what is halal and jhatka meat – हलाल और झटका में अंतर और विवाद के कारण…

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what is halal and jhatka meat – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम हलाल मीट (halal meat) और झटका मीट (Jhatka Meat) के बारे में बात करेंगे. यह एक ऐसा विषय है, जिसको लेकर अक्सर विवाद होता रहता है. पूरी दुनिया के लोगों की हलाल मीट (halal meat) और झटका मीट (Jhatka Meat) को लेकर अलग-अलग राय है. आमतौर पर इस्लाम में हलाल मीट खाने का नियम है जबकि दूसरी तरफ कई लोग झटका मीट पसंद करते है. हलाल मीट और झटका मीट को लेकर लोगों की अपनी-अपनी राय है. इसके पीछे दलील मुख्‍य रूप से धार्मिक वजहों की दी जाती है. इसके अलावा हाईजीन और मांस की क्‍वालिटी को लेकर लोगों के अपने-अपने तर्क है.

दोस्तों हलाल मीट और झटका मीट को लेकर कई लोगों के मन में कुछ सवाल भी उठते रहते है. जैसे – हलाल मीट क्या होता है? (what is halal meat), झटका मीट क्या होता है? (what is Jhatka meat), हलाल मीट और झटका मीट में क्या अंतर (Difference between Halal and Jhatka Meats) होता है?, हलाल मीट और झटका मीट में धार्मिक विवाद क्‍या है? (What is religious dispute between Halal meat and Jhatka meat) और हलाल मीट और झटका मीट को लेकर दुनिया की राय क्या है. तो चलिए शुरू करते है और जानते है इन सभी सवालों के जवाब.

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हलाल मीट क्या होता है? (what is halal meat)

दोस्तों हलाल एक अरबी शब्द है. इसे इस्लामिक कानून के हिसाब से परिभाषित किया गया है. हलाल एक प्रकिया है, जिसके तहत जानवरों को गले की नस और श्वासनली को काटकर मारा जाता है. इस दौरान जानवरों के शरीर से खूब खून निकाला जाता है. हलाल करते समय विशेष आयतें पढ़ी जाती हैं. इस्‍लाम में हलाल के अलावा अन्‍य किसी भी तरह के मीट की मनाही है.

झटका मीट क्या होता है? (what is Jhatka meat)

हलाल मीट की तरह झटका मीट में जानवरों को गले की नस और श्वासनली को काटकर नहीं मारा जाता है. झटका मीट में जानवरों पर एक तेज धार वाले हथियार से वार किया जाता है. इससे एक झटके में ही जानवरों की जान चली जाती है.

हलाल मीट और झटका मीट में अंतर (Difference between Halal Meat and Jhatka Meat)

हलाल मीट और झटका मीट दोनों ही तरीकों में जानवरों की जान जाती है, लेकिन जानवरों को मारने का तरीका अलग-अलग होता है. हलाल की प्रकिया में जानवरों को मारने से पहले खिलाया-पिलाया जाता है. जबकि झटका में जानवरों को भूखा-प्यासा रखा जाता है.

हलाल और झटका में सबसे बड़ा फर्क जानवरों को होने वाले दर्द को लेकर है. दरअसल झटका को पसंद करने वाले लोगों का तर्क है कि इस प्रकिया में जानवरों की एक झटके में ही जान चली जाती है. काटने से पहले उसे बेहोश भी किया जाता है. इससे उसे ज्यादा तकलीफ नहीं होती.

जबकि हलाल प्रकिया को जानवरों की धीरे-धीरे जान जाती है और उसे इस दौरान बेहोश भी नहीं किया जाता है. इससे जानवरों को ज्यादा तकलीफ होती है. दूसरी तरफ हलाल को पसंद करने वालों का मानना है कि सांस की नली कटने से जानवर खुद ही कुछ सेकेंड में मर जाता है.

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हलाल मीट और झटका मीट में धार्मिक विवाद (religious dispute between Halal meat and Jhatka meat)

देखा जाए तो लगभग हर धर्म में मीट खाने वाले लोग होते है, लेकिन जिस जानवर का वह मीट खा रहे है, उसे मारने के तरीके को लेकर सबकी अपनी मान्‍यताएं और दलीलें हैं. जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि इस्‍लाम में हलाल के अलावा अन्‍य किसी भी तरह के मीट की मनाही है. दूसरी तरफ हिंदू और सिख धर्म में ‘हलाल’ मांस को निषिद्ध बताया गया है. अपनी मान्यताओं के पीछे लोगों के अपने-अपने तर्क भी है. लेकिन यह भी सच है कि दोनों ही तरीकों में जानवरों की जान जाती है. मीट जानवर को मारकर ही हासिल किया जाता है, भले ही उसे मारने के लिए कोई भी तरीका अपनाया जाए.

हलाल मीट और झटका मीट को लेकर दुनिया की राय

देखा जाए तो पूरी दुनिया ही हलाल मीट और झटका मीट को लेकर बटी हुई है. इस्लाम को मानने वाले देश तो हलाल मीट ही खाते है. वहीं अन्य देशों की बात करे तो वहां इसको लेकर अलग राय है. जैसे यूरोपीय संघ में साल 1979 से ही जानवरों को बेहोश करके मारे जाने का प्रावधान है. लेकिन धार्मिक कारणों से इसमें छूट भी दी सकती है. डेनमार्क सहित कुछ देशों में जानवरों को बिना बेहोश किए, मारे जाने पर प्रतिबंध है. वहीँ UK में भी दुकानदार मुस्लिम ग्राहकों के लिए हलाल प्रक्रिया का पालन करते है.

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