इस्लामोफोबिया क्या है?, जानिए इस्लामोफोबिया के कारण और प्रभाव

What is Islamophobia - definition, cause, Effects, stop

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What is Islamophobia – दोस्तों आज के आर्टिकल में हम एक बहुत ही संवेदनशील विषय पर बात करेंगे और वह विषय है इस्लामोफोबिया (Islamophobia). यह एक ऐसा विषय है जो हमें अक्सर सुनने को मिलता है. खासकर सोशल मीडिया वेबसाइट Twitter पर अक्सर इस्लामोफोबिया ट्रेंड भी करता है. इस्लामोफोबिया एक ऐसी चीज है, जिसे कई लोग तो सिरे से खारिज हो कर देते है. हालाँकि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस्लामोफोबिया को मानते तो हैं, लेकिन इसके लिए मुस्लिमों को ही जिम्मेदार ठहराते है.

दोस्तों इस आर्टिकल के जरिए हम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहते हैं, बल्कि इसके जरिए हम इस्लामोफोबिया के बारे में (about Islamophobia) जानेंगे. हम जानेंगे कि इस्लामोफोबिया क्या है? (What is Islamophobia?), इस्लामोफोबिया का मतलब क्या है? (What does Islamophobia mean?), इस्लामोफोबिया की परिभाषा क्या है? (What is definition of Islamophobia?) और भारत में इस्लामोफोबिया (Islamophobia in India) को लेकर भी हम बात करेंगे. तो चलिए शुरू करते है और जानते है कि इस्लामोफोबिया क्या है?

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इस्लामोफोबिया क्या है? (What is Islamophobia?)

दोस्तों जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि इस्लामोफोबिया दो अलग-अलग शब्दों से मिलकर बना हुआ है. यह दो शब्द है इस्लाम और फोबिया. दोस्तों फोबिया का मतलब होता है डर या भय. यानि इस्लामोफोबिया का मतलब होता है इस्लाम को लेकर डर या भय.

इस्लामोफोबिया की परिभाषा (definition of islamophobia)

साल 1997 में ब्रितानी रुन्नीमेडे ने इस्लामोफोबिया के बारे में कहा था कि, ‘इस्लामोफोबिया एक अवधारणा है. यह अवधारणा मुसलमानों को देश के आर्थिक, सामाजिक और सार्वजनिक जीवन से बाहर करके मुसलमानों के ख़िलाफ़ भेदभाव के व्यवहार को दर्शाती है. इस्लामोफोबिया मानती है कि इस्लाम अन्य संस्कृतियों के साथ कोई भी मूल्य साझा नहीं करता हैं, यह पश्चिम की संकृति से निम्न कोटि का है और एक धर्म के बजाय हिंसक राजनीतिक विचारधारा है.’

इस्लामोफोबिया का कारण (cause of islamophobia)

दोस्तों जो भी लोग मानते है कि इस्लामोफोबिया है, उनके बीच भी इस्लामोफोबिया के कारणों को लेकर मतभेद है. एक कहावत है ना कि, ‘जितने मुंह, उतनी बातें.’ इस्लामोफोबिया के मामले में भी यह कहावत सटीक बैठती है. जब हमें इस्लामोफोबिया के कारणों को लेकर इन्टरनेट की दुनिया खंगाली तो उसमें इसके कई कारण सामने आए, जिनमें से कुछ कारणों के बारे में हम बात करेंगे.

दुनिया के एक बड़े वर्ग का मानना है कि इस्लामोफोबिया का सबसे बड़ा कारण इस्लामिक कट्टरवाद है. इस कट्टरवाद के चलते दुनिया में कई आतंकी संगठन खड़े हो गए हैं, जो इस्लाम के नाम पर फल-फूल रहे हैं. हालाँकि यह भी सच है कि इन आतंकी संगठनों का सबसे ज्यादा शिकार भी मुस्लिम ही हुए हैं. जैसे – अफगानिस्तान या सीरिया इसके बड़े उदहारण है.

