What is EVM – सिर्फ एक तरीके से हो सकती है हैक, जानिए कितनी सेफ है EVM

What is EVM - How does EVM work?, can evm be hacked, how does vvpat work, how is vote count

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What is EVM – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम चुनावों से जुड़ी बातें करेंगे. हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और इस लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबसूरती हैं हमारे देश में होने वाले चुनाव. दुनिया में सबसे ज्यादा मतदाता वाला देश होने के बावजूद हमारे देश में चुनावों की प्रक्रिया बहुत सरल और पारदर्शी है. भारत में निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावों का आयोजन करवाया जाता है. चुनावों की घोषणा से लेकर चुनावों के परिणाम जारी होने तक चुनाव आयोग के काम में कोई भी अदालत हस्तक्षेप नहीं करती है.

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम चुनावों से जुड़े कुछ ऐसे सवालों के जवाब जानेंगे जो अक्सर लोगों के मन में उठते है. जैसे – ईवीएम क्या है? (what is evm?), ईवीएम कैसे काम करती है? (How does EVM work?), क्या ईवीएम को हैक किया जा सकता है? (Can EVMs be hacked?), vvpat क्या है? (What is vvpat?), vvpat कैसे काम करती है? ( How does vvpat work?), मतगणना कैसे होती है? (how is the vote count)

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ईवीएम क्या है? और यह कैसे काम करती है? (What is EVM? And how does it work?)

दोस्तों ईवीएम का पूरा फॉर्म (EVM full form) होता है Electronic Voting Machine. ईवीएम में एक कंट्रोल यूनिट, एक बैलट यूनिट और 5 मीटर की केबल होती है. इसके अलावा मशीन को चलाने के लिए एक बैटरी होती है. ईवीएम का कंट्रोल यूनिट वोटिंग ऑफिसर के पास होती है. जब भी कोई मतदाता मतदान करने के लिए आता है तो वह ऑफिसर कंट्रोल यूनिट के बटन को दबाता है. कंट्रोल यूनिट से चुनाव अधिकारी के बटन दबाते ही कंट्रोल यूनिट में लाल और बैलेट यूनिट में हरी बत्ती जल जाती है. इससे पता चलता है कि EVM वोट डालने के लिए तैयार है. जब मतदाता अपना वोट डाल देता है तो बीप की आवाज आती है. इससे यह पता चलता है कि वोट डाला जा चुका है.

एक बार वोट डालने के बाद मतदान चाहे कितनी ही बार ईवीएम का बटन दबाएँ, कुछ नहीं होता है. इस के बाद जब अगला मतदाता आता है तो वोटिंग ऑफिसर वापस कंट्रोल यूनिट के बटन को दबाता है. जब तक वोटिंग ऑफिसर, कंट्रोल यूनिट के बटन को नहीं दबाता तब तक EVM में वोट नहीं डाला जा सकता. यानि हर एक वोट डालने से पहले वोटिंग ऑफिसर को कंट्रोल यूनिट के बटन को दबाना होता है. इसके अलावा ईवीएम मशीन में एक मिनट में अधिकतम 5 वोट ही डाले जा सकते है.

एक बैलट यूनिट पर अधिकतम 16 बटन होते है. बैलट यूनिट पर 16वां बटन NOTA का होता है. अगर किसी सीट पर 15 से ज्यादा प्रत्याशी है तो दूसरी बैलेट यूनिट जोड़ी जाती है. इस तरह से एक कंट्रोल यूनिट से अधिकतम 4 बैलेट यूनिटों को जोड़ा जा सकता है. एक ईवीएम में अधिकतम 3,840 वोट दर्ज किए जा सकते है. यही कारण है कि मतदान बूथ इस तरह से बनाए जाते है कि उस क्षेत्र में मतदाता की संख्या इससे कम हो.

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क्या ईवीएम को हैक किया जा सकता है? (Can EVMs be hacked?)

दोस्तों किसी भी मशीन को दो तरीकों से ही हैक किया जा सकता है. पहले तरीका है वायर्ड और दूसरा तरीका है वायरलेस. वायर्ड तरीके से ईवीएम को हैक करने के लिए ईवीएम की कंट्रोल यूनिट से छेड़छाड़ करना होगी. ईवीएम को इस तरह से बनाया जाता है कि इससे किसी भी तरह की छेड़छाड़ करने या इसमें कोई भी एक्सटर्नल डिवाइस लगाने से यह काम करना बंद कर देती है. इसलिए ईवीएम को वायर्ड तरीके से हैक नहीं किया जा सकता.

वहीं बात करें वायरलेस हैकिंग की तो बता दे कि ईवीएम मशीन में किसी तरह का रेडियो रिसीवर नहीं होता है. यहीं कारण है कि इसे इंटरनेट, ब्लूटूथ या किसी भी अन्य चीज से कनेक्ट नहीं किया जा सकता है. यहीं कारण है कि वायरलेस तरीके से ईवीएम हैक होने के चांस न के बराबर हैं.

