एक साधारण सी लड़की दुनिया भर में बन गयी शांति की मसीहा

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एक साधारण सी लड़की जो acedonia से कोलकाता आयी थी, वह दुनिया भर में शांति की मसीह बन जाएगी किसी ने सोचा भी नहीं था.

मदर टेरेसा का पूरा नाम मदर टेरेसा (Mother Teresa) एग्नेस गोनवश बिजोकईसु (Agnes Gonxha Bojaxhiu) था . महज 9 वर्ष की उम्र में उनके पिता जी का स्वर्गवास हो गया था.

परिवार की स्थिति को संभालने के लिए माँ ने बिजनेस प्रारम्भ कर दिया जिससे Mother Teresa को कार्य करने के साथ साहस की भी प्रेरणा मिली. 12 वर्ष की बाली उम्र में ही उनके मन में दूसरे लोगो की सेवा करने का भाव जाग्रत हो गया था.

12 वर्ष की उम्र में Num बनने का निश्चय कर प्रशिक्षण के लिए वह आयरलैंड गई. बाद में वह Sant Mary School की प्रिंसिपल भी बनी, लेकिन 1947 में विभाजन के दौरान शरणर्थियों की सहायता करने के लिए उन्होने प्रिंसिपल के पद को त्याग दिया और Nurse बन गयी.

बाद मे उन्होंने Nurse की ट्रेनिंग ले कर Calcutta को कार्यक्षेत्र के रम में चुना. अपने स्कूल की शुरुआत कर उन्होने अपने कार्य को प्रारम्भ किया. इस दौरान उन्होने गरीबो के लिए बहुत कुछ किया.

एग्नेस के Sister Teresa की एक कहानी

मदर टेरेसा के एग्नेस के सिस्टर टेरेसा बनने के पीछे एक प्रख्यात कहानी है, इस प्रशिक्षण के बीच एक नन से उनकी मुलाकात हुई. नन का कहना था, की ईश्वर को खुश करने के लिए कोई बड़ा या महान काम करने की आवश्यकता नहीं हैं. छोटे-छोटे काम कर भी भगवान को खुश किया जा सकता है. उन्होंने इस कार्य को लिटिल-वे नाम भी दिया . एग्नेस भी इस बात से काफी प्रभावित होते हुए अपना नाम बदल कर टेरेसा कर लिया. टेरेसा के द्वारा दुखियो की अत्यधिक सेवा करने के चलते मदर टेरेसा के नाम से प्रख्यात हुई.

मदर टेरेसा द्वारा किये गए कार्य

टेरेसा ने Nirmal Hriday नामक एक घर की स्थापना भी की . उनके कार्य से कोलकाता निगम काफी प्रभावित हुई और उन्हे एक पुराना घर भी दिया. 7 अक्टूबर 1950 में टेरेसा की संस्था Missionaries of Charity को सरकार द्वारा मान्यता मिल गई. उनकी लगन की बदौलत उनका यह मिशन पूरे भारत में फेल गया.

मदर टेरेसा के संचालित संसथान

Shishuniketan, Nirmal Hriday और Shanti Nagar, Premghar आदि में मदर टेरेसा स्वयं सेवा कार्य किया करती थी. 70 वर्ष अधिक उम्र में भी मदर टेरेसा 21 घंटो तक काम करती रहती थी.

मदर टेरेसा द्वारा किए गए सामाजिक कार्य

मदर टेरेसा और उनके साथी घर व होटलो से बचे हुए खाने को इक्कठा कर गरीबो को भोजन खिलाने का प्रबंध भी किया .

माता-पिता से दूर या उनके नियंत्रण में न रहने वाले बच्चो के अलावा आपराधिक कार्यो में फसे हुए बच्चो का जीवन बनाने के लिए प्रतिमा सेन नाम के स्कूल की स्थापना.

मदर टेरेसा एवं उनके साथियो को यदि कोई भी असहाय व्यक्ति नजर आता था तो वह उसे अपने साथ लें जाते थे.

मदर टेरेसा की मृत्यु

5 सितंबर 1997 को मदर टेरेसा की मृत्यु हो गयी. उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए विश्व के कई देशो से व्यक्ति आए थे.
मदर टेरेसा कहा करती थी, की सम्पूर्ण विश्व मेरा घर है

मदर टेरेसा को अवार्ड

मदर टेरेसा की सेवा भावना को देखते हुए भारत के साथ विश्व के कई देशो ने काफी धनराशियों के साथ उन्हे पुरस्कार भी दिए.

इंग्लैंड की महारानी द्वारा मदर टेरेसा को आर्डर ऑफ़ ब्रिटिश एम्पायर, राजकुमार फिलिप ने टेंपल्स पुरूस्कार अमेरिका ने कैनेडी पुरूस्कार और भारत देश ने नेहरू शांति पुरूस्कार, पदम् श्री एवं भारत रत्न पुरूस्कार,नोबल पुरूस्कार से समानित किया जा चुका था.

पुरूस्कार

  • Order of British Empire
  • Temples पुरुस्कार
  • John F Kennedy
  • श्री जवाहर लाल नेहरू शांति पुरुस्कार
  • भारत रत्न व पदम् श्री पुरुस्कार
  • पॉप शांति पुरुस्कार
  • नोबल पुरूस्कार
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