लिए उपलब्ध होने से बेईमानी से या कपटपूर्वक निवारित करना.

IPC की धारा 423 – अन्तरण के ऐसे विलेख का, जिसमें प्रतिफल के संबंध में मिथ्या कथन अन्तर्विष्ट है, बेईमानी से या कपटपूर्वक निष्पादन.

IPC की धारा 424 – सम्पत्ति का बेईमानी से या कपटपूर्वक अपसारण या छिपाया जाना.

IPC की धारा 425 – रिष्टि / कुचेष्टा.

IPC की धारा 426 – रिष्टि के लिए दण्ड.

IPC की धारा 427 – कुचेष्टा जिससे पचास रुपए का नुकसान होता है.

IPC की धारा 428 – दस रुपए के मूल्य के जीवजन्तु को वध करने या उसे विकलांग करने द्वारा रिष्टि.

IPC की धारा 429 – किसी मूल्य के ढोर, आदि को या पचास रुपए के मूल्य के किसी जीवजन्तु का वध करने या उसे विकलांग करने आदि द्वारा कुचेष्टा.

IPC की धारा 430 – सिंचन संकर्म को क्षति करने या जल को दोषपूर्वक मोड़ने द्वारा रिष्टि.

IPC की धारा 431 – लोक सड़क, पुल, नदी या जलसरणी को क्षति पहुंचाकर रिष्टि

IPC की धारा 432 – लोक जल निकास में नुकसानप्रद जलप्लावन या बाधा कारित करने द्वारा रिष्टि

IPC की धारा 433 – किसी दीपगॄह या समुद्री-चिह्न को नष्ट करके, हटाकर या कम उपयोगी बनाकर रिष्टि

IPC की धारा 434 – लोक प्राधिकारी द्वारा लगाए गए भूमि चिह्न के नष्ट करने या हटाने आदि द्वारा रिष्टि

IPC की धारा 435 – सौ रुपए का या (कॄषि उपज की दशा में) दस रुपए का नुकसान कारित करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा.

IPC की धारा 436 – गॄह आदि को नष्ट करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा.

IPC की धारा 437 – किसी तल्लायुक्त या बीस टन बोझ वाले जलयान को नष्ट करने या असुरक्षित बनाने के आशय से कुचेष्टा.

IPC की धारा 438 – IPC की धारा 437 में वर्णित अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा की गई कुचेष्टा के लिए दण्ड.

IPC की धारा 439 – चोरी, आदि करने के आशय से जलयान को साशय भूमि या किनारे पर चढ़ा देने के लिए दण्ड.

IPC की धारा 440 – मॄत्यु या उपहति कारित करने की तैयारी के पश्चात् की गई रिष्टि.

IPC की धारा 441 – आपराधिक अतिचार.

IPC की धारा 442 – गॄह-अतिचार.

IPC की धारा 443 – प्रच्छन्न गॄह-अतिचार.

IPC की धारा 444 – रात्रौ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार.

IPC की धारा 445 – गॄह-भेदन.

IPC की धारा 446 – रात्रौ गॄह-भेदन.

IPC की धारा 447 – आपराधिक अतिचार के लिए दण्ड.

IPC की धारा 448 – गॄह-अतिचार के लिए दण्ड.

IPC की धारा 449 – मॄत्यु से दंडनीय अपराध को रोकने के लिए गॄह-अतिचार.

IPC की धारा 450 – अपजीवन कारावास से दंडनीय अपराध को करने के लिए गॄह-अतिचार.

IPC की धारा 451 – कारावास से दण्डनीय अपराध को करने के लिए गॄह-अतिचार.

IPC की धारा 452 – बिना अनुमति घर में घुसना, चोट पहुंचाने के लिए हमले की तैयारी, हमला या गलत तरीके से दबाव बनाना.

IPC की धारा 453 – प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन के लिए दंड.

IPC की धारा 454 – कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करना.

IPC की धारा 455 – उपहति, हमले या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन.

IPC की धारा 456 – रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन के लिए दण्ड.

IPC की धारा 457 – कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करना.

IPC की धारा 458 – क्षति, हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के करके रात में गॄह-अतिचार.

IPC की धारा 459 – प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करते समय घोर उपहति कारित हो.

IPC की धारा 460 – रात्रौ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या रात्रौ गॄह-भेदन में संयुक्ततः सम्पॄक्त समस्त व्यक्ति दंडनीय हैं, जबकि उनमें से एक द्वारा मॄत्यु या घोर उपहति कारित हो.

IPC की धारा 461 – ऐसे पात्र को, जिसमें संपत्ति है, बेईमानी से तोड़कर खोलना.

IPC की धारा 462 – उसी अपराध के लिए दंड, जब कि वह ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया है जिसे अभिरक्षा न्यस्त की गई है.

IPC की धारा 463 – कूटरचना.

IPC की धारा 464 – मिथ्या दस्तावेज रचना.

IPC की धारा 465 – कूटरचना के लिए दण्ड.

IPC की धारा 466 – न्यायालय के अभिलेख की या लोक रजिस्टर आदि की कूटरचना.

IPC की धारा 467 – मूल्यवान प्रतिभूति, वसीयत, इत्यादि की कूटरचना.

IPC की धारा 468 – छल के प्रयोजन से कूटरचना.

IPC की धारा 469 – ख्याति को अपहानि पहुंचाने के आशय से कूटरचन्न.

IPC की धारा 470 – कूटरचित 2[दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेखट.

IPC की धारा 471 – कूटरचित दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख का असली के रूप में उपयोग में लाना.

