Who Is Sakshi Malik? जिन्होंने ओलंपिक जितने के बाद ले लिया सन्यास

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Who Is Sakshi Malik? Biography Of Sakshi Malik In Hindi

खेल जगत से जुड़ी हर ख़बर जानने की इच्छा आम जनता को रहती है. बात क्रिकेट की हो, फुटबॉल की हो या फिर किसी और खेल की हो. इससे जुड़ी खबर आने के बाद से ही हर जगह चर्चाएं शुरू हो जाती हैं. काफी समय से साक्षी मलिक सुर्ख़ियों में बनी हैं और अब एक बार फिर से वह चर्चा में आ गई हैं. बता दें साक्षी मलिक (Who Is Sakshi Malik?) महिला रेसलर हैं और उन्होंने 21 दिसंबर को कुश्ती से संन्यास ले लिया है. इस तरह से अचानक रेसलिंग से सन्यास लेने की वजह से सभी हैरान हैं. साक्षी ने सपने सन्यास की जानकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए साझा की है. आज इस आर्टिकल में हम आपको साक्षी (Who Is Sakshi Malik?) के जीवन से जुड़ी बातें बताने जा रहे हैं जिन्हें आप शायद ही जानते होंगी.

कौन हैं साक्षी मलिक (Who Is Sakshi Malik?) –

साक्षी भारतीय फ्रीस्टाइल पहलवान हैं. उनका जन्म 3 सितंबर 1992 को हरियाणा के रोहतक जिले के मोखरा गांव में हुआ था. साक्षी के पिता सुखबीर मलिक हैं जो दिल्ली परिवहन निगम के बस कंडक्टर रह चुके हैं. वहीं साक्षी की मां सुदेश मलिक स्थानीय स्वास्थ्य क्लिनिक में पर्यवेक्षक थीं. साक्षी के दादा बदलू राम उनके गांव के मुख्य पहलवान रह चुके हैं. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा की साक्षी को पहलवान बनने की प्रेरणा उनके दादा से मिली. बता दें साक्षी जब 12 साल की थीं तभी से उन्होंने कुश्ती की ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया था. वैसे साक्षी को क्रिकेट और कबड्डी खेलना भी पसंद था लेकिन कुश्ती में उन्हें लगतार जीत मिली जिस वजह से उन्होंने इसे अपना मुख्य खेल बनाया और इसी में आगे बढ़ने का फैसला किया. जिसके लिए साक्षी ने छोटू राम स्टेडियम, रोहतक के एक अखाड़े और कोच ईश्वर दहिया के साथ कुश्ती की ट्रेनिंग ली थी. इसके साथ ही साक्षी ने रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से फिजिकल एजुकेशन में मास्टर डिग्री की.

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मांग पूरी न होने की वजह से लिया सन्यास –

बता दें प्रेस कॉन्प्रेंस के दौरान कहा – ‘लड़ाई पूरे दिल से लड़ी. अगर प्रेसिडेंट बृजभूषण जैसी ही रहेगा. उसका पार्टनर और सहयोगी रहेगा तो मैं अपनी कुश्ती को त्यागती हूं. मैं आपको कभी भी वहां नहीं दिखूंगी. मेरा सपोर्ट करने वाले सभी देशवासियों को धन्यवाद.’ आगे साक्षी ने कहा – ‘हमने जो मांग की थी वो पूरी नहीं हुई. हमारी मांग थी महिला प्रेसिडेंट की. महिला प्रेसिडेंट होगी तो शोषण नहीं होगा. लेकिन ना पहले महिला की कोई भागीदारी थी. आज आप पूरी लिस्ट उठाकर देख लीजिए महिलाओं को कोई स्थान नहीं दिया गया. बस यही कहना चाहूंगी कि ये जो लड़ाई है वो हमने तो पूरी हिम्मत करके लड़ी. ये लड़ाई जारी रहेगी, क्योंकि आने वाली जो जनरेशन है बेटे-बेटियां हैं उन्हें यह लड़ाई लड़नी पड़ेगी.’

