Hamid Ansari Biography – तिरंगे को सलामी ना देने पर उठे थे सवाल, जानिए उनसे जुड़े विवाद

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भारत के 12वें उपराष्ट्रपति के रूप में अपनी सेवा प्रदान करने वाले मोहम्मद हामिद अंसारी अपने काम और अपने बयानों के लिए जाने जाते हैं. वह लगातार 10 सालों तक देश के उपराष्ट्रपति रहे हैं. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बाद हामिद अंसारी ऐसे दूसरे व्यक्ति हैं जो लगातार 10 सालों तक देश के उपराष्ट्रपति रहे. उपराष्ट्रपति पद के अलावा भी हामिद अंसारी कई विभिन्न पदों पर काम किया है. अपने काम के अलावा हामिद अंसारी को उनके विवादित के लिए भी जाना जाता है. हामिद अंसारी के बयानों को लेकर अक्सर विवाद होता रहता है. तो चलिए आज हम हामिद अंसारी के जीवन से जुड़ी रोचक घटनाओं के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं.

हामिद अंसारी का परिवार (Family of Hamid Ansari)

मोहम्मद हामिद अंसारी का जन्म 1 अप्रैल 1937 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकत्ता में हुआ था. उनके परिवार का संबंध उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से है. हामिद अंसारी प्रख्यात कांग्रेसी नेता और स्वतंत्रता सेनानी मुख्तार अहमद अंसारी के वंशज हैं. हामिद अंसारी की पत्नी का नाम सलमा अंसारी है.

हामिद अंसारी की शिक्षा (Education of Hamid Ansari)

हामिद अंसारी ने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट एडवर्ड्स हाईस्कूल शिमला से पूरी की है. इसके बाद उन्होंने कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज में दाखिला लिया. हामिद अंसारी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए की उपाधि प्राप्त की है.

हामिद अंसारी का करियर (Career of Hamid Ansari)

मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद हामिद अंसारी ने दो साल तक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रवक्ता के रूप में कार्य किया. इस दौरान उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा दी, जिसमें उन्हें चौथा स्थान प्राप्त हुआ. हामिद अंसारी ने साल 1961 में भारतीय विदेश सेवा में सिविल सर्विस के रूप में अपने राजनैतिक कैरियर की शुरुआत की. हामिद अंसारी ने संयुक्त राष्ट्र  और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय उच्चायुक्त के रूप में प्रतिनिधित्व के रूप में, संयुक्त अरब अमीरात, अफगानिस्तान, ईरान और सऊदी अरब में एक राजदूत के रूप में और संयुक्त राष्ट्र में देश के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में अपनी सेवा दी है.

हामिद अंसारी ने साल 2000 से 2002 तक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कुलपति का कार्यभार संभाला. इसके बाद साल 2004 से 2005 तक ऊर्जा सुरक्षा के लिए तेल कूटनीति पर पेट्रोलियम मंत्रालय की सलाहकार समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. उन्हें साल 2007 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया. 11 अगस्त 2007 को हामिद अंसारी पहली बार देश के उपराष्ट्रपति बने. इसके बाद 7 अगस्त 2012 में वह एक बार फिर से पुन: उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए. हामिद अंसारी को साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों के पीड़ितों को मुआवजा सुनिश्चित कराने के लिए जाना जाता है. इसके अलावा हामिद अंसारी ने 1984 के पीड़ितों के राहत और पुनर्वास के लिए भी काम किया है.

हामिद अंसारी के विवाद (Controversies by Hamid Ansari)

हामिद अंसारी का विवादों से गहरा नाता रहा है. वह अक्सर विवादों में आ जाते हैं. हालांकि उन्हें करीब से जानने वाले लोगों का कहना है कि हामिद अंसारी विवादों से दूर रहने वाले शख्स हैं, लेकिन ना चाहते हुए भी वह विवादों में घिर जाते हैं.

30 दिसंबर 2011 की आधी रात को राज्यसभा में लोकपाल बिल पर बहस चल रही थी. उस समय कांग्रेस सरकार सदन में बुरी तरह घिर चुकी थी. इसी दौरान हामिद अंसारी सदन में आए और चलती बहस को रोककर सदन की कार्रवाई स्थगित कर दी. इस घटना को लेकर काफी विवाद हुआ था. भाजपा ने आरोप लगाया था कि हामिद अंसारी ने सरकार को बचाने के लिए सदन की कार्रवाई स्थगित की है.

गणतंत्र दिवस के मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे. इस दौरान जब तिरंगा लहराया जा रहा था तो राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर तिरंगे को सलामी दे रहे थे, लेकिन हामिद अंसारी ने तिरंगे को सलाम नहीं किया. इसको लेकर काफी विवाद भी हुआ था. हालांकि इसके बाद उपराष्ट्रपति कार्यालय की ओर से सफाई दी गई थी कि समारोह के मुख्य पदाधिकारी राष्ट्रपति थे. इसलिए प्रोटोकॉल के मुताबिक तिरंगे को सलामी राष्ट्रपति ही दे सकते हैं.

हामिद अंसारी ने अपनी आत्मकथा ‘बाई अ मेनी हैपी एक्सिडेंट, रिकलेक्शन्स ऑफ अ लाइफ’ में यह लिखकर विवाद को जन्म दे दिया कि जब वह राज्यसभा के सभापति थे तब प्रधानमंत्री मोदी बिना किसी पूर्व नियोजित कार्यक्रम के उनके दफ्तर आए और उनसे शोरशराबे के बीच बिल पास न करने पर सवाल पूछे. इसके अलावा राज्यसभा चैनल पर चलने वाले कॉन्टेन्ट को लेकर भी सवाल उठाए गए थे.

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