IPC की धारा 472 – IPC की धारा 467 के अधीन दण्डनीय कूटरचना करने के आशय से कूटकॄत मुद्रा, आदि का बनाना या कब्जे में रखना.

IPC की धारा 473 – अन्यथा दण्डनीय कूटरचना करने के आशय से कूटकॄत मुद्रा, आदि का बनाना या कब्जे में रखना.

IPC की धारा 474 – IPC की धारा 466 या 467 में वर्णित दस्तावेज को, उसे कूटरचित जानते हुए और उसे असली के रूप में उपयोग में लाने का आशय रखते हुए, कब्जे में रखना.

IPC की धारा 475 – IPC की धारा 467 में वर्णित दस्तावेजों के अधिप्रमाणीकरण के लिए उपयोग में लाई जाने वाली अभिलक्षणा या चिह्न की कूटकॄति बनाना या कूटकॄत चिह्नयुक्त पदार्थ को कब्जे में रखना.

IPC की धारा 476 – IPC की धारा 467 में वर्णित दस्तावेजों से भिन्न दस्तावेजों के अधिप्रमाणीकरण के लिए उपयोग में लाई जाने वाली अभिलक्षणा या चिह्न की कूटकॄति बनाना या कूटकॄत चिह्नयुक्त पदार्थ को कब्जे में रखना.

IPC की धारा 477 – विल, दत्तकग्रहण प्राधिकार-पत्र या मूल्यवान प्रतिभूति को कपटपूर्वक रदद््, नष्ट, आदि करना.

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IPC की धारा 477क – लेखा का मिथ्याकरण.

IPC की धारा 478 – व्यापार चिह्न.

IPC की धारा 479 – सम्पत्ति-चिह्न.

IPC की धारा 480 – मिथ्या व्यापार चिह्न का प्रयोग किया जाना.

IPC की धारा 481 – मिथ्या सम्पत्ति-चिह्न को उपयोग में लाना.

IPC की धारा 482 – मिथ्या सम्पत्ति-चिह्न को उपयोग करने के लिए दण्ड.

IPC की धारा 483 – अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाए गए सम्पत्ति चिह्न का कूटकरण.

IPC की धारा 484 – लोक सेवक द्वारा उपयोग में लाए गए चिह्न का कूटकरण.

IPC की धारा 485 – सम्पत्ति-चिह्न के कूटकरण के लिए कोई उपकरण बनाना या उस पर कब्जा.

IPC की धारा 486 – कूटकॄत सम्पत्ति-चिह्न से चिन्हित माल का विक्रय.

IPC की धारा 487 – किसी ऐसे पात्र के ऊपर मिथ्या चिह्न बनाना जिसमें माल रखा है.

IPC की धारा 488 – किसी ऐसे मिथ्या चिह्न को उपयोग में लाने के लिए दण्ड.

IPC की धारा 489 – क्षति कारित करने के आशय से सम्पत्ति-चिह्न को बिगाड़ना.

IPC की धारा 489क – करेन्सी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण.

IPC की धारा 489ख – कूटरचित या कूटकॄत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को असली के रूप में उपयोग में लाना.

IPC की धारा 489ग – कूटरचित या कूटकॄत करेन्सी नोटों या बैंक नोटों को कब्जे में रखना.

IPC की धारा 489घ – करेन्सी नोटों या बैंक नोटों की कूटरचना या कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री बनाना या कब्जे में रखना.

IPC की धारा 489ङ – करेन्सी नोटों या बैंक नोटों से सदृश्य रखने वाली दस्तावेजों की रचना या उपयोग.

IPC की धारा 490 – समुद्र यात्रा या यात्रा के दौरान सेवा भंग.

IPC की धारा 491 – असहाय व्यक्ति की परिचर्या करने की और उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने की संविदा का भंग.

IPC की धारा 492 – दूर वाले स्थान पर सेवा करने का संविदा भंग जहां सेवक को मालिक के खर्चे पर ले जाया जाता है.

IPC की धारा 493 – विधिपूर्ण विवाह का धोखे से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा कारित सहवास.

IPC की धारा 494 – पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना.

IPC की धारा 495 – वही अपराध पूर्ववर्ती विवाह को उस व्यक्ति से छिपाकर जिसके साथ आगामी विवाह किया जाता है.

IPC की धारा 496 – विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्वक विवाह कर्म पूरा करना.

IPC की धारा 497 – व्यभिचार.

IPC की धारा 498 – विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाना, या निरुद्ध रखना.

IPC की धारा 498A – किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता करना.

IPC की धारा 499 – मानहानि.

IPC की धारा 500 – मानहानि के लिए दण्ड.

IPC की धारा 501 – मानहानिकारक जानी हुई बात को मुद्रित या उत्कीर्ण करना.

IPC की धारा 502 – मानहानिकारक विषय रखने वाले मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री का बेचना.

IPC की धारा 503 – आपराधिक अभित्रास.

IPC की धारा 504 – शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना.

IPC की धारा 505 – लोक रिष्टिकारक वक्तव्य.

IPC की धारा 506 – धमकाना.

IPC की धारा 507 – अनाम संसूचना द्वारा आपराधिक अभित्रास.

IPC की धारा 508 – व्यक्ति को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करके कि वह दैवी अप्रसाद का भाजन होगा कराया गया कार्य.

IPC की धारा 509 – शब्द, अंगविक्षेप या कार्य जो किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के लिए आशयित है.

IPC की धारा 510 – शराबी व्यक्ति द्वारा लोक स्थान में दुराचार.

IPC की धारा 511 – आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दण्डनीय अपराधों को करने का प्रयत्न करने के लिए दण्ड.

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