अरुणिमा सिन्हा प्रथम विकलांग महिला है जो माउंट एवेरेस्ट चोटी पर पहुंची

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आज हम आपको एक ऐसी नारी शक्ति के बारे में बता रहे है जो सबके लिए प्रेरणा और खास उन लोगो के लिए जो शरीर के सब अंग होते हुए भी काम करने से कतराते है कुछ लोग ऐसे जो जिंदगी में बहुत कुछ करना चाहते है लेकिन हालत के आगे हार मान जाते है.

जब तक उम्मीद तब तक व्यक्ति को संघर्ष करते रहना चाहिए और ऐसा जज्बा अरुणिमा सिन्हा ने अपनी जिंदगी में अपनाया और सबके सामने एक मिसाल कायम कर दी अरुणिमा सिन्हा को 2015 पद्मश्री विजेता रही जो सबके लिए बहुर गर्व की बात है आइये जानते अरुणिमा बारे में

अरुणिमा सिन्हा का जन्म-:

Arunima Sinha The first Female amputee to conquer Everest

अरुणिमा का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के अंबेडकर नगर में सन 1998 में हुआ में हुआ और यह राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल और फुटबॉल खिलाड़ी रह चुकी हैं उनकी जिंदगी में सब कुछ तिल चल रहा था और एक दिन में उनकी जिन्दगी ही बदल गयी.

यह हुआ हादसा-:

Arunima Sinha The first Female amputee to conquer Everest

 

11 अप्रैल 2011 अरुणिमा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की परीक्षा में भाग लेने जा रही थी लखनऊ से दिल्ली जा रही पद्मावत एक्सप्रेस में अचानक कुछ लुटेरे और उनसे सोने की चेन खीचने लगे अरुणिमा ने उनसे हर नही मानी और संघर्ष करती रही लेकिन लुटेरे उन्हें चलती ट्रेन से निचे फेक दिया फिर भी अरुणिमा ने हर नही मणि और दूसरी तरीन को रोकने का प्रयास किया.

एक पैर गवाना पड़ा-:

Arunima Sinha The first Female amputee to conquer Everest

अरुणिमा घयल होने वजह संभल नही पाई और ट्रेन की चपेट में आ गयी और जब उनकी आँखे खुली तो खुद को अस्पताल में पाया ट्रेन की चपेट में आने के कारन उन्हें अपना एक पैर गंवाना पड़ा इनके बेहतर इलाज के लिए खिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने कृत्रिम पैर लगवा कर दिया.

माउंट एवेरेस्ट पर की चोटी का लक्ष्य ठान लिया-:

Arunima Sinha The first Female amputee to conquer Everest

इतना सब कुछ होने के बाद अरुणिमा ने हार नही मानी और सोचा वो कुछ ऐसा करेगी जो किसने ने नही किया हो और अरुणिमा ने निर्णय लिया की वो माउंट एवेरेस्ट पर की चोटी पर जाएंगी बोलना जितना आसन रहता ही करना उतना ही मुश्किल लेकिन अरुणिमा यह थान लिया था.

ट्रेनिंग में इस पर्वत को चढ़ा-:

Arunima Sinha The first Female amputee to conquer Everest

ट्रेनिंग के लिए उन्होंने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में दाखिला लिया और वहां से अपनी शुरुआत की और इसके बाद उन्होंने माउंट एवेरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली महिला बचेंद्री पाल से संपर्क किया और 2012 में उन्होंने पहली पर्वतीय चढ़ाई की ट्रेनिंग पूरी होने 31 मार्च को अरुणिमा ने माउंट एवेरेस्ट शुरू कर दी.

52 दिनों की महेनत रंग लाइ-:

Arunima Sinha The first Female amputee to conquer Everest

52 दिनों की महेनत के बाद 1 मई, 2013 को अरुणिमा ने एक ऐसा इतिहास रच दिया जो सबसे की सोच से भी परे है शायद ही इसकी किसने कल्पना भी की हो और इन्होने ये साबित कर दिया कि विकलांगता शरीर में नहीं इंसान की सोच में होती है.

यह संदेश लिखा-:

Arunima Sinha The first Female amputee to conquer Everest

कहा जाता है की माउंट एवेरेस्ट की चोटी पर पहुंचें के बाद अरुणिमा ने एक सन्देश लिखा मेरी यह उपलब्धि भगवान् शंकर और स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजली है जो मेरे लिए जिंदगी जीने का प्रेरणा स्त्रोत बने रहे और इस सन्देश को बर्फ में दबा दिया

इन अवार्ड से समानित किया-:

Arunima Sinha The first Female amputee to conquer Everest

पदमश्री पुरुस्कार,सुल्तानपुर रत्न अवॉर्ड और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अरुणिमा सिन्हा द्वारा लिखित किताब “बोर्न अगेन ऑन द माउंटेन का प्रमोशन भी किया.

इन पर्वत पर भी चढ़ी-:

Arunima Sinha The first Female amputee to conquer Everest

इंडोनेशिया के कार्स्तेंस्ज़ पर्वत – 4,884 या 16023 फुट
अर्जेंटीना में अकोंकागुआ पर्वत – 6,961 मीटर या 22,838 फुट
यूरोप के एल्ब्रुस पर्वत – 5,621 मीटर या 18,442 फुट
अफ्रीका के किलिमंजारो पर्वत- 5,895 मीटर या 19,341 फ़ुट
माउंट एवेरेस्ट – 8,848 मीटर या 29,029 फुट

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