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ईवीएम हैकिंग की संभावनाएं (EVM hacking possibilities)

ईवीएम मशीन को एक ही तरीके से हैक किया जा सकता है और वह तरीका है ईवीएम बनाते समय ही इसकी गलत प्रोग्रामिंग कर दी जाए. ईवीएम मशीन बनाने का काम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया करती है. यह दोनों कंपनियां सरकारी है. इसे बनाते समय एक्सपर्ट की पूरी निगरानी में सॉफ्टवेयर की जाँच की जाती है.

इसके अलावा इसकी गलत प्रोग्रामिंग कर भी दी जाए तो भी इसका फायदा नहीं है. इसका कारण यह है कि कौन सी मशीन किस इलाके में भेजी जाएगी यह मशीन बनाते समय तय नहीं होता है. इसके अलावा उस इलाके में कौन से प्रत्याशी का नंबर किस क्रम पर होगा यह भी चुनाव से ठीक पहले ही तय किया जाता है. साथ ही वोटिंग से पहले सभी प्रत्याशियों या उनके एजेंट के सामने ईवीएम मशीन की जाँच भी की जाती है. वहीं ईवीएम से वीवीपैट जुड़ने के बाद तो अब मतदाता को भी पर्ची के माध्यम से पता चल जाता है कि उसका वोट सही जगह गया है या नहीं.

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वीवीपैट क्या है और कैसे काम करती है? (What is VVPAT and how does it work?)

वैसे तो ईवीएम काफी सुरक्षित होती है, लेकिन फिर भी इसकी विश्वसनीयता को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं. ऐसे में साल 2013 में चुनाव में पारदर्शिता लाने के लिए वीवीपैट को जोड़ा गया. वीवीपैट आने के बाद EVM में किसी भी तरह की गड़बड़ी की आशंका खत्म हो गई.

दरअसल वीवीपैट का पूरा फॉर्म (VVPAT full form) वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (Voter Verified Paper Audit Trail) होता है. यह कांच के शीशे से ढकी एक मशीन होती है. इसे मतदान केंद्रों पर EVM मशीन के साथ जोड़ कर रखा जाता है. जब भी कोई मतदाता मतदान करता है तो वीवीपैट में से एक पर्ची निकलती है जिस पर कैंडिडेट का नाम और पार्टी का चुनाव चिन्ह छपा होता है. यह पर्ची 7 सेकंड के लिए मतदाता को दिखती है. जिससे मतदाता को यह भरोसा हो जाता है कि उसने जिस प्रत्याशी को वोट दिया है, उसका वोट उसी को गया है या नहीं. 7 सेकंड बाद यह पर्ची एक बॉक्स में गिर जाती है. इस पर्ची को मतदाता सिर्फ देख सकता है छू नहीं सकता. किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में EVM में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जाता है.

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मतगणना कैसे होती है? (how is the vote count)

हमारे देश में मतगणना को लेकर कुछ खास नियम बनाए गए है. आमतौर पर मतगणना सुबह 8 बजे शुरू की जाती है. सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती की जाती है. इसके 30 मिनट बाद EVM की गिनती होती है. EVM से वोटों की गिनती करने के लिए मतगणना स्थल पर 14 टेबल लगाई जाती है. हर टेबल पर एक EVM के वोट गिने जाते हैं. यानि हर राउंड में कुल 14 EVM के वोट गिने जाते हैं.

मतगणना के लिए हर टेबल पर बैठा अधिकारी EVM मशीन में मौजूद रिजल्ट के बटन को दबाता है. इससे पता चलता है कि किस प्रत्याशी को कितने वोट मिले है. इन वोटों को डिस्प्ले बोर्ड पर फ्लैश किया जाता है. इस तरह सभी 14 टेबल पर तैनात मतगणना कर्मी हर राउंड में फॉर्म 17-C भरकर एजेंट से हस्ताक्षर के बाद RO को देते हैं. RO सभी 14 टेबल पर प्रत्याशियों को मिले वोट की गिनती करके उसे ब्लैक बोर्ड पर लिख देता है. साथ ही लॉउडस्पीकर के द्वारा भी इसकी घोषणा की जाती है. इस तरह से एक राउंड पूरा होता है और दूसरे राउंड की शुरुआत की जाती है. अगले राउंड में वापस यही प्रोसेस दोहराई जाती है.

मतगणना की पूरी प्रकिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है. मतगणना केंद्र के अंदर मोबाइल पर बैन होता है. इसके अलावा मतगणना केंद्र पर प्रत्याशी या उनके एजेंट भी होते है. हर राउंड की मतगणना के बाद चुनाव अधिकारी 2 मिनट का इंतजार करता है. इस दौरान कोई भी प्रत्याशी गड़बड़ी की आशंका होने पर अपनी आपत्ति दर्ज करवा सकता है. इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर प्रत्याशी को आश्वस्त करता है कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई है या वह चाहे तो फिर से वोटों की गिनती करवा सकता है. सभी राउंड की गिनती पूरी होने के बाद रिजल्ट की घोषणा की जाती है.

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