इस संघर्ष से बार डांसर से बन गई बॉलीवुड की मशहूर हस्तीे, जिनकी कहानी बदल सकती है कईयों की जिंदगी

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आपने एक कहावत तो जरुर सुनी होगी की कभी भी कोशिश करने वालों की हार नहीं होती… लेकिन इस बात को सही मायने में अगर किसी ने जीकर दिखाया है तो वो है शगुफ्ता रफीक जो कभी बार में डांस गर्ल का काम करने वाली शगुफ्ता की पहचान अब एक कामयाब फिल्म लेखिका के तौर पर है। हालिया चर्चित फिल्म ‘आशिकी-2’ उनकी ही कलम की देन है। शगुफ्ता रफीक की कामयाबी की कहानी बता रही हैं।

जिंदगी के इम्तहान में मुश्किल पर्चे होते हैं। मुश्किल पर्चे देख जहां ज्यादातर लोग इम्तहान से डरते हैं, तो कुछ किरदार ऐसे भी होते हैं, जो उस पर्चे का हल अपनी हिम्मत और हुनर से निकालते हैं। शगुफ्ता रफीक एक ऐसी ही किरदार हैं, जिन्हें अपनी कैंसर पीड़ित मां के इलाज के लिए दुबई के एक डांस बार में काम करना पड़ा। लेकिन मुश्किल हालात से निकल कर उन्होंने अपने लिए एक ऐसी राह बनाई, जो एक मिसाल है।

भट्ट कैंप के लिए कई फिल्में लिखने वालीं शगुफ्ता रफीक ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है।मात्र 17 साल की उम्र में शगुफ्ता वेश्यावृति की तरफ बढ़ गईं क्योंकि उस समय वो उनकी सबसे बड़ी मजबूरी थी क्योंकि उनके पास आपने परिवार की पूरी जिम्मेदारी थी इसके बाद शगुफ्ता दुबई चली गईं। वहां भी उन्होंने डांस करना शुरू किया। इसके लिए उन्हें अच्छे पैसे भी मिल जाया करते थे।

लेकिन शगुफ्ता को लिखने का शौक था। कोई भी डायरेक्टर एक नई लड़की को बतौर लेखक अपनी फिल्म में काम देने का खतरा नहीं मोल लेना चाहता था। ऐसे में शगुफ्ता ने दूरदर्शन के लिए नाटक लिख-लिखकर अपना काम बढ़ाया। लेकिन मां के कैंसर का महंगा इलाज इससे नहीं पूरा होने वाला था। तब उन्होंने दुबई के एक बार में सिंगर की नौकरी शुरू की।

लेकिन इस बीच उनकी मां की तबियत खराब हो गई और वह सब कुछ छोड़ छाड़ कर वापस अपनी मां के पास आ गईं। उनकी मां को कैंसर की बीमारी ने जकड़ लिया था। जिसके चलते वह ज्यादा दिनों तक सरवाइव नहीं कर पाईं।शगुप्ता ने फिल्म इंडस्ट्री को और भी कई फिल्में दीं जैसे-‘आवारापन’, ‘राज’, ‘मर्डर 2’ और ‘आशिकी 2’। फिल्मों की कहानी लिखने वाली शगुफ्ता की असल जिंदगी की कहानी भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। बचपन में किसमत से अनाथ शगुफ्ता अनवरी बेगम को मिल गई थीं।

शगुफ्ता 50 के दशक में फिल्मों में काम करने वाली अनवरी बेगम की गोद ली हुई बेटी हैं।अनवरी ने ही उन्हें पाल पोस कर बड़ा किया। इस दौरान उनकी जिंदगी में कुछ ऐसा हुआ कि उन्हें दो वक्त की रोटी पाना भी मुश्किल हो गया। इस दौरान अनवरी ने दो जून की रोटी का इंतजाम करने के लिए अपने गहने भी बेच दिए। आर्थिक स्थिति खराब होता देख शगुफ्ता ने अनवरी का सहारा बनने की ठानी। इस दौरान 12 साल की शगुफ्ता को प्राइवेट पार्टियों में डांस करने का काम मिल गया। यह पार्टियां बड़े हाई लेवल की हुआ करती थीं। यहां अमीर अमीर लोग अपनी गर्लफ्रेंड्स और प्रॉस्टिट्यूट के साथ आया करते थे। शगुफ्ता के डांस करने पर उन्हें पैसे मिला करते। उन्हीं पैसों से घर का खर्च चला करता था।

कुछ वक्त बाद शगुफ्ता की मुलाकात फिल्ममेकर महेश भट्ट से हुई। इस बीच महेश भट्ट ने उन्हें काम करने का मौका दिया। तब शगुफ्ता ने भट्ट कैंप में एंट्री मारी और सबसे पहले लिखने का काम किया। आखिरकार महेश भट्ट ने ही उन्हें फिल्म ‘कलयुग’ में बतौर को-राइटर जय दीक्षित के साथ मौका दिया। ‘कलयुग’ के बाद महेश भट्ट ने उन्हें अपनी निजी जिंदगी की सबसे संजीदा और ट्रैजिक कहानी लिखने का जिम्मा सौंपा। यह कहानी महेश भट्ट और ऐक्ट्रेस परवीन बॉबी के रिश्तों पर आधारित थी। शगुफ्ता ने जो कहानी लिखी, उस पर बनी फिल्म ‘वो लम्हे’। फिल्म की कामयाबी के साथ शगुफ्ता भी कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ने लगीं।शगुप्ता ने फिल्म वो लम्हे से खुद को साबित किया इसके बाद उन्होंने महेश भट्ट कैंप के लिए कई फिल्में लिखीं।

2007 में आवारापन, साल 2007 में ही शोवबीज, साल 2009 में आई फिल्म राज, इसी साल आई जश्न, 2010 में आई फिल्म कजरारे, साल 2011 में आई फिल्म मर्डर 2, 2012 में आई फिल्म जन्नत, इसी साल आई फिल्म जिस्म 2, राज 23, साल 2013 में आई ‘आशिकी 2’, साल 2014 में आई मिस्टर एक्स, साल 2015 में ही आई अलोन, पंजाबी फिल्म दुश्मन के लिे स्क्रीन प्ले और डायलॉग्स लिखे। इसके साथ ही शगुप्ता राइटर टीवी सीरियल तू आशिकी के कॉन्सेप्ट पर भी काम कर रही हैं।

अपने संघर्ष के बारे में शगुफ्ता का कहना है कि महिलाओं को हर क्षेत्र में पांव जमाने के लिए हर तरफ से दिक्कत आती है इसके साथ ही उनका कई तरह से शोषण भी होता है लेकिन इस सब चीजों से परे हटकर यह महिलाओं को ही तय करना है कि वे अपने जीवन को क्या दिशा देना चाहती हैं तभी वे आपने जीवन में आगे बढ़ सकती है नहीं तो ये समाज तो औरतों के बढ़ते पंख को काटने का एक भी मौका नहीं छोड़ता है |

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