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जीत चुकी हैं कई मैडल –

साक्षी को सितंबर 2016 में विश्वविद्यालय के कुश्ती निदेशक के तौर पर नियुक्त किया गया था. फिलहाल वह भारतीय रेलवे के दिल्ली मंडल के वाणिज्यिक विभाग, उत्तर रेलवे क्षेत्र में कार्यरत हैं. साक्षी ने साल 2016 में रियो ओलंपिक में हिस्सा लिया था. जिसके बाद से ही उन्हें पहचान मिली थी. इस ओलंपिक में साक्षी ने 58 किग्रा कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन कर इतिहास बनाया. बता दें यह मेडल जीतने वाली साक्षी पहली भारतीय महिला पहलवान हैं. इस ओलंपिक के अलावा साक्षी ने साल 2022 में बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था. इसके साथ ही साल 2022 में आयोजित यासर डोगू टूर्नामेंट, इस्तांबुल, तुर्की में साक्षी ने भाग लिया. साल 2022 में साक्षी ने ट्यूनिस रैंकिंग सीरीज इवेंट में हिस्सा लिया और कांस्य पदक अपने नाम किया. यह इवेंट ट्यूनीशिया में आयोजित किया गया था. इससे पहले साक्षी ने ग्लासगो में 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक और दोहा में 2015 एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया था.

कम पसंद है घूमना फिरना –

साक्षी को ज्यदातर बाहर घूमना फिरना पसंद नहीं है. उन्हें बाहर जाने और दोस्तों के साथ एन्जॉय करने के बजाय घर पर आराम करना पसंद है. इसे लेकर साक्षी ने कहा था – ‘मैं एक शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहती हूं. मुझे घूमना-फिरना या फिल्मों के लिए बाहर जाना पसंद नहीं है. मैं शांति से रहना चाहती हूं. मैंने यह सब अपने लम्बे संघर्ष की बदौलत हासिल किया है. मुझे बस शांति की जरूरत है. यही मेरे लिए आनंददायक है.’

पहलवान संग लिए हैं सात फेरे –

साक्षी ने साल 2017 में सत्यव्रत कादियान के साथ 7 फेरे लिए हैं. जो कि पेशे से साक्षी की तरह ही पहलवान हैं. साक्षी और सत्यव्रत काफी समय पहले से एक दूसरे को जानते हैं और दोनों एक ही अखाड़े में खेलते थे. बताते चलें साक्षी की तरह ही सत्यव्रत भी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का हिस्सा बन चुके हैं.

बृज भूषण शरण के विरोध में दिया था धरना –

गौरतलब है कि 21 अप्रैल को दिल्ली के कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में एक नाबालिग सहित कम से कम सात महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के मौजूदा अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न को लेकर शिकायत दर्ज करवाई थी. इसमें साक्षी के साथ विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया सहित देश के शीर्ष पहलवान भी शामिल थे. मामले की सुनवाई नहीं होने के बाद 23 अप्रैल को सभी ने दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था. इसके बाद जनवरी महीने में भी सभी के सड़कों पर अपना विरोध प्रदर्शन किया था. लगातार विरोध करने के बाद केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर बीच में आए और उन्होंने इस विरोध प्रदर्शन को खत्म किया था. 23 अप्रैल से लगातार जारी यह प्रदर्शन जंतर मंतर से इंडिया गेट तक पहुंच गया था. सभी की यह मांग थी कि बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार किया जाए. यह मामला नार्को टेस्ट तक पहुंच गया था. यह मामला लगतार चलता रहा जिसके बाद 15 जून को दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट अदालत में पेश की. नाबालिग पहलवान द्वारा की गई शिकायत पर पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर वापस हुई. साथ ही अन्य 6 महिला पहलवानों के आरोपों पर बृजभूषण के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले. ऐसे में बृजभूषण को क्लीन चिट मिल गई और उनका रास्ता साफ हो गया. इतना होने के बाद साक्षी मलिक ने ट्विटर के जारी कहा था कि ये लड़ाई जारी रहेगी.

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