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लोगों का मानना है कि इस्लामिक कट्टरवाद के चलते दुनिया में कई तरह की ऐसी घटनाएँ हुई हैं, जिसने इस्लामोफोबिया को बढ़ावा दिया है. जैसे – साल 2015 में ‘चार्ली हैबडो’ नामक फ्रांस की कार्टून पत्रिका ने पैगम्बर मोहम्मद से संबंधित कार्टूनों को प्रकाशित किया था. यह कार्टून इस्लाम को मानने को नागवार गुजरा. इस घटना के बाद पत्रिका के दफ्तर पर आतंकी हमला हुआ था और कई कार्टूनिस्ट को मार दिया गया. इसके अलावा फ्रांस में ही एक शिक्षक को भी पैगम्बर मोहम्मद का कार्टून दिखाने के लिए मारा गया था. लोगों का मानना है कि ऐसी घटनाओं से लोगों के मन में इस्लाम की गलत छवि बनती है.

कई लोगों का मानना है कि इस्लामोफोबिया का एक बड़ा कारण राजनीति भी है. जैसी यूरोप में रहने वाले कई दक्षिणपंथियों का मानना है कि इस्लाम को मानने वाले हमेशा अपनी अलग पहचान बनाए रखना चाहते है और वह इन देशों की संस्कृति में घुलना-मिलना नहीं चाहते है. कुछ लोगों के अनुसार मुस्लिमों की पहचान की राजनीति के कारण भी कट्टरवाद को बढ़ावा मिला है, जिसके फलस्वरूप इस्लामोफोबिया को बढ़ावा मिला. जैसे – भारत में भी इस तरह की सोच के चलते देश के दो टुकड़े हुए और अलग देश का निर्माण हुआ.

यूरोप में इस्लामोफोबिया का एक बड़ा कारण शरणार्थियों को भी माना जाता है. दरअसल पश्चिम एशिया में अस्थिरता के चलते बड़ी संख्या में मुस्लिम शरणार्थी यूरोप में जाकर बस गए. इन शरणार्थियों के चलते बहुसंख्यकों के रोजगार के अवसर कम हो गए. इन चीजों के कारण भी मुस्लिमों को निशाना बनाया जाने लगा. अपने खिलाफ होने वाले अत्याचारों के खिलाफ जब मुस्लिमों ने हथियार उठाए तो उसे कट्टरपंथ का नाम दे दिया गया. यह भी इस्लामोफोबिया का एक बड़ा कारण है.

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कई लोगों का यह भी मानना है कि इस्लामोफोबिया का एक बड़ा कारण खुद मुस्लिम ही है और पूरी दुनिया में इस्लाम के सबसे बड़े दुश्मन इस्लाम को मानने वाले ही है. कई जगह इस्लाम को मानने वाले आपस में ही एक दूसरे के खून के प्यासे है. जैसे सीरिया में मरने वाले भी मुस्लिम है और मारने वाले भी मुस्लिम है. इसके अलावा पेशावर हो या पुलवामा या वर्ल्ड ट्रेड सेंटर या ऐसी किसी भी जगह जहां वो तथाकथित इस्लाम को मानने वाले किसी बेगुनाह को कट्टर इस्लाम के कारण मारते है वे इस्लामोफोबिया को ही फैलाते हैं.

वहीँ बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी है जिनका मानना है कि अमेरिका की साम्राज्यवादी नीतियों ने ही पूरी दुनिया में इस्लामोफोबिया को हवा दी है. अमेरिका ने ही अपने फायदे के लिए मुस्लिम युवाओं के बीच कट्टरपंथ के बीज बोएं और जब 9/11 जैसा हमला हुआ तो खुद ही ने ‘इस्लामिक आतंकवाद (Islamic terrorism)’ जैसा शब्द भी गड़ा. इस शब्द के कारण ही दुनियाभर में मुस्लिमों को शक की निगाह से देखा जाने लगा, जिसके फलस्वरूप भी इस्लामोफोबिया को बढ़ावा मिला.

दोस्तों जैसा कि हमने पहले कहा था कि ‘जितने मुंह, उतनी बातें.’ इस्लामोफोबिया के कारणों को लेकर लोगों के मन में कई बातें है. तो अगर आपके मन में भी इस्लामोफोबिया को लेकर कोई कारण हो तो हमें कमेंट करके जरूर बातें.

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इस्लामोफोबिया के प्रभाव (Effects of Islamophobia)

दुनिया में बढ़ते इस्लामोफोबिया का सबसे बड़ा प्रभाव यही है कि इसके कारण मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचार में बढ़ोत्तरी हुई है. मुस्लिमों को शक की निगाह से देखा जाने लगा है. कई जगह रोजगार में भी इस्लामोफोबिया के चलते मुस्लिमों को बराबरी के मौकें नहीं मिलते है. यूरोप में आए दिन इस्लामोफोबिया के चलते मुस्लिमों को मारने की घटनाएं सामने आती रहती है. इस्लामोफोबिया के कारण लगभग दुनिया के हर हिस्से में मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचार की घटनाएँ हुई है.

भारत में इस्लामोफोबिया (Islamophobia in India)

भारत में इस्लामोफोबिया है या नहीं, इसको लेकर भी अलग-अलग लोगों के अलग-अलग मत है. अप्रैल 2020 में ‘इस्लामिक सहयोग संगठन’ (Organisation of Islamic Cooperation-OIC) के ‘स्वतंत्र स्थायी मानवाधिकार आयोग’ (Independent Permanent Human Rights Commission- IPHRC) ने एक ट्वीट के माध्यम से भारत में बढ़ते ‘इस्लामोफोबिया’ (Islamophobia) पर चिंता व्यक्त की थी. IPHRC ने भारतीय सरकार से मुस्लिम अल्पसंख्यक के अधिकारों की रक्षा के लिये तत्काल कदम उठाने के लिये आग्रह किया था.

इसके अलावा जुलाई 2021 में 24 अमेरिकी सांसदों ने चीन, भारत सहित दुनिया के कई देशों में मुस्लिमों के खिलाफ होने वाली हिंसा से निपटने के लिए एक विशेष दूत नियुक्त करने की अपील की थी.

भारत में अक्सर किसी गैर मुस्लिम द्वारा किसी मुस्लिम पर किए जाने वाले अत्याचार को ‘इस्लामोफोबिया’ से जोड़कर देखा जाता है.

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भारत में इस्लामोफोबिया के कारण (Causes of Islamophobia in India)

भारत में इस्लामोफोबिया के कारणों में राजनीति को बड़ा कारण माना जाता है. इसके भी दो पहलू है. पहला हिन्दू धर्म खतरे में हैं और दूसरा इस्लाम खतरे में है. दरअसल कई बार राजनेता वोट पाने के लिए हिन्दुओं को इस्लाम का डर दिखाते है. उन्हें डराया जाता है कि मुस्लिम इस देश पर राज करना चाहते है. लव जिहाद जैसी चीजों के चलते भी भारत में इस्लामोफोबिया बढ़ा है.

इसी तरह दूसरी तरफ से भी इसी तरह की नफरतभरी बयानबाजी के चलते इस्लामोफोबिया को बढ़ावा मिला है. मुस्लिमों को हिन्दुओं के नाम से डराया जाता है. जब मुस्लिमों का कोई नेता सार्वजानिक मंच से कहता है कि हम 20 करोड़ मुस्लिम 100 करोड़ हिन्दुओं पर भरी पड़ेंगे तो इससे भी इस्लामोफोबिया को बढ़ावा मिलता है. इनके अलावा भी भारत में भारत में इस्लामोफोबिया के कई कारण है. जैसे – हिंसा, आतंकवादी घटनाएं आदि.

इस्लामोफोबिया को रोकने के उपाय (How to stop Islamophobia)

कुछ लोगों का मानना है कि इस्लाम मे कट्टरता ही सबसे बड़ी समस्या है जिससे इस्लाम को खुद ही लड़ना पड़ेगा क्योंकि ये इस्लाम के अंदर ही है और इससे अंदर वाले ही लड़ सकते हैं. और जिस दिन कट्टरता खत्म हो गई उसी दिन ये शब्द “इस्लामोफोबिया” स्वतः समाप्त हो जाएगा.

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कई लोगों का यह भी कहना है कि ‘इस्लामोफोबिया’ को खत्म करने के लिए सबसे पहले मुस्लिमों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों को रोकना होगा और उन्हें आगे बढ़ने का समान अवसर देना होगा. जिससे मुस्लिम युवा कट्टरवाद का रास्ता छोड़ेंगे और ‘इस्लामोफोबिया’ खत्म हो जाएगा.

दोस्तों यह एक ऐसा विषय है जिस पर जितनी बातें की जाए उतना कम है. लेकिन एक चीज जो हमें समझ आती है वह यह है कि भारत, पश्चिम एशिया या यूरोप में रहने वाले मुस्लिम इस्लाम के कारण नहीं बल्कि दुनिया की बड़ी ताकतों की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं के कारण पिछड़ेपन का शिकार हैं. मुसलमानों का वह हिस्सा जो अपनी धार्मिक पहचान को प्राथमिकता देता है, वास्तव में एक अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक चक्रव्यूह का शिकार है.

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