IAS Surabhi Gautam : कभी नहीं बोल पाती थी अंग्रेजी, आईएएस बन किया सबका मुंह बंद

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IAS Surabhi Gautam Biography and IAS Surabhi Gautam success story in Hindi –

अपने सपने को पूरा करने के लिए कितनी कड़ी मेहनत करनी होगी इसका कोई अंदाजा भी नहीं होता है. जीवन में तकलीफें आने के बाद भी सुरभि गौतम (Surabhi Gautam) ने देखा की एक आईएएस अधिकारी को समाज में कितना सम्मान मिलता है और इसे देखते हुए उन्होंने भी अपने जीवन में इस सपने को पाने का लक्ष्य बनाया. अपने इस सपने को हासिल करना सुरभि के लिए एक gradual process था. उनके लिए यह fascination जैसा ही था, और महज fascination के दम पर आईएएस की परीक्षा पास नहीं की जा सकती.

सुरभि ने अपनी कड़ी मेहनत कर इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रयास किया. सुरभि के अनुसार हर व्यक्ति को इस बात का ज्ञान होना चाहिए की मेहनत से आपको क्या मिलने वाला है, आप जो मेहनत कर रहे हैं उससे क्या पाना चाहते हैं. चलिए जानते हैं सुरभि गौतम की लाइफ (IAS Surabhi Gautam Biography) और उनकी सक्सेस स्टोरी (Surabhi Gautam Success Story) के बारे में विस्तार से.

आईएएस सुरभि गौतम का जन्म मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव (Surabhi Gautam date of birth) में हुआ था, उनका परिवार एक रूढ़िवादी ब्राह्मण परिवार है. वे कहती हैं कि उनके परिवार में कम से कम 30 सदस्य थे और उनके परिवार मे उनका जन्मदिन सिर्फ उनके माता-पिता (Surabhi Gautam family) मनाते थे. 

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घर के अन्य सदस्यों के लिए उनका जन्मदिन भी हर रोज की तरह ही एक सामान्य दिन हुआ करता था. लेकिन जब 25 सालों के बाद सुरभि गौतम एक आईएएस आधिकारी बनकर वापस अपने गांव गई तो उनका स्वागत फूलों की माला पहना कर और नारों के साथ हुआ. 

उन्हें अच्छी तरह याद है जब उन्हें 5वीं के मैथ्स के पेपर में पूरे 100 नंबर मिले थे, तब सबने उनकी काफी तारीफ भी की थी (Surabhi Gautam education), जिसकी बदौलत उन्हे अपने सपनों को पूरा करने का हौंसला मिला. अब उनके मन मे सिर्फ अच्छे नंबरों से पढ़ाई करने की ही धुन सवार थी. इसके बाद 10वीं में उन्हें मैथ्स और साइंस में पूरे 100 नंबर मिले थे. जब उनका नाम मेरिट लिस्ट में आया तो वह किसी छोटे सेलिब्रिटी के रूप में अपनी पहचान बनाने लग गईं. उनका सोचना था कि अगर वह कलेक्टर बन गईं तो उनके सभी सपने सच हो सकते हैं.

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स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वह इंजीनियरिंग के लिए वे भोपाल गईं, जहां वह अपने सपनो की तरफ आगे बढती चली गईं. सुरभि अपने गांव की एकमात्र लड़की थी जो कॉलेज की पढ़ाई करने के लिए शहर गई थी. सुरभि ने शुरुआत से ही हिंदी मीडियम से अपनी स्कूल की पढ़ाई की थी, लेकिन जब कॉलेज गई तो वहां पर हर कोई इंग्लिश में बात करता था, जो सुरभि के लिए सबसे बड़ी मुश्किल बनी.

कॉलेज के पहले दिन उन्होंने खुद को काफी सिंपल तरीके से पेश किया था लेकिन इसके बाद वे बहुत रोई भी थीं. उस समय उनके मन मे आया कि वे वापस अपने गाँव चली जाएँ. जब इस तरह की सारी बातें माता-पिता को पता चली तो उन्होंने अपनी बेटी को हौंसला दिया और कड़ी मेहनत करने की सीख दी.

माता-पिता की प्रेरणा से सुरभि ने न सिर्फ कड़ी मेहनत से अंग्रेजी बोलना सीखा बल्कि कॉलेज में चांसलर की छात्रवृत्ति से भी उन्हे सम्मानित किया गया. IAS की परीक्षा पास करने से पूर्व सुरभि ISRO, GATE, SAIL, IES और MPPSC की भी परिक्षाएं पास की है. जिसके बाद उन्होने पहली ही बार में आईईएस परीक्षा मे ऑल इंडिया रैंक 1 प्राप्त की और अपने परिवार के साथ ही खुद का नाम भी रोशन किया.

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