Kalpana Chawla Biography – पहले से ही तय थी मौत, नासा को 16 दिन पहले ही चल गया था पता

Kalpana Chawla wikipedia, biography, career, success story and more

0

Kalpana Chawla Biography in Hindi –

भारत की महिला महिला अन्तरिक्ष यात्री कल्पना चावला देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर की महिलाओं के सामने एक आदर्श हैं. महज 41 साल की उम्र में अंतरिक्ष यात्री बनकर अंतरिक्ष की ऊंचाइयां नापने वाली कल्पना चावला के नाम कई उपलब्धियां दर्ज है .1 फरवरी 2003 को अंतरिक्ष से वापस लौटते समय उनका अंतरिक्षयान लैंडिंग से पहले हादसे का शिकार हो गया.

इस हादसे में कल्पना चावला सहित 7 अंतरिक्ष यात्री मारे गए. हालांकि इस हादसे के 10 साल बाद मिशन कोलंबिया के प्रोग्राम मैनेजर ने खुलासा किया था कि कोलंबिया स्पेस शटल, जिसमें कल्पना सहित 7 अंतरिक्ष यात्री थे, के उड़ान भरते ही यह तय हो गया था कि अब यह सुरक्षित जमीन पर नहीं उतरेगा, लेकिन इसके बावजूद उसमें बैठे अंतरिक्ष यात्रियों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. उन्होंने ऐसा क्यों किया इसके बारे में हम विस्तार (Kalpana Chawla Biography) से जानेंगे.

International Women Day – जानिए कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है महिला दिवस

कल्पना चावला का परिवार (Kalpana Chawla’s family)

कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल क़स्बे में हुआ था. कल्पना के पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला और माता का नाम संज्योती था. कल्पना चावला अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थी. कल्पना चावला के पति का नाम जीन पियर था और वह एक फ़्रांसिसी व्यक्ति थे.

बचपन से था अंतरिक्ष से प्यार

कल्पना के पिता उन्हें डॉक्टर या टीचर बनाना चाहते थे, लेकिन कल्पना को बचपन से ही अंतरिक्ष से प्यार था. उनके परिजनों के अनुसार कल्पना बचपन से ही अंतरिक्ष और खगोलीय परिवर्तन में रूचि लेती थी. वह अक्सर अपने पिता से पूछा करती थीं कि ये अंतरिक्षयान आकाश में कैसे उड़ते हैं? क्या मैं भी उड़ सकती हूं?

कल्पना चावला की शिक्षा (Kalpana Chawla’s education)

कल्पना चावला ने साल 1976 में हरियाणा के करनाल के टैगोर स्कूल से स्नातक की पढ़ाई की. इसके बाद 1982 में उन्होंने चंडीगढ़ से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग और 1984 में टेक्सास विश्वविद्यालय से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमए की शिक्षा ली. इसके बाद कल्पना ने 1988 में कोलोरेडो विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ़ फ़िलॉसफ़ी की डिग्री प्राप्त की. इसी साल कल्पना ने नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू कर दिया था. साल 1994 में कल्पना चावला का चयन बतौर अंतरिक्ष-यात्री किया गया था.

पहली अंतरिक्ष उड़ान (Kalpana Chawla’s first space flight)

बतौर अंतरिक्ष-यात्री चयन होने के बाद कल्पना चावला ने साल 1995 में जॉनसन स्पेस सेंटर में एक एस्ट्रोनॉट प्रतिभागी के तौर पर एस्ट्रोनॉट के 15वें ग्रुप में जॉइन किया. यहां एक साल तक उन्होंने प्रशिक्षण लिया. नवम्बर 1996 में कल्पना चावला का चयन अंतरिक्ष उड़ान STS-87 पर मिशन विशेषज्ञ और प्राइम रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के रूप में हुआ. 19 नवंबर 1997 को कल्पना चावला ने पहली बार STS-87 के जरिए अंतरिक्ष की उड़ान भरी. इस उड़ान का उद्देश्य यह पता करना था कि अंतरिक्ष में वजन रहित वातावरण में कैसे विभिन्न भौतिक गतिविधियां होती हैं? सूर्य के बाहरी वायुमंडलीय ऑब्जरवेशन का कार्य भी इसमें शामिल था. 5 दिसम्बर 1997 को STS-87 वापस धरती पर लौट आया. अपनी पहली अंतरिक्ष उड़ान के दौरान कल्पना चावला ने 360 घंटे अंतरिक्ष में बिताए। इस दौरान उन्होंने पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं की.

आखिरी अंतरिक्ष उड़ान (Kalpana Chawla’s last space flight)

41 साल की उम्र में कल्पना चावला ने दूसरी और आखिरी बार अंतरिक्ष की उड़ान भरी. 16 जनवरी 2003 को STS-107 ने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी. इस मिशन पर कल्पना चावला सहित 7 अंतरिक्ष यात्री गए थे. अपना मिशन खत्म कर 1 फरवरी 2003 की सुबह स्पेस शटल धरती पर वापस लौट रहा था, इसी दौरान एक ब्रीफकेस के आकार का इंसुलेशन का टुकड़ा टूट गया. इससे शटल का वह विंग्स क्षतिग्रस्त हो गया जो इसकी री-एंट्री के समय हीट से रक्षा करता है. इस घटना में कल्पना चावला सभी अंतरिक्ष यात्री मारे गए.

Savitribai Phule Biography – लोग फेंकने लगे गोबर तो अतिरिक्त साड़ी लेकर स्कूल जाने लगी पहली…

पहले ही तय थी कल्पना चावला की मौत (Kalpana Chawla’s death was already decided)

इस हादसे के 10 साल बाद साल 2013 में मिशन कोलंबिया के प्रोग्राम मैनेजर ने यह कहकर सनसनी मचा दी थी कि कोलंबिया स्पेस शटल के उड़ान भरते ही नासा को यह पता चल गया था कि अब वह शटल वापस धरती पर सुरक्षित नहीं आएगा और उसमें बैठे सभी 7 अंतरिक्ष यात्री मौत के मुंह में समां जाएंगे. इसके बाद भी नासा ने अंतरिक्ष यात्रियों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी. कल्पना चावला सहित 7 अंतरिक्ष यात्री 16 दिनों तक मौते के साये में स्पेस वॉक करते रहे, लेकिन उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगी कि वह अब कभी धरती पर सुरक्षित नहीं लौट पाएंगे. सभी यात्री अपने मिशन में लगे रहे और पल-पल की जानकारी नासा को भेजते रहे.

दरअसल नासा ने ऐसा इसलिए किया क्यों कि नासा के वैज्ञानिक यह नहीं चाहते थे कि मिशन पर गए अंतरिक्ष यात्री घुटघुट अपनी जिंदगी के आखिरी लम्हों को जिएं. वह चाहते थे कि मौत से पहले तक सभी यात्री मस्त रहे क्योंकि मौत तो उनकी तय थी. उन्होंने बताया कि अगर अंतरिक्ष यात्रियों को इस बारे में बता भी दिया जाता तो भी वह कुछ नहीं कर सकते थे. ज्यादा से ज्यादा वह ऑक्सीजन रहने तक अंतरिक्ष का चक्कर लगा सकते थे, जैसे ही ऑक्सीजन खत्म होती उनकी मौत हो जाती.

दोस्तों ! आपको कल्पना चावला की बायोग्राफी (Kalpana Chawla Biography) कैसी लगी ? हमें कमेंट्स के माध्यम से जरुर बताएं.

Leave A Reply

Your email address will not be published.