प्लास्टिक के कचरे से बना ली करोड़ो की कंपनी , आम लोगो के लिए एक मिसाल है

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आज हमारे देश में स्वच्छता अभियान के तहत कई जगह साफ़-सफाई पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है , लोग भी इस अभियान में बड-चढ़ कर हिस्सा ले रहे है और स्वच्छता के प्रति जागरूक भी हो रहे है । हमारे प्राक्रतिक वातावरण की बात करे तो उसे दूषित करने में प्लास्टिक का सबसे बड़ा योगदान रहता है , जैसे –प्लास्टिक की बोतले , पोलीथिन बेग , टूटे हुए प्लास्टिक के सामान (टब , टेबल ) ।

ऐसे में मणिपुर की राजधानी इंफाल में रहने वाले गुनाकांता सिंह और उनके बेटे ने ग्रैजुएशन के बाद नौकरी करने के बजाय लोगो के घर से प्लास्टिक का कचरा उठाना शुरू किया और उसका इस तरीके से उपयोग करने लगे के उनकी दुनिया ही बादल गई ओर जिस कचरे को लोग फेक देते है उसी कचरे से लाखो कमाना शुरू कर दिया । ओर एक कंपनी खोल ली जिसका सालाना टर्नओवर 1.2 करोड़ है ।
बाप बेटे की यह जोड़ी लोगो के घर से कचरा उठाती है ओर फिर उसे रिसाइकल करते है ओर उसे अच्छे प्लास्टिक मे  बदल लेते है फिर इस प्लास्टिक का उपयोग कई तरह से करते है

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कंपनी की शुरुआत

आस पास के कचरे को इकठ्ठा कर उसका पुन:निर्माण के लिए इतोंबी सिंह ने साल 2007 में S.J. PLASTIC INDUSTRIES नाम से एक कंपनी शुरू की . इस कंपनी में सभी घरो से और आसपास के इलाको से निकलने वाले प्लास्टिक कचरे को इकठ्ठा कर इसे फिर से उपयोग करने के लायक बनाते है . पहले करीब 90 के दशक में यहां 65 वर्षीय गुनकांता (इतोम्बी सिंह के पिता) भी इस तरह का छोटा सा काम कर रहे थे। वह पहले प्लास्टिक की बोतलें इकट्ठा करते थे और उन्हें दिल्ली और गुवाहाटी के प्लास्टिक रीसाइकल प्लांट्स में भेजते थे.

मशीनों से प्लास्टिक रीसाइकल

लेकिन बाद में (साल 2010) नई मशीनें आने के बाद प्लास्टिक कचरे से कई सारे सामन जैसे पाइप, टब और इसी तरह के कई सारे प्लास्टिक आइटम बनाए जाने लगे। इस कंपनी ने मणिपुर में 120 तरह के प्लास्टिक को रीसाइकल करने का काम शुरू कर दिया है । अभी इसमें से 30 प्रकार के प्लास्टिक वही पर तैयार किए जाते है और बाकी को गुवाहाटी और दिल्ली भेजा जाता है।

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प्रदूषण मुक्त भारत बनाने का सपना

इतोम्बी सिंह ने कंप्यूटर एप्लीकेशन में ग्रैजुएशन किया है . ये दोनों पिता और बेटे मिलकर एक सुरक्षित और अच्छे माहौल वाला शहर राज्य बनाना चाहते हैं। जो की प्लास्टिक के कचरे को पुन: निर्माण कर उसका दुबारा इस्तेमाल करने से ही संभव है क्योकि प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए खतरा है जिससे वातावरण दूषित होता है और इसका सीधा असर पौधों, जीव जन्तुओ ओर हमारे समाज पर पड़ता है ।

आज इन्होने जो कंपनी तैयार की है उस कंपनी को शुरू करने की लागत 1.5 लाख रू थी और आज इनका सालाना टर्नओवर 1.2 करोड़ रुपये होता है .इनकी कंपनी में 35 स्टाफ  और 6 लोग मजदूरी  करने वाले